अगले साल जनवरी में होने वाले वैश्विक निवेशक सम्मेलन की तैयारी जोरों पर चल रही है। राज्य निवेश प्रोत्साहन एजेंसी गाइडेंस तमिलनाडु के तत्वावधान में चेन्नई के टेनामपेट स्थित प्रेस्टीज पॉलिगन टावर में बैठकों का दौर चल रहा है। बैठक की मुख्य बातों के बारे में पूछने पर एजेंसी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी वी विष्णु ने कहा कि सरकार इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर बड़ा दांव लगा रही है।
इसमें कोई आश्चर्य भी नहीं है क्योंकि सरकार ने हाल के दिनों में कई कंपनियों के साथ इलेक्ट्रिक वाहन संबंधित समझौतों (एमओयू) पर करार किया है। इससे 33,000 करोड़ रुपये का निवेश ला सकता है और 43,000 से अधिक रोजगार भी पैदा कर सकता है।
इसमें सॉफ्टबैंक के निवेश वाली ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी द्वारा कृष्णागिरि जिले के पोचमपल्ली में इलेक्ट्रिक दोपहिया, कार और लिथियम सेल बनाने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा एकीकृत केंद्र गीगा फैक्टरी स्थापित करने की घोषणा भी शामिल है।
इस कदम से उत्तर-पश्चिमी तमिलनाडु के होसुर-कृष्णागिरी-धर्मपुरी (एचकेडी) औद्योगिक पट्टी को इलेक्ट्रिक वाहन और इसकी सहायक इकाइयों के लिए भारत का उभरता केंद्र बनाने में मदद मिलेगी।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के फरवरी के लिए जारी किए आंकड़ों के मुताबिक देश में इलेक्ट्रिक दो पहिया वाहनों की तीन प्रमुख कंपनियां हैं। 17,647 इकाइयों के साथ ओला इलेक्ट्रिक, 12,583 के साथ टीवीएस मोटर और 9,982 के साथ ईथर एनर्जी।
सभी कृष्णागिरि जिले के हैं। इनमें से दो होसुर में हैं और एक पोचमपल्ली में है। शीर्ष तीन कंपनियों के अलावा कम से कम पांच अन्य अपकरण निर्माता या तो अपनी इलेक्ट्रिक वाहन इकाइयों की स्थापना कर रहे हैं या निर्माण शुरू कर दिया है। इनमें अशोक लीलैंड और स्कूटर बनाने वाली सिंपल एनर्जी शामिल है।
ईवी क्षेत्र पर तमिलनाडु का रणनीतिक फोकस रहने के कारण इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता अपनी इकाई लगाने के लिए इस क्षेत्र को पसंद करते हैं। विष्णु ने कहा, ‘हम राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक पूरा परिवेश तैयार कर रहे हैं। इसमें मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम), कल-पुर्जा बनाने वाली इकाइयां और चार्जिंग प्रणाली शामिल हैं।
होसुर और इसके आसपास के इलाकों में कल-पुर्जा विनिर्माण का दमदार परिवेश है और इसमें चार्जिंग भी शामिल होना चाहिए।’ जानकारों को लगता है कि इस क्षेत्र में ईवी के लिए उसी तरह का परिवेश तैयार होगा जैसा पेट्रोल इंजन वाले वाहनों के लिए चेन्नई का योगदान रहा है। चेनन्नई में देश का 30 फीसदी वाहन उद्योग और 35 फीसदी कल-पुर्जा उद्योग पहले से मौजूद है। चेन्नई के आसपास के क्षेत्रों में वाहन कंपनियां ईवी श्रेणी में अपनी पैठ बढ़ा रहे हैं।
एचकेडी पट्टी में विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने के लिए वाहन कंपनियां इसलिए भी आकर्षित हो रही हैं क्योंकि बेंगलूरु के आईटी एवं डिजाइन केंद्र से वह निकट है।
बेंगलूरु की कंपनी ईथर एनर्जी के वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हमारा उत्पादन संयंत्र की जगह निर्धारित करने का एक महत्त्वपूर्ण कारक डिजाइन संयंत्र से डिजाइन एवं इंजीनियरिंग टीमों की निकटता भी रहा है। होसुर से हमारे इंजीनियर आसानी से उत्पादन संयंत्र तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा हमें हमारे अधिकांश आपूर्तिकर्ताओं तक आसान पहुंच का भी लाभ मिला क्योंकि वे पूरी तरह स्थापित थे।’
इस क्षेत्र में कंपनी के दो संयंत्र हैं। 2021 में परिचालन शुरू होने वाले पहले संयंत्र में हर साल 4.30 लाख बैटरियों का उत्पादन होता है और यह एक विशेष स्थान के रूप में कार्य कर रहा है। नवंबर 2022 में शुरू हुए दूसरे संयंत्र की उत्पादन क्षमता बढ़ गई है और अब यह हर साल 4.20 लाख इकाइयों का उत्पादन कर रहा है।