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क्विक कॉमर्स की चाल से दो लाख किराना दुकानों ने तोड़ दिया दम

भारत में करीब 130 लाख किराना स्टोर हैं। ये स्टोर अभी भी देश में अपने विशाल नेटवर्क के साथ कारोबार की रीढ़ की हड्डी हैं। क्विक कॉमर्स का मूल आधार कम समय में डिलीवरी है।

Last Updated- October 30, 2024 | 7:16 PM IST
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भारत में क्विक कॉमर्स तेजी से फैलने के साथ खरीदारी के तरीकों को भी बदल दिया है। जोमैटो, स्विगी और ज़ेप्टो जैसी कंपनियां 10 मिनट में पड़ोस के गोदामों से डिलीवरी कर रही हैं। ये कंपनियां दूध, चॉकलेट से लेकर आईफोन तक बेच रही हैं। जिससे किराना दुकानों और सुपरमार्केट्स की बिक्री को प्रभावित हुई है। पिछले कुछ महीनों में देशभर में करीब दो लाख किराना दुकानें बंद हो चुकी है।

अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्पाद वितरक संघ (AICPDF) की हालिया रिपोर्ट में बताया गया कि क्विक कॉमर्स के तेजी से बढ़ने के कारण करीब 2 लाख किराना दुकानें बंद हो गई हैं। त्वरित वाणिज्य प्लेटफार्मों के तेजी से बढ़ने का सबसे अधिक असर महानगरीय क्षेत्रों में देखने को मिला है। इसके बाद टियर-1 शहरों ( 30 प्रतिशत) और टियर 2 एवं 3 शहरों (25 प्रतिशत) में किराना स्टोर बंद हुए हैं।

एआईसीपीडीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष धैर्यशील पाटिल ने कहा कि क्विक कॉमर्स पिछले आठ महीनों से सक्रिय और आक्रामक कारोबार शुरु किया है। वर्तमान में ऑनलाइन, ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म ने एक मानसिकता को बढ़ावा दिया है कि यदि कोई उत्पाद ऑनलाइन बेचा जाता है, तो अक्सर उस पर भारी छूट दी जानी चाहिए। ये कंपनियां बाजार में एकाधिकार स्थापित करने के लिए जितना संभव हो उतना छूट दे रही हैं ।

पाटिल ने बताया कि 75-80 प्रतिशत तक छूट वाली वस्तुएं किसी भी कंपनी के लिए न तो यथार्थवादी हैं और न ही टिकाऊ हैं, विशेष रूप से 10 मिनट में डिलीवरी के वादे के साथ। जिसका सीधा नुकसान किराना व्यापारियों को हुआ है।तेजी से बंद हो रही किराना दुकानों को बचाने के लिए एआईसीपीडीएफ ने सरकार से गुहार लगाई है।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग लिखे पत्र में एसोसिएशन ने भारी छूट के बारे में चिंता जताई, जो ई-कॉमर्स और त्वरित वाणिज्य तक जारी रही है, जिसमें बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स की स्थापना से जुड़े उच्च खर्चों पर जोर दिया गया है, जिससे नकदी की काफी हानि होती है।

संगठन ने परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और सीसीआई को पत्र लिखकर डार्क स्टोर के लिए फ्रेंचाइजी समझौतों के नियमों की कमी की ओर भी ध्यान दिलाया है, जिससे छोटे व्यापारियों को नुकसान होता है।

क्विक कॉमर्स स्पेस से मंडरा रहे खतरे को देखते हुए किराना स्टोर अब डिजिटल होने लगे हैं। किराना स्टोर तेजी से डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को अपना रहे हैं। इस साल सितंबर में जारी भारत में बी2बी ई-कॉमर्स अवसर शीर्षक वाली रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत के किराना स्टोर, जो परंपरागत रूप से खंडित और अकुशल व्यापार मॉडल पर निर्भर रहे हैं, अपने संचालन को सुव्यवस्थित करने के लिए तेजी से डिजिटल समाधान अपना रहे हैं। ग्रामीण किराना स्टोर औपचारिक ऋण और बेहतर ग्राहक सेवा के लिए बी2बी प्लेटफॉर्म को अपना रहे हैं।

कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि पहले बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा मॉडर्न ट्रेड के नाम से बाजारों में प्रवेश कर गलत तौर तरीके अपना कर परंपरागत किराना दुकानों का व्यापार छीना उसके बाद ऑनलाइन कंपनियों ने भारत के कानून की धज्जियां उड़ाकर व्यापार में प्रतिस्पर्धा कर किराना दुकान का व्यापार छीना और अब बच्ची कूची कसर निकालने के लिए त्वरित वाणिज्य यानी कि क्विक कॉमर्स आया जिसने तेजी से पैर पसारते हुए कुछ ही समय में देशभर में 2 लाख से अधिक किराना दुकानों को अपना व्यवसाय बंद करने पर मजबूर कर दिया।

भारत में करीब 130 लाख किराना स्टोर

ठक्कर ने कहा वक्त आ गया है की भारत सरकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किए जा रहे व्यापार को कानून के दायरे लाये एवं गलत तौर तरीके अपना कर किये जा रहे हैं व्यापार पर नकेल कसे । ताकि परंपरागत व्यापारियों को व्यापार से हाथ धोना ना पड़े।

भारत में करीब 130 लाख किराना स्टोर हैं। ये स्टोर अभी भी देश में अपने विशाल नेटवर्क के साथ कारोबार की रीढ़ की हड्डी हैं। क्विक कॉमर्स का मूल आधार कम समय में डिलीवरी है। बड़ी और विदेशी कंपनियां पैसे के बल पर बेहतरीन सुविधाएं दे रही है। हालांकि अधिकांश कंपनियां फिलहाल घाटे पर चल रही हैं लेकिन कारोबार बड़ा होने के कारण इस क्षेत्र में कंपनियां तेजी से निवेश कर रही हैं।

एक अनुमान के मुताबिक क्विक कॉमर्स की बिक्री इस साल 6 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है, जबकि 2020 में यह केवल 100 मिलियन डॉलर थी।

First Published - October 30, 2024 | 7:16 PM IST

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