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Waqf Amendment Bill: विपक्ष के भारी हंगामे के बीच वक्फ संबंधी संसदीय समिति की रिपोर्ट लोकसभा में पेश

कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने जेपीसी की रिपोर्ट में विपक्षी सदस्यों की आपत्तियों को शामिल नहीं करने का आरोप लगाते हुए इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन करार दिया।

Last Updated- February 13, 2025 | 2:27 PM IST
Rajya Sabha session (1)
Rajya Sabha during the Budget session of Parliament

वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट गुरुवार को विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच लोकसभा के पटल पर रखी गई। समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने रिपोर्ट को पटल पर रखा। वक्फ संबंधी संसदीय समिति की रिपोर्ट लोकसभा के पटल पर रखे जाने के बाद विपक्षी सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। इससे पहले, आज यह रिपोर्ट राज्यसभा के पटल पर भी रखी गई।

संसद के वर्तमान बजट सत्र के पहले चरण का आज आखिरी कामकाजी दिन है। समिति की रिपोर्ट गत 30 जनवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की सौंपी गई थी।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू द्वारा लोकसभा में पेश किए जाने के बाद आठ अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था। विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है।

कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने जेपीसी की रिपोर्ट में विपक्षी सदस्यों की आपत्तियों को शामिल नहीं करने का आरोप लगाते हुए इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन करार दिया और भारी हंगामे के बाद उच्च सदन से बहिर्गमन किया। हालांकि, सरकार ने विपक्ष के आरोपों को सच्चाई से परे बताते हुए उन्हें खारिज कर दिया और उस पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया।

संसदीय कार्यमंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि जेपीसी की पूरी रिपोर्ट को बगैर किसी संशोधन के पेश किया गया है और इसमें विपक्षी सदस्यों की असहमति की अभिव्यक्ति (डिसेंट नोट) को भी शामिल किया गया है। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के बहिर्गमन के बाद नेता सदन जेपी नड्डा ने आरोप लगाया कि वे ‘तुष्टीकरण’ की राजनीति के तहत राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास कर रहे हैं और ‘देश को कमजोर करने की साजिश’ रच रहे हैं।

उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि विपक्ष ने हंगामे और बहिर्गमन को ‘देशद्रोही गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए’ माध्यम बनाया। इससे पहले, सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ ही देर बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मेधा विश्राम कुलकर्णी ने समिति की रिपोर्ट सदन में पेश की। रिपोर्ट पेश होते ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और वामपंथी दल सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया। हंगामा कर रहे सदस्य आसन के निकट आ गए और नारेबाजी करने लगे।

हंगामे के बीच ही सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि वह राष्ट्रपति का एक संदेश सदन में पेश करना चाहते हैं। उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और सदन में व्यवस्था बनाने की अपील की। हालांकि, इसके बावजूद हंगामा जारी रहा।

नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कुछ कहना चाहते थे लेकिन सभापति ने इसकी अनुमति नहीं दी। धनखड़ ने कहा कि भारत की प्रथम नागरिक और राष्ट्रपति पद पर आसीन पहली आदिवासी महिला का संदेश है और इसे सदन में पेश न होने देना उनका अपमान होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसकी अनुमति (राष्ट्रपति के अपमान की) नहीं दूंगा।’’ धनखड़ ने हंगामा कर रहे सदस्यों से व्यवस्था बनाए रखने की अपील की और उन्हें कार्रवाई की चेतावनी भी दी। हंगामा जारी रहते देख उन्होंने 11 बजकर 09 मिनट पर सदन की कार्यवाही 11 बजकर 20 मिनट तक स्थगित कर दी। इसके बाद जब सदन की बैठक आरंभ हुई तो सभापति ने राष्ट्रपति का वह संदेश सुनाया जिसमें उन्होंने उच्च संसद की संयुक्त बैठक में हुए उनके अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए उच्च सदन के सदस्यों का आभार जताया था।

सदन के नेता नड्डा ने इस दौरान सदन में व्यवस्था नहीं रहने का मुद्दा उठाया और कहा कि परंपरा रही है कि राष्ट्रपति के संदेश को सही वातावरण में रखा जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन विपक्ष के सदस्यों ने इस दौरान गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाया, जिसकी जितनी निंदा की जाए, कम है।’’ सभापति धनखड़ ने इस बात पर गंभीर आपत्ति जताई कि राष्ट्रपति का संदेश पढ़े जाने के दौरान समीरुल इस्लाम, नदीमुल हक दोनों (तृणमूल कांग्रेस) और एम मोहम्मद अब्दुल्ला (द्रविड़ मुनेत्र कषगम) ने सदन में अव्यवस्था का माहौल बनाया।

उन्होंने तीनों के खिलाफ कार्रवाई के संकेत भी दिए। फिर उन्होंने नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अवसर दिया। खरगे ने कहा कि समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने ‘डिसेंट नोट’ दिए थे लेकिन उन्हें रिपोर्ट से निकाल दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ बहुमत सदस्यों के विचारों को रखकर उसे बुलडोज करना, ठीक नहीं है। यह निंदनीय है। यह लोकतंत्र-विरोधी है और प्रक्रियाओं के विरुद्ध है।’’

उन्होंने कहा कि दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि समिति में गैर-हितधारकों के भी बयान दर्ज किए गए। उन्होंने इसे ‘फर्जी रिपोर्ट’ करार देते हुए कहा कि इसे वापस लिया जाना चाहिए और समिति को वापस भेजा जाना चाहिए। खरगे ने कहा कि जहां तक बाद हंगामे की है तो उच्च सदन के सदस्य व्यक्तिगत कारणों से नहीं बल्कि एक समुदाय के साथ हो रहे अन्याय के कारण प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह किसी एक व्यक्ति के बारे में नहीं है। ये सदस्य अपने लिए प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, वे उस समुदाय के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं जिसके खिलाफ अन्याय किया जा रहा है।’’

द्रमुक के तिरुचि शिवा और आप के संजय सिंह ने भी रिपोर्ट से असहमति नोट हटाने पर आपत्ति जताई। संसदीय कार्य मंत्री रीजीजू ने हालांकि इस आरोप से इनकार किया। उन्होंने कहा, ‘‘रिपोर्ट के किसी भी हिस्से को हटाया नहीं गया है। सभा को गुमराह मत कीजिए। विपक्षी सदस्य अनावश्यक मुद्दे बना रहे हैं। यह आरोप गलत है।’’

केंद्रीय मंत्रियों भूपेंद्र यादव और निर्मला सीतारमण ने भी विपक्षी दलों पर उच्च सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया, जिसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच एक बार फिर तीखी नोंकझोंक हुई। कांग्रेस के सैयद नासिर हुसैन ने रीजीजू पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा, ‘‘मेरे खुद के असहमति नोट को संपादित किया गया है।’’

तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले ने कहा कि यह धार्मिक नहीं बल्कि संवैधानिक मुद्दा है। रीजीजू ने दोहराया कि रिपोर्ट में सभी अनुलग्नक हैं और कुछ भी नहीं निकाला गया है। इसके बाद, सभापति ने प्रश्नकाल आरंभ कराया लेकिन इससे पहले यह शुरु होता, विपक्षी सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए। नड्डा ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि आसन की ओर से अपना पक्ष और चिंताओं को रखने का हर मौका दिए जाने के बाद विपक्ष का व्यवहार दर्शाता है कि वे राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष ने बहुत गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार किया है। इसकी निंदा होनी चाहिए। यह तुष्टीकरण की राजनीति है। ये देश को कमजोर करने के लिए… औा सबसे बड़ा सवाल है कि कुछ लोग देश को तोड़ने की साजिश रच रहे हैं। कुछ लोग ‘इंडियन स्टेट’ के खिलाफ लड़ रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि विपक्ष का आज का बहिर्गमन कार्यवाही में दर्ज होना चाहिए कि ‘ये देशद्रोही गतिविधियों को प्रोत्साहित करने का एक माध्यम है, एक अभिव्यक्ति है’। उन्होंने आरोप लगाया कि जो लोग देश को खंडित करना चाहते हैं, कांग्रेस और विपक्ष उनके हाथ मजबूत करने का काम कर रहे हैं।

First Published - February 13, 2025 | 2:13 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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