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भारत के दुश्मनों की नींद उड़ाने वाला S-400 क्या है? जानिए कितने हैं हमारे पास और कितनी दूर तक मार करता है!

S-400 एक आधुनिक मिसाइल प्रणाली है जिसे रूस की अलमाज़ डिज़ाइन ब्यूरो ने बनाया है।

Last Updated- May 08, 2025 | 9:51 PM IST
S-400 India

7 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच हालात अचानक और तनावपूर्ण हो गए जब भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम की सैन्य कार्रवाई के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। यह हमले खास तकनीक और टारगेटिंग सिस्टम की मदद से किए गए। इसके बाद दोनों देशों के बीच हवाई झड़पें शुरू हो गईं। भारत ने बताया कि उसने पाकिस्तान की तरफ से किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम कर दिया और साथ ही लाहौर में एक एयर डिफेंस सिस्टम को भी नष्ट कर दिया।

भारतीय वायुशक्ति में जबरदस्त बढ़ोतरी

बीते कुछ वर्षों में भारत ने अपनी वायुशक्ति में भारी इज़ाफा किया है। इसमें से सबसे अहम हथियार है रूस से खरीदा गया S-400 एयर डिफेंस सिस्टम, जिसे भारतीय सेना में ‘सुदर्शन चक्र’ नाम दिया गया है। इस प्रणाली ने भारत की वायु सीमाओं की सुरक्षा को और मज़बूत बना दिया है, खासकर ऐसे समय में जब सीमा पर तनाव अपने चरम पर है।

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S-400 ‘सुदर्शन चक्र’ क्या है?

S-400 एक आधुनिक मिसाइल प्रणाली है जिसे रूस की अलमाज़ डिज़ाइन ब्यूरो ने बनाया है। यह सिस्टम जमीन से हवा में लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें लॉन्च करता है। इसकी खासियत यह है कि यह एक साथ कई तरह के हवाई ख़तरों जैसे ड्रोन, स्टेल्थ फाइटर जेट, क्रूज़ मिसाइल और यहां तक कि बैलिस्टिक मिसाइलों को भी पहचान कर उन्हें गिरा सकता है।

इस सिस्टम का पूरा सेटअप काफी बड़ा और ताकतवर होता है। हर S-400 स्क्वॉड्रन में दो बैटरियां होती हैं, और हर बैटरी में छह लॉन्चर, कंट्रोल सिस्टम, निगरानी रडार और टारगेट लॉक रडार शामिल होते हैं। एक बैटरी 128 मिसाइलों को संभाल सकती है।

भारत ने कितने S-400 खरीदे हैं?

भारत ने रूस से 2018 में करीब ₹35,000 करोड़ यानी लगभग 5.4 अरब डॉलर की डील की थी, जिसके तहत पांच S-400 स्क्वॉड्रन मिलने थे। अभी तक तीन स्क्वॉड्रन भारत को मिल चुके हैं और बाकी दो स्क्वॉड्रन 2026 तक भारत आने की उम्मीद है। इन स्क्वॉड्रनों को भारत के अलग-अलग रणनीतिक इलाकों में तैनात किया गया है, जिससे दुश्मन की किसी भी हवाई घुसपैठ को रोका जा सके।

S-400 सिस्टम की ताकत क्या है?

S-400 सिस्टम दुश्मन के हवाई हमलों को 400 किलोमीटर तक की दूरी और 30 किलोमीटर की ऊँचाई तक पहचान कर खत्म कर सकता है। इसकी मिसाइलें अलग-अलग रेंज की होती हैं — कुछ 40 किलोमीटर तक के छोटे टारगेट के लिए होती हैं, कुछ 120 किलोमीटर, 250 किलोमीटर और सबसे लंबी 400 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली होती हैं।

यह सिस्टम एक साथ 160 हवाई लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है और उनमें से 72 को एक साथ निशाना बना सकता है। इसमें खास किस्म के रडार होते हैं जो दुश्मन के इलैक्ट्रॉनिक जैमिंग को भी नाकाम कर सकते हैं। भारतीय वायुसेना के अभ्यासों में इस सिस्टम ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 80 प्रतिशत दुश्मन टारगेट को सफलतापूर्वक “सिमुलेटेड” हालात में खत्म किया था।

दुनिया में और कौन से देश S-400 चला रहे हैं?

S-400 सिस्टम सबसे पहले और सबसे ज़्यादा रूस ही चला रहा है क्योंकि वही इसका निर्माता है। इसके अलावा चीन पहला ऐसा देश था जिसने 2014 में इसे खरीदा और 2018 तक इसकी डिलीवरी ले ली। इसके बाद तुर्किये ने भी 2017 में इसे खरीदा, जिससे NATO देशों के साथ उसके रिश्तों में खटास आ गई क्योंकि यह सिस्टम अमेरिकी हथियारों के साथ मेल नहीं खाता।

अल्जीरिया ने भी S-400 सिस्टम को अपनाया है, लेकिन उसकी तैनाती की जानकारी बहुत कम सामने आई है। बेलारूस ने भी रूस से यह सिस्टम लिया है और कुछ जगहों पर इसे रूसी सैनिक ही चला रहे हैं। सीरिया में भी S-400 तैनात किया गया है, लेकिन वहां इसे सीरियाई सेना नहीं बल्कि रूस की खुद की सेना ऑपरेट करती है, खासकर लताकिया के खमीमिम एयरबेस से।

First Published - May 8, 2025 | 9:41 PM IST

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