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Z-Morh Tunnel: ₹2400 करोड़ से बनी यह टनल भारत के लिए रणनीतिक तौर पर कितनी खास? PM मोदी ने किया उद्घाटन; जानिए हर डीटेल

Z-Morh टनल सिर्फ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी का ही उदाहरण नहीं है, बल्कि यह सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और कनेक्टिविटी के नजरिए से भी भारत के लिए महत्वपूर्ण है।

Last Updated- January 13, 2025 | 1:44 PM IST
Z-Morh Tunnel
Z-Morh टनल 6.4 किलोमीटर लंबी है, जिसके माध्यम से कश्मीर के सोनमर्ग को गंदरबल जिले के कंगन टाउन को कनेक्ट किया जाएगा। फोटो: PTI

Z-Morh Tunnel: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जम्मू-कश्मीर में भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण Z-Morh टनल का उद्घाटन किया। यह टनल जम्मू कश्मीर के गंदरबल जिले में पड़ता है। 8,650 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह टनल न सिर्फ कश्मीर के पर्यटन के लिहाज से जरूरी है बल्कि रणनीतिक तौर पर भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह टनल कश्मीर और लद्दाख के बीच की कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाएगा और ठंड के मौसम में अंदरूनी कश्मीर से देश के बाकी हिस्सों को जोड़ने में मदद करेगा।

Z-Morh टनल 6.4 किलोमीटर लंबी है, जिसके माध्यम से कश्मीर के सोनमर्ग को गंदरबल जिले के कंगन टाउन को जोड़ा जाएगा। साथ ही इस टनल के खुल जाने से कश्मीर के अंदरूनी क्षेत्रों का आवागमन बर्फबारी के मौसम में भी आसान हो जाएगा, क्योंकि इसका इस्तेमाल सालों भर किया जा सकेगा।

Z-Morh Tunnel: भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण

जम्मू-कश्मीर में सड़क परिवहन को लेकर हमेशा से कई चुनौतियां रही हैं। घाटी के इस क्षेत्र में भारी बर्फबारी, हिमस्खलन और तूफान के चलते अक्सर मुख्य मार्ग बंद हो जाते थे। खासकर सोनमर्ग, जो अपनी बर्फीली वादियों, खूबसूरत घास के मैदान के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, पहुंचना सर्दियों में एक असंभव सा काम बन जाता था। यहां इतनी बर्फबारी होती है कि सर्दियों के दौरान महीनों तक यातायात के सारे रास्ते बंद हो जाते थे। इस क्षेत्र की एक बड़ी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है। अगर यह देश के बाकी हिस्सों से कट जाता है तो इसका असर पर्यटन पर भी पड़ता है।

इसके अलावा अगर बात लद्दाख की करें तो सर्दियों के मौसम में लद्दाख पहुंचने के लिए हवाई मार्ग ही एकमात्र विकल्प रह जाता था, क्योंकि भारी बर्फबारी के चलते सड़क मार्ग को अक्सर बंद कर दिया जाता था। इस टनल के माध्यम से वहां पहुंचना भी आसान हो जाएगा। इसके साथ ही यह सड़क लद्दाख और कश्मीर के अन्य हिस्सों में भारत के सैन्य पहुंच को भी आसान बनाएगा। इस टनल का डिजाइन इस प्रकार से किया गया है कि यह आम लोगों और सेना, दोनों के द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है।

10 से ज्यादा समय और कई चुनौतियां

यह प्रोजेक्ट मूल रूप से 2012 में बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (BRO) द्वारा बनाई गई थी। सबसे पहले इसे बनाने का टेंडर टनलवे लिमिटेड को सौंपा गया था, लेकिन कई कारणों से इसके निर्माण कार्य के शुरू होने में देरी हुई। इसके बाद नेशनल हाईवे और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) ने इसे संभाल लिया और नए टेंडर जारी किए। इस टेंडर को एपीसीओ इंफ्राटेक ने जीता, और एक विशेष उद्देश्य वाहन (Special Purpose Vehicle) एपीसीओ-श्री अमरनाथजी टनल प्राइवेट लिमिटेड के रूप में काम शुरू किया। इस प्रोजेक्ट का पूरा खर्चा लगभग 24,00 करोड़ रुपए था।

हालांकि, टनल के निर्माण को पूरा करने का लक्ष्य अगस्त 2023 था, लेकिन समय सीमा में देरी हुई और फरवरी 2024 में टनल का एक सॉफ्ट उद्घाटन हुआ। हालांकि, अंतिम उद्घाटन जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए लागू मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (MCC) के कारण स्थगित कर दिया गया था, और आज इसका प्रधानमंत्री मोदी उद्घाटन करेंगे।

रणनीतिक तौर पर यह बहुत जरूरी

Z-Morh टनल प्रोजेक्ट पर्यटन और कनेक्टिविटी के लिहाज से जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही यह भारत की सुरक्षा दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। Z-Morh जोजिला टनल प्रोजेक्ट का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य श्रीनगर और लद्दाख के बीच सालों भर मजबूत कनेक्टिविटी स्थापित करना है। Z-Morh टनल सोनमर्ग से बाकी हिस्सों को सालों भर जोड़े रखेगा, वहीं जोजिला टनल सोनमर्ग को लद्दाख से जोड़ने का काम करेगा। जोजिला टनल लगभग 12,000 फीट की ऊंचाई पर बन रहा है, जिसका निर्माण कार्य दिसंबर 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।

अब बात करते हैं इस टनल के रणनीतिक महत्व पर। भारत का पाकिस्तान और चीन से लंबा सीमा विवाद है। लद्दाख में साल 2020 में भारतीय सेना और चीनी सैनिकों में झड़प भी हुई थी। इसके बाद से सुरक्षा की दृष्टि से यह क्षेत्र और भी संवेदनशील हो गया है। Z-Morh और भविष्य में जोजिला टनल के निर्माण के बाद भारतीय सेना की पहुंच इन क्षेत्रों में बहुत आसान हो जाएगी। अभी ठंड के मौसम में भारतीय सेना पूरी तरह से कनेक्टिविटी के लिए हवाई मार्ग पर निर्भर रहती है, जिससे आर्थिक नुकसान भी होता है।

साथ ही सियाचिन ग्लेशियर और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) के साथ जुड़े विवादित क्षेत्रों तक पहुंचने में भी यह भारतीय सेना के लिए मददगार साबित होगी।

पर्यटन बढ़ेगा, इलाके का विकास होगा

Z-Morh टनल रणनीतिक महत्व के साथ साथ इलाके के विकास और पर्यटन के लिए भी जरूरी है। सोनमर्ग और अंदरूनी कश्मीर का कई इलाका पर्यटन से जुड़े व्यवसाय पर ही पूरी तरह निर्भर है। अगर वहां पहुंचने के लिए कनेक्टिविटी आसान हो जाएगी तो वहां और अधिक संख्या में पर्यटक पहुंचेगे, जिसका सीधा लाभ वहां के लोगों, व्यापारियों और अन्य व्यवसाय को पहुंचेगा। अभी ठंड के मौसम में बर्फबारी की वजह से वहां रास्ता बिल्कुल बंद हो जाता है, जिसकी वजह से पर्यटकों का वहां पहुंचना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसके चलते वहां लंबे समय तक लोगों के पास कोई काम नहीं होता है, जिसकी वजह से उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है।

साथ ही यह लद्दाख के साथ व्यापार के लिए भी जरूरी है। बेहतर कनेक्टिविटी के बाद इस क्षेत्र में अधिक निवेश आएगा, जो स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देगा और स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार करेगा।

तकनीक का बेजोड़ इस्तेमाल

कश्मीर के मौसम की जटिलताओं को देखते हुए Z-Morh टनल को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह सभी मौसम में खुला रहे। इस टनल की लंबाई 6.5 किलोमीटर है, और इसका निर्माण न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) से किया गया है, जिससे टनल के स्ट्रक्चर को बहुत मजबूत बना गया है। इसके अलावा, बर्फबारी और हिमस्खलन से बचाव के लिए इसमें स्पेशल टेक्नोलॉजी दी गई है, जिससे इस मौसम में भी इसे सुचारू ढंग से इस्तेमाल किया जा सकेगा।

इस टनल के भीतर इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ITMS) स्थापित किया गया है, जो हर स्थिति में ट्रैफिक की सही निगरानी करता है। इसके अलावा, टनल में लगातार रौशनी, वेंटिलेशन सिस्टम और स्वचालित सुरक्षा सुविधाएं प्रदान की गई हैं, जो इसे सर्दी, गर्मी या बारिश में भी इस्तेमाल के योग्य बनाती है। Z-Morh सिर्फ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी का ही उदाहरण नहीं है, बल्कि यह सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और कनेक्टिविटी को भारत के एक सबसे अलग-थलग पड़े क्षेत्र को जोड़ने का संकल्प है।

First Published - January 13, 2025 | 11:24 AM IST

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