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देश में खेलों के मैदान में भी सुरक्षित नहीं महिलाएं!

Last Updated- May 14, 2023 | 11:21 PM IST
Women are not safe even in the playgrounds in the country!
PTI

मई की गर्म सुबह और इस हवा में दर्द महसूस हो रहा है। दिल्ली के बीचो-बीच मौजूद 18वीं सदी की वेधशाला जंतर-मंतर की दीवार के ठीक पार एक हाई-प्रोफाइल विरोध प्रदर्शन चल रहा है। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर भारत के शीर्ष पहलवानों को यहां एकत्र हुए 15 दिन से अधिक समय हो गया है जिनमें ओलिंपियन भी शामिल हैं। डब्ल्यूएफआई के प्रमुख खिलाफ कई खिलाड़ियों ने यौन शोषण और धमकी के आरोप लगाए हैं।

यहां जैसे ही घड़ी में 11.30 बजते हैं सभी राष्ट्रगान गाने के लिए उठते हैं। कुछ दिन पहले, हरियाणा के किसानों ने पुलिस बैरिकेड तोड़कर इन खिलाड़ियों का साथ दिया था। खाप पंचायतों ने भी इन्हें अपना समर्थन दिया है। पहलवानों की याचिका पर ही देश की शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया जिसके बाद सिंह के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गई।

हालांकि जांच जारी रहेगी लेकिन जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन ने एक ऐसे मुद्दे पर सुर्खियां बटोरी हैं, जिस पर खेलों में शायद ही कभी बात की जाती है और वह है यौन उत्पीड़न का मामला।

विभिन्न खेलों के खिलाड़ियों से पूछा जाए तो उनका कहना है कि खेल में यौन शोषण की बात असामान्य नहीं है, लेकिन अक्सर इसे दबा दिया जाता है। सोनीपत के कुश्ती कोच संदीप दहिया आंदोलन शुरू होने के बाद से विरोध-प्रदर्शन स्थल पर डटे हुए हैं। वह कहते हैं, ‘यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होता है।’

राष्ट्रीय स्तर के एक एथलीट ने नाम न छापने की शर्त पर बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि ऐसे वरिष्ठ कोच हैं जो युवा महिला खिलाड़ियों का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं।

उन्होंने एक जूनियर खिलाड़ी के साथ हुई घटना के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि उनके कोच ने टीम के लिए चुने गए खिलाड़ियों की अंतिम सूची की घोषणा करने के बहाने उस जूनियर खिलाड़ी को एक कमरे में बुलाया था। एथलीट ने कहा, ‘हम तब सीनियर टीम में थे और हमें पता चला कि कोच कुछ गड़बड़ कर रहे थे क्योंकि किसी और को इस घोषणा के बारे में नहीं बताया गया था। हमने उसे नहीं जाने के लिए कहा।’

जूनियर खिलाड़ी ने उनकी सलाह पर ध्यान देते हुए ऐसा ही किया। उन्होंने बताया कि अगली सुबह कोच नाराज दिखाई दिए और उन्होंने जूनियर खिलाड़ी को फटकार लगाई और सीनियर टीम को बिना किसी स्पष्टीकरण के अतिरिक्त दौड़ने के लिए मजबूर कर दिया। एथलीट कहती हैं, ‘मेरा मानना है कि हमने कुछ गलत होने की घटना को भांप लिया था जिसकी वजह से उस लड़की के साथ कुछ बुरा नहीं हो पाया।’

हालांकि यह मामला अटकलों के दायरे में हो सकता है और उनका कहना है कि 2010 के दशक के मध्य में, विभिन्न महासंघों से यौन उत्पीड़न के करीब छह मामले सामने आए थे।

एथलीट कहती हैं, ‘इस तरह की घटनाओं की रिपोर्ट करने की जिम्मेदारी महिलाओं पर है। उन्हें आगे आना चाहिए और इसके बारे में अधिक खुलकर बात करनी चाहिए, हालांकि मैं उनके ऐसा नहीं करने के कई कारणों को भी समझती हूं।’ अधिवक्ता और महिला अधिकार कार्यकर्ता वृंदा ग्रोवर ने इन कारणों के बारे में बताया।

वह कहती हैं, ‘यह सच है कि सभी महिलाओं के लिए उत्पीड़न की घटनाओं का रिपोर्ट करना मुश्किल है और यह विशेष रूप से तब और कठिन हो जाता है जब इसमें शक्ति का एक पहलू शामिल हो जाता है जहां उत्पीड़न करने वाला निर्णय लेने वाला महत्त्वपूर्ण शक्ति केंद्र बन जाता है।’

बिज़नेस स्टैंडर्ड ने जिन खिलाड़ियों से बात की उनमें से अधिकांश खेलों और उससे जुड़े फेडरेशन में पुरुषों का दबदबा है और पुरुष ही सत्ता के शीर्ष पदों पर आसीन हैं ऐसे में कुछ बोलना और भी मुश्किल हो जाता है। एक अन्य खिलाड़ी जो अपना नाम नहीं बताना चाहती हैं, उनका कहना है कि इस तरह के उदाहरण उनके क्षेत्र में भी आम हैं। उन्होंने कहा, ‘कई बार कोच आपसे कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता होने वाली है और अगर वे इसमें भाग लेना चाहती हैं तो उन्हें उनकी बात सुननी होगी।’

ऐसी ही एक घटना ने पिछले साल जून में साइक्लिंग की दुनिया में हुई जब एक शीर्ष भारतीय साइक्लिस्ट ने स्लोवेनिया में एक प्रशिक्षण दौरे के दौरान कोच आर के शर्मा पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। हालांकि इसके बाद भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने शर्मा का अनुबंध समाप्त कर दिया।

साई ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के ईमेल से भेजे गए सवालों का जवाब नहीं दिया। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने जिन स्पोर्ट्स फेडरेशन और एसोसिएशन को यौन उत्पीड़न की शिकायतों के बारे में जानकारी देने के लिए लिखा था उनमें से अधिकांश ने कोई जवाब नहीं दिया। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने पूछा था कि वे यौन उत्पीड़न शिकायतों से जुड़ी सूचना के बारे में जानकारी दे या उनके पास यौन उत्पीड़न रोकथाम (पीओएसएच) अधिनियम के तहत अनिवार्य रूप से आंतरिक शिकायत समितियां (आईसीसी) हैं या नहीं।

इनमें, ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन, साइक्लिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया, हॉकी इंडिया और बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया शामिल थे। इन सभी प्रमुख खेल फेडरेशन की वेबसाइट के अनुसार उनके यहां आईसीसी है। इनमें से केवल भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) ने ही इसका जवाब दिया।

एनआरएआई के सचिव राजीव भाटिया ने ईमेल के जरिये अपने जवाब में कहा, ‘हमें हाल के दिनों में कोई शिकायत नहीं मिली है। हमारे यहां एक शिकायत समिति है जिसमें बाहरी सदस्य है। उन्होंने कहा, ‘समिति ने 13 फरवरी 2023 को नई दिल्ली में डा. कर्णी सिंह निशानेबाजी रेंज में कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें सभी खिलाड़ी, कोच, सहयोगी स्टाफ और फेडरेशन के अधिकारी मौजूद थे।’

First Published - May 14, 2023 | 11:21 PM IST

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