यूपी सरकार ने शराब से होने वाली कमाई (एक्साइज रेवेन्यू) का नया टारगेट सेट कर दिया है। अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 (FY26) में सरकार की नजर ₹60,000 करोड़ जुटाने पर है। इस साल ₹58,000 करोड़ का लक्ष्य रखा गया था, मगर अब तक सरकार सिर्फ ₹31,000 करोड़ ही कमा पाई है। पिछले सालों में भी रेवेन्यू बढ़ा तो था, लेकिन उम्मीद से कम रहा। FY23 में ₹41,250 करोड़ और FY24 में ₹47,600 करोड़ का कलेक्शन हुआ था।
अब सरकार ने एक्साइज पॉलिसी में कुछ बड़े बदलाव किए हैं। e-लॉटरी सिस्टम लागू कर दिया गया है, यानी शराब, बियर और वाइन की दुकानों का आवंटन अब डिजिटल लॉटरी से होगा। जो लोग पहले से लाइसेंस होल्डर हैं, वे FY27 में e-लॉटरी के जरिए अपना लाइसेंस रिन्यू करा सकेंगे। ये सब इसीलिए किया गया ताकि कोई गड़बड़ी न हो और सबको बराबरी का मौका मिले।
सरकार किसानों के लिए भी कुछ खास लेकर आई है। अब वाइन बनाने में बागवानी फसलों (फलों) का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा, जिससे गांवों के किसानों को अच्छी आमदनी मिल सके। इससे ना सिर्फ फलों की बिक्री बढ़ेगी, बल्कि गांवों की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
शराब कारोबारियों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है, लेकिन उनकी एक डिमांड ये भी है कि बियर और वाइन की दुकानों के लिए ज्यादा जगह दी जाए। हालांकि, मॉल और मल्टीप्लेक्स में प्रीमियम शराब की दुकान खोलने की इजाजत नहीं मिलेगी। हां, एयरपोर्ट, मेट्रो और रेलवे स्टेशनों पर ये दुकानें खुल सकती हैं, लेकिन उसके लिए लोकल अथॉरिटी की मंजूरी जरूरी होगी।
अब सरकार इस टारगेट को पूरा करने के लिए कमर कस चुकी है। टैक्स चोरी और अवैध शराब के धंधे पर सख्ती होगी ताकि कोई भी गैर-कानूनी तरीके से सरकार की कमाई में सेंध न लगा सके। साथ ही, तस्करी पर लगाम लगाई जाएगी, जिससे असली कारोबारियों और सरकार—दोनों का फायदा हो।
यूपी भारत का नंबर-1 एथेनॉल प्रोड्यूसर भी है, और सरकार इस मौके को भी भुनाना चाहती है। एथेनॉल का इस्तेमाल दवाओं, केमिकल्स, शराब और पेट्रोल में मिलाने के लिए किया जाता है। ज्यादा एथेनॉल बनने से गन्ना किसानों को समय पर भुगतान मिलेगा और भारत का तेल आयात बिल भी कम होगा।