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अमेरिका से लंबे अनुबंधों में लगेगा वक्त

कमोडिटी मार्केट एनालिस्ट फर्म केप्लर के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका से कच्चे तेल का आयात जनवरी महीने में मासिक आधार पर 3.2 गुना बढ़कर 2,79,000 बैरल प्रतिदिन हो गया है।

Last Updated- March 09, 2025 | 10:23 PM IST
There is speculation about 2025 in the global crude oil trade
प्रतीकात्मक तस्वीर

अमेरिका से हाल में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की खरीद में तेजी के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ ऊर्जा कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि अमेरिका के साथ संभावित दीर्घावधि अनुबंधों पर औपचारिक बातचीत में अभी वक्त लगेगा।

डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन अमेरिकी उत्पादकों के साथ भारत के सावधि अनुबंधों की शर्तों पर बातचीत करने को लेकर उत्सुक है, वहीं भारत की दोनों तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) और गैस आयातकों ने कहा कि वे अभी भी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।

अमेरिका से ऊर्जा के आयात में अचानक बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है, जब तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) की हाजिर कीमतें जल्द ही गिरने वाली हैं क्योंकि नई मात्रा आने वाली है। वहीं युद्ध के कारण औद्योगिक मांग गिरने के भय से ब्रेंट क्रूड की कीमत मार्च की शुरुआत में 3 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई। अधिकारियों ने कहा कि इसकी वजह से सरकारी कंपनियां अभी देखो और इंतजार करो की स्थिति में हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र की रिफाइनरी से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, ‘जनवरी में (अमेरिका से) तेल आयात में तेजी आई है। लेकिन रूस से आयात में आई कमी की वजह से जरूरतें पूरी करने के लिए ऐसा किया गया। निश्चित रूप से अमेरिका के हाजिर बाजार से तेल की खरीद बढ़ेगी, अगर रूस पर लगे प्रतिबंध में राहत नहीं मिलती है। लेकिन सावधि अनुबंधों पर चर्चा शुरू करने के लिए स्थिति का आकलन करने में अभी और वक्त की जरूरत होगी।’

कमोडिटी मार्केट एनालिस्ट फर्म केप्लर के पिछले सप्ताह के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका से कच्चे तेल का आयात जनवरी महीने में मासिक आधार पर 3.2 गुना बढ़कर 2,79,000 बैरल प्रतिदिन हो गया है।

अमेरिका से कच्चे तेल का आयात ट्रंप के पहले कार्यकाल से ही बढ़ रहा है। आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021 में अमेरिका से तेल आयात, भारत के कुल आयात का 9 प्रतिशत हो गया, जो वित्त वर्ष 2018 में 0.7 प्रतिशत था। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अमेरिका ने प्राकृतिक गैस के निर्यात बढ़ाने पर जोर देना शुरू कर दिया, जिससे सभी आधिकारिक वार्ताएं गैर पर केंद्रित हो गईं।
उन्होंने कहा, ‘वे कच्चे तेल का निर्यात भी करना चाहते हैं। लेकन अब तक प्राथमिकता अमेरिकी एलएनजी संपत्तियों के तेज पूंजीकरण पर रहा है। आपूर्ति समझौतों को तेजी से अंतिम रूप देने की भी जरूरत है, क्योंकि तमाम उत्पादक उत्पादन बढ़ाने वाले हैं।’

अमेरिका एलएनजी का सबसे बड़ा एलएनजी निर्यातक है, जिसकी शिपमेंट इस दशक के अंत तक दोगुनी होने की संभावना है। अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (आईईए) के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत को एलएनजी शिपमेंट 2020 की शुरुआत से तेजी से बढ़नी शुरू हुई, जब कोविड महामारी आई थी। मई 2021 में गिरावट शुरू होने के पहले मासिक कारोबार की मात्रा बढ़कर 28,259 मिलियन घन फुट हो गई थी। अक्टूबर, 2023 में मात्रा 13,698 मिलियन घन फुट थी। उसके बाद आईईए ने मासिक आंकड़े जारी करना बंद कर दिया।

अधिकारियों ने कहा कि अगर सरकारों में सहमति होती भी है तो अलग-अलग कंपनियों के बीच ऊर्जा आपूर्ति पर बातचीत आमतौर पर लंबे समय तक चलती है। उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी एलएनजी आयातक पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड ने 2019 में लुइजियाना में अमेरिकी एलएनजी कंपनी टेल्यूरियन की परियोजना में 2.5 अरब डॉलर की हिस्सेदारी खरीदने के लिए एक प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर किया, जिसके बदले में उसे 40 वर्षों के लिए गैस आपूर्ति मिलेगी। बहरहाल समझौते को अंतिम रूप देने के लिए बातचीत की अवधि बढ़ने के कारण पेट्रोनेट ने 5 मिलियन टन सालाना एलएनजी आयात के लिए गैर बाध्यकारी समझैते की घोषणा की थी, जिसकी अवधि खत्म हो गई है।
अधिकारियों ने कहा कि पहले के अनुभवों से भी संभावित आपात स्थिति के बेहतर आकलन की जरूरत का पता चलता है।

First Published - March 9, 2025 | 10:23 PM IST

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