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BRICS Summit: आतंकवाद को लेकर नहीं होना चाहिए ‘दोहरा मापदंड’; भारत युद्ध का नहीं बल्कि संवाद, कूटनीति का समर्थन करता है- PM मोदी

PM मोदी ने युद्ध, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों पर चिंता जताई और कहा कि ब्रिक्स विश्व को सही रास्ते पर ले जाने में सकारात्मक भूमिका भूमिका निभा सकता है।

Last Updated- October 23, 2024 | 4:56 PM IST
BRICS Summit: There should be no 'double standards' regarding terrorism; India supports dialogue and diplomacy, not war: PM Modi BRICS Summit: आतंकवाद को लेकर नहीं होना चाहिए 'दोहरा मापदंड'; भारत युद्ध का नहीं बल्कि संवाद, कूटनीति का समर्थन करता है-PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस-यूक्रेन विवाद का समाधान शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से करने का स्पष्ट रूप से आह्वान करते हुए बुधवार को यहां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कहा कि भारत युद्ध का नहीं बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थन करता है। अपने संबोधन में मोदी ने युद्ध, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसी चुनौतियों पर चिंता जताई और कहा कि ब्रिक्स विश्व को सही रास्ते पर ले जाने में सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम युद्ध का नहीं, बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थन करते हैं। और जिस तरह हम एक साथ मिलकर कोविड जैसी चुनौती से पार पाने में सक्षम हुए, उसी तरह हम भावी पीढ़ियों के वास्ते सुरक्षित, मजबूत और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए नए अवसर पैदा करने में निश्चित रूप से सक्षम हैं।’’

रूस के कजान शहर में 22 से 24 अक्टूबर तक 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग सहित ब्रिक्स देशों के शीर्ष नेता भाग ले रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद से निपटने के लिए ठोस वैश्विक प्रयासों की भी वकालत की और कहा कि इस खतरे से लड़ने में कोई ‘‘दोहरा मापदंड’’ नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा ‘‘आतंकवाद और इसके वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए, हमें सभी के एकनिष्ठ, दृढ़ समर्थन की आवश्यकता है। इस गंभीर मामले पर दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं है। साथ ही मोदी ने कहा कि समूह के देशों को युवाओं में कट्टरपंथ को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा ‘‘हमें अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र में व्यापक समझौते के लंबित मुद्दे पर मिलकर काम करना होगा।’’  उन्होंने कहा कि इसी तरह ‘‘हमें साइबर सुरक्षा, सुरक्षित और संरक्षित एआई के लिए वैश्विक नियमन के वास्ते काम करने की आवश्यकता है।’’

मोदी ने कहा कि भारत भागीदार देशों के रूप में ब्रिक्स में नए देशों का स्वागत करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, ‘‘इस संबंध में सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाने चाहिए और ब्रिक्स के संस्थापक सदस्यों के विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए।’’

मोदी ने कहा, ‘‘जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन के दौरान अपनाए गए मार्गदर्शक सिद्धांतों, मानकों, मानदंडों और प्रक्रियाओं का सभी सदस्यों और भागीदार देशों द्वारा अनुपालन किया जाना चाहिए।’’

प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य वैश्विक निकायों में सुधार की भी वकालत की। उन्होंने कहा, ‘‘हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, बहुपक्षीय विकास बैंकों और विश्व व्यापार संगठन जैसे वैश्विक संस्थानों में सुधारों पर समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए।’’

मोदी ने कहा, ‘‘जब हम ब्रिक्स में अपने प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं, तो हमें यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहना चाहिए कि इस संगठन की छवि ऐसी न बने कि यह वैश्विक संस्थानों को बदलने की कोशिश कर रहा है, बल्कि यह समझा जाए कि यह संगठन उन्हें सुधारने की इच्छा रखता है।’’

मोदी ने यह भी तर्क दिया कि ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों की आशाओं, आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द 1960 के दशक में चलन में आया। यह शब्द आम तौर पर लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया के क्षेत्रों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। खासकर इसका मतलब, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बाहर, दक्षिणी गोलार्द्ध और भूमध्यरेखीय क्षेत्र में स्थित ऐसे देशों से है जो ज्यादातर कम आय वाले हैं और राजनीतिक तौर पर भी पिछड़े हैं।

‘ब्रिक्स’ संगठन की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने इसे ऐसा संगठन बताया जो समय के अनुसार खुद को बदलने की इच्छाशक्ति रखता है। उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न दृष्टिकोणों और विचारधाराओं के समागम से बना ब्रिक्स समूह दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो सकारात्मक सहयोग को बढ़ावा देता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी विविधता, एक-दूसरे के प्रति सम्मान और आम सहमति के आधार पर आगे बढ़ने की हमारी परंपरा हमारे सहयोग का आधार है।’’

ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स के मुख्य सदस्य हैं और यह समूह वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक चौथाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। ब्राजील, रूस, भारत और चीन के नेताओं की सेंट पीटर्सबर्ग में 2006 में हुई बैठक के बाद एक औपचारिक समूह के रूप में ‘ब्रिक’ की शुरुआत हुई।

‘ब्रिक’ को 2010 में दक्षिण अफ्रीका को शामिल करते हुए ‘ब्रिक्स’ के रूप में विस्तारित करने पर सहमति बनी। पिछले साल समूह का विस्तार किया गया जो 2010 के बाद पहली ऐसी कवायद थी। ब्रिक्स के नए सदस्य देशों में मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।

First Published - October 23, 2024 | 4:51 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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