Twitter के पूर्व सीईओ Jack Dorsey ने सरकार पर गंभीर आरोर लगाए है। एक YouTube चैनल को दिए इंटरव्यू में, जैक डोर्सी ने दावा किया कि भारत सरकार ने 2020-21 में किसान आंदोलन को कवर करने वाले कुछ अकाउंट्स के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया था। डोर्सी ने इंटरव्यू में कहा कि सरकार ने इसके लिए माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म पर दबाव डाला था, जिसमें इसे बंद करने की धमकी देना और कर्मचारियों के घरों पर छापे मारने की बात शामिल थी। केंद्र सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया है।
सोमवार की देर रात ब्रेकिंग पॉइंट्स के साथ एक इंटरव्यू के दौरान, डोर्सी ने कहा कि धमकियां तब आईं जब ट्विटर ने 2021 की शुरुआत में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान अकाउंट्स को ब्लॉक करने की सरकार की मांगों का पालन करने से इनकार कर दिया था।
डोर्सी से जब पूछा गया कि एलन मस्क के कार्यभार संभालने से पहले उनके कार्यकाल के दौरान विदेशी सरकारों के दबाव के कुछ उदाहरण साझा करें। इस पर उन्होंने कहा, ‘हम आपके कर्मचारियों के घरों पर छापा मारेंगे, जो उन्होंने किया। यदि आप निर्देशों का पालन नहीं करते हैं तो हम आपके ऑफिसों को बंद कर देंगे। ऐसा भारत सरकार ने कहा जो एक लोकतांत्रिक देश है।’
डोर्सी ने दावा किया कि भारत एक ऐसा देश है जिसने किसानों आंदोलन के दौरान हमसे कई अनुरोध किए थे। केंद्र सरकार ने उन पत्रकारों के खिलाफ भी कार्रवाई करने को कहा था जो तब किसान आंदोलन को लेकर सरकार के रूख की आलोचना कर रहे थे।
पूर्व ट्विटर सीईओ जैक डोर्सी के आरोपों का जवाब देने के लिए केंद्रीय उद्यमिता, कौशल विकास, इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने मोर्चा संभाला। उन्होंने डोर्सी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने ट्वीट किया कि यह जैक डोर्सी द्वारा एक स्पष्ट झूठ बोला जा रहा है। यह शायद ट्विटर के इतिहास के उस बहुत ही संदिग्ध अवधि को मिटाने का प्रयास है।
उन्होंने कहा, ‘जनवरी 2021 में विरोध प्रदर्शन के दौरान, बहुत सारी गलत सूचनाएं थीं और यहां तक कि नरसंहार की रिपोर्टें भी थीं जो निश्चित रूप से फेक थीं। भारत सरकार को प्लेटफॉर्म से गलत सूचनाओं को हटाने के लिए बाध्य होना पड़ा क्योंकि इसमें फर्जी खबरों के आधार पर स्थिति को और भड़काने की क्षमता थी।’
पिछले साल, ट्विटर ने कर्नाटक हाई कोर्ट को बताया कि उसे 2021 में दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के दौरान कई अकाउंट्स को पूरी तरह से ब्लॉक करने के लिए कहा गया था।
हाई कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में, ट्विटर ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा आदेशों को अवरुद्ध करना संविधान के तहत उपयोगकर्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन करता है। याचिका में सरकार के कदम को मनमाना और IT एक्ट की धारा 69A का उल्लंघन भी बताया गया है।
केंद्र सरकार ने कहा कि अकाउंट्स को ब्लॉक करने का आदेश राष्ट्र और जनहित में जारी किए गए थे। इसका मकसद लिंचिंग और हिंसा को रोकना था।