भारत ने ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों से आर्थिक उथल-पुथल के समय होने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में काम करने का शुक्रवार को आह्वान किया और कहा कि कोविड-19 का दौर बुनियादी आवश्यकताओं के लिए दूर-दराज के भौगोलिक क्षेत्रों पर निर्भरता के खतरों की स्पष्ट याद दिलाता है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत की मेजबानी में आयोजित ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ के दूसरे संस्करण को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने भारत की जी20 अध्यक्षता की उपलब्धियों का भी जिक्र किया और बताया कि कैसे इसने ‘ग्लोबल साउथ’ या विकासशील देशों के सामने आने वाली चुनौतियों को हल करने का काम किया है।
जयशंकर ने कहा, ‘नई दिल्ली घोषणापत्र को ग्लोबल साउथ की वास्तविक और गंभीर चिंताओं पर जी20 का ध्यान वापस लाने के लिए याद किया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि घोषणापत्र मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के संबंध में एक ‘व्यापक संदेश’ है।
विदेश मंत्री ने कोई विशिष्ट संदर्भ दिए बिना कहा कि मौजूदा समय के प्रमुख मुद्दों के समाधान को आकार देने में ‘ग्लोबल साउथ’ की बड़ी भूमिका का ‘विरोध’ हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘जब हम आगे देखते हैं, सभी के विश्वास के साथ, सभी के विकास का हमारा दृष्टिकोण साकार होने से बहुत दूर है। जब बदलाव प्राकृतिक नियम है तो हमारे समय के प्रमुख मुद्दों के समाधान को आकार देने में ग्लोबल साउथ की बड़ी भूमिका का विरोध हो रहा है।’
जयशंकर ने कहा कि ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ ‘हमारी व्यक्तिगत चिंताओं से अवगत कराने और उभरती विश्व व्यवस्था के लिए हमारे साझा हितों को पेश करने’ के लिहाज से काफी प्रभावशाली हो सकता है।