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Fortnite मेकर Epic Games ने Google के खिलाफ जीता केस, इस गलती के चलते होगा 200 अरब डॉलर का नुकसान

गूगल को मिली हार से अब ऐपल इंक (Apple Inc) के साथ ऐप स्टोर के एकाधिकार को खत्म होने का खतरा है।

Last Updated- December 12, 2023 | 10:25 PM IST
Google

ऑनलाइन गेम फोरनाइट (Fortnite) की मेकर कंपनी एपिक गेम्स इंक (Epic Games Inc.) के हाथों गूगल (Google) की कानूनी हार इस बात की गवाही देती है अब गूगल जैसी दिग्गज कंपनी का दबदबा खत्म हो सकता है। गूगल को मिली हार से अब ऐपल इंक (Apple Inc) के साथ ऐप स्टोर के एकाधिकार को खत्म होने का खतरा है। दिलचस्प बात यह है कि गूगल इससे करीब 200 बिलियन यानी 200 अरब डॉलर की कमाई करता है और साथ ही यह भी तय करता है कि अरबों उपभोक्ता मोबाइल डिवाइसेज का कैसे उपयोग करें।

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ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बताया गया कि सोमवार को सेन फ्रांसिस्को जूरी की तरफ से जो फैसला सुनाया गया वह ऐप्स में दो कंपनियों के बिजनेस मॉडल के लिए एक झटका है। क्योंकि ये कंपनियां सॉफ्टवेयर डेवलपर्स से 30 फीसदी तक कमीशन लेती हैं और वह तब लेती हैं जब डेवलपर्स के पास आमतौर पर कुछ दूसरे ऑप्शन्स भी होते हैं।

गूगल ने App-Store का किया गलत इस्तेमाल

ऑनलाइन गेम तैयार करने वाली कंपनी Epic ने इसके खिलाफ कई सालों तक कानूनी लड़ाई लड़ी। अब जाकर एक फेडेरल जूरी इस बात पर सहमत हुई है कि अल्फाबेट इंक की Google ने एकाधिकार के रूप में गलत तरीके से काम किया है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले के बाद ऐप स्टोर नियमों को लेकर ढील दी जाएगी। हालांकि यह पहले से ही दुनिया भर के नियामकों और कानून निर्माताओं के निशाने पर है। भारत में भी गूगल के खिलाफ इस मामले को लेकर कई केस दर्ज किए गए थे।

30 फीसदी कमीशन होगा खत्म!

Epic के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) टिम स्वीनी (Tim Sweeney) ने फैसले के बाद एक इंटरव्यू में कहा, ‘एकाधिकार अब खत्म होने जा रहे हैं और 30 फीसदी का अंत जल्द ही होने वाला है।’

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हालांकि Apple ने 2021 में Epic के खिलाफ इसी तरह के मामले में जीत हासिल की थी, लेकिन वह फैसला सिंगल जज द्वारा दिया गया था।

जूरी का क्या है फैसला?

Google के मामले की बात की जाए तो इसके लिए जहां एक जूरी ने सभी मेंबर्स की सहमति से Epic का पक्ष लिया वहीं दूसरी तरफ एक्चुअल कंज्यूमर्स को स्मार्टफोन ऐप्स की दुनिया पर सोचने का भी मौका दिया।

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चार घंटे की चर्चा में, उन्होंने पाया कि Google प्रतिस्पर्धा-विरोधी काम में शामिल था, यानी अपने एकाधिकार को बरकरार रखने के लिए गलत ढंग से ऐप स्टोर पर मालिकाना हक बनाए रखा। साथ ही जूरी ने यह भी पाया कि गूगल ने Epic को नुकसान पहुंचाया और डेवलपर्स पर अवैध रूप से अपने बिलिंग सिस्टम को थोपा।

क्यों छिड़ी Google-Epic की लड़ाई?

गौरतलब है कि गूगल और एपिक के बीच की यह लड़ाई 2020 में शुरू हुई, जब Fortnite को Apple और Google Play ऐप स्टोर से हटा दिया गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि गेम डेवलपर यानी एपिक ने गुप्त रूप से अपना खुद का पेमेंट सिस्टम इंस्टाल किया था।

विचार यह था कि दोनों तकनीकी दिग्गज यानी Google और Apple अपने प्लेटफॉर्म पर इन-ऐप खरीदारी और सब्सक्रिप्शन से 30 प्रतिशत तक की राजस्व हिस्सेदारी को दरकिनार कर दें। जवाब में, एपिक ने दोनों कंपनियों पर मुकदमा दायर कर दिया।

कई कंपनियों को गूगल देता है रियायत

Google को Spotify Technology SA जैसे बड़े डेवलपर्स के साथ साइड डील करने के लिए भी आलोचना झेलनी पड़ी है, जहां वह कम कमीशन ऑफर करता है।

सोमवार के फैसले में, जूरी ने पाया कि Google को अपने स्टोर के माध्यम से बेचे जाने वाले सॉफ्टवेयर के लिए एंड्रॉइड ऐप डेवलपर्स को अपने बिलिंग सिस्टम का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए और इसे कुछ डेवलपर्स को कस्टम एग्रीमेंट को ऑफर नहीं करना चाहिए।

अब Apple और Google दोनों का भाग्य दांव पर है। रिसर्च फर्म सेंसर टॉवर के मुताबिक, इन-ऐप खर्च अगले साल 182 अरब डॉलर और 2025 में 207 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

गौरतलब है कि यूरोपीय संघ (EU) पहले से ही डिजिटल मार्केट ऐक्ट में परिवर्तन को बढ़ावा दे रहा है। पहली बार, ऐपल को थर्ड पार्टी के ऐप स्टोर और बिलिंग सिस्टम की अनुमति देने की आवश्यकता होगी।

First Published - December 12, 2023 | 4:04 PM IST

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