प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि ऊर्जा बदलाव में विविधता सबसे अच्छा विकल्प है और जब दुनिया जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों मसलन सौर और हाइड्रोजन की ओर बदलाव के लिए काम कर रही है, कोई एक तरीका सभी चीजों का समाधान नहीं हो सकता।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है। भारत ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि ऊर्जा बदलाव न्यायसंगत और व्यवस्थित होना चाहिए और देशों को संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर निर्णय लेने की पूरी छूट होनी चाहिए।
G-20 शिखर सम्मेलन से पहले यहां एक विशेष साक्षात्कार में प्रधानमंत्री मोदी ने PTI-भाषा से कहा, ‘हमारा सिद्धांत सरल है – विविधता हमारे लिए सबसे अच्छा विकल्प है, चाहे वह समाज में हो या हमारे ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों के संदर्भ में हो।’ उन्होंने कहा, ‘सभी चीजों के लिए एक जैसा समाधान नहीं हो सकता। विभिन्न देश जिन अलग-अलग रास्तों पर चल रहे हैं, उन्हें देखते हुए ऊर्जा बदलाव के लिए उनकी राह भी भिन्न होगी।’
कोयला, तेल और गैस की दुनिया में ऊर्जा उपभोग में लगभग दो-तिहाई हिस्सेदारी है। इसे रातोंरात नहीं बदला जा सकता। इन परिस्थितियों देखते हुए भारत आज की ऊर्जा प्रणाली में निवेश जारी रखने के पक्ष में है ताकि बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं की मांग को पूरा किया जा सके और इसमें कोई कमी न हो। इसी के साथ ऊर्जा बदलाव में निवेश का प्रवाह भी जारी रहना चाहिए।
मोदी ने कहा, ‘दुनिया की आबादी का 17 प्रतिशत भारत में रहता है, लेकिन कुल उत्सर्जन में भारत का हिस्सा पांच प्रतिशत से भी कम है। इसके बावजूद हमने अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।’ उन्होंने कहा कि भारत ने कुछ ही वर्षों में अपनी सौर ऊर्जा क्षमता 20 गुना बढ़ा ली है और अब पवन ऊर्जा के मामले में हम दुनिया के शीर्ष चार देशों में से हैं।इसके अलावा भारत इलेक्ट्रिक वाहनों के नवोन्मेषण और स्वीकार्यता दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘G20 राष्ट्रों में शायद हम पहले देश हैं, जिसने तय समय से नौ साल पहले अपने जलवायु लक्ष्य हासिल कर लिए हैं।’
भारत ने अब 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके अलावा भारत ने 2070 तक शून्य उत्जर्सन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत ने 2030 तक अपने कुल बिजली उत्पादन का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से हासिल करने का लक्ष्य रखा है। भारत 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने और कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कटौती का लक्ष्य लेकर भी चल रहा है।
मोदी ने कहा, ‘तो, हम निश्चित रूप से इन चीजों को लेकर पटरी पर हैं। इसके अलावा हम वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए अन्य कारकों पर भी ध्यान दे रहे हैं।’
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई के भविष्य पर उन्होंने कहा कि वह इसके बारे में बेहद सकारात्मक हैं। उन्होंने कहा कि भारत इसको लेकर अपने दृष्टिकोण को ‘प्रतिबंधात्मक से रचनात्मक’ करने के लिए काम कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अपना ध्यान ‘यह मत करो या वह मत करो’ के दृष्टिकोण पर केंद्रित करने के बजाय हम एक ऐसा रुख अपनाना चाहते हैं जो लोगों और राष्ट्रों को जागरूक करे कि वे क्या कर सकते हैं और हमें वित्त, प्रौद्योगिकी और अन्य संसाधनों के मामले में उनकी मदद करनी चाहिए।’
पिछले साल रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद दुनिया में गैस की मांग में तीन प्रतिशत की कमी आई है और इसके दाम सात गुना बढ़ गए हैं जिसकी वजह से दुनिया अगले सस्ते विकल्प कोयले की ओर रुख कर रही है। भारत लंबे समय से एक न्यायसंगत, व्यवस्थित और टिकाऊ ऊर्जा बदलाव की बात कर रहा है। इससे उसकी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की ऊर्जा ज़रूरतें पूरी होती रहेंगी। साथ ही वह पवन और सौर के साथ लिथियम आयन बैटरी जैसे ऊर्जा स्रोतों की ओर व्यवस्थित तरीके से बदलाव के लिए प्रौद्योगिकी और वित्त तक पहुंच पा सकेगा।