शोध संस्थान जीटीआरआई (GTRI) ने कहा है कि वैश्विक व्यापार आपूर्ति श्रृंखला में जबरिया मजदूरी (forced labour) को प्रतिबंधित करने और मानवाधिकारों की रक्षा करने के जर्मनी के कानून का यूरोपीय देश के साथ भारत के व्यापार पर काफी कम प्रभाव पड़ेगा।
शोध संस्थान की सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के पास इन मुद्दों से निपटने के लिए पहले से ही कई कानून मौजूद हैं। जर्मनी ने उसके देश में और बाहर अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में जबरन श्रम और अन्य श्रम कानून के उल्लंघन पर प्रतिबंध लगा दिया है।
‘आपूर्ति श्रृंखला जांच परख कानून’ (एससीडीडीए) नामक कानून इस साल एक जनवरी को लागू हुआ था। यह उन कंपनियां पर लागू है जिसमें तीन हजार से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें जर्मनी की कंपनियां और जर्मनी के साथ व्यापार करने वाली विदेशी कंपनियां शामिल हैं। छोटी कंपनियों पर यह कानून जनवरी, 2024 से लागू होगा।
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ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (टीआरआई) ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘ एससीडीडीए का प्रभाव बहुत कम होने की संभावना है क्योंकि भारत में पहले से ही बाल श्रम, जबरन श्रम और कार्यस्थल पर भेदभाव पर रोक लगाने के लिए कई कानून मौजूद हैं।’’ इसके अनुसार भारत में न्यूनतम वेतन पर भी नियम हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ इसे प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच श्रम कानूनों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और शिकायतों का सही तरीके से निपटान करने के लिए एक तंत्र स्थापित करना आवश्यक है।’’ इसमें कहा गया है कि जर्मनी के इस कानून से जोखिम का पता लगाने और कार्रवाई करने की जिम्मेदारी सरकार से कंपनियों पर आ गई है। इस कानून के तहत श्रम कानून, बाल कानून, जबरिया श्रम और कार्यस्थल पर स्वास्थ्य और सुरक्षा आते हैं।