भारत ने गुरुवार को लाल सागर में उभरती सुरक्षा स्थिति को ‘‘चिंता का विषय’’ बताया और कहा कि वह क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के घटनाक्रम पर पैनी नजर रख रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने लाल सागर में नौवहन और वाणिज्य की स्वतंत्रता के महत्व पर भारत के जोर की पुष्टि की।
इजराइल-हमास संघर्ष के बीच, हूती आतंकवादी लाल सागर में कमर्शियल जहाजों को निशाना बना रहे हैं जिससे वैश्विक चिंताएं पैदा हो रही हैं। अदन की खाड़ी में मार्शल द्वीप के ध्वज वाले एक कमर्शियल जहाज पर बुधवार रात ड्रोन हमला होने के बाद भारतीय नौसेना का मिसाइल विध्वंसक पोत ‘आईएनएस विशाखापत्तनम’ तुरंत मदद के लिए आगे आया।
जहाज पर नौ भारतीयों सहित चालक दल के 22 सदस्य सवार थे। अमेरिका और ब्रिटेन पहले ही यमन में हूती के ठिकानों को निशाना बनाकर हवाई हमले शुरू कर चुके हैं।
जायसवाल ने कहा, ‘‘यह हमारे लिए चिंता का विषय है। हम उस क्षेत्र में नौवहन और वाणिज्य की स्वतंत्रता को बहुत महत्व देते हैं। वहां जो कुछ भी हो रहा है उसका असर न सिर्फ हम पर पड़ता है, बल्कि दुनिया भर में इतने सारे लोगों के आर्थिक और कई अन्य हितों पर भी पड़ता है।’’ वह लाल सागर की स्थिति पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम स्थिति पर पैनी नजर रख रहे हैं और उभर रही स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।’’
तेहरान की अपनी हालिया यात्रा के दौरान, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन के साथ लाल सागर और अदन की खाड़ी की स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘हम पूरी स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं। यह न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण जलमार्ग है। वहां हमारे हित हैं जो प्रभावित हो रहे हैं।’’
लाल सागर का रणनीतिक महत्व है क्योंकि वैश्विक व्यापार का लगभग 15 प्रतिशत बाब अल-मंडब जलडमरूमध्य के माध्यम से गुजरता है। ईरान के अंदर कथित बलूच अलगाववादी शिविरों पर पाकिस्तान द्वारा जवाबी मिसाइल हमला करने के बारे में पूछे जाने पर, जायसवाल ने टिप्पणी करने से परहेज किया।
बुधवार को, भारत ने पश्चिमी पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर किए गए ईरान के घातक मिसाइल हमले का समर्थन करते हुए कहा कि वह उन कार्रवाइयों को समझता है जो देश आत्मरक्षा में करते हैं।
सात अक्टूबर को इजराइली शहरों पर हमास के हमले के बाद दक्षिण अफ्रीका द्वारा इजराइल पर फलस्तीनियों के खिलाफ नरसंहार का आरोप लगाने के बारे में पूछे जाने पर, जायसवाल ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया, लेकिन कहा कि इजराइल-हमास संघर्ष पर भारत की स्थिति सुसंगत रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी स्थिति सुसंगत रही है। हमने आतंकवाद की निंदा की है। हमने बंधकों की रिहाई का आह्वान किया और नागरिकों की सुरक्षा की मांग की है। हमने मानवीय सहायता का भी आह्वान किया और हम दीर्घकालिक रूप से दो-राष्ट्र समाधान के पक्ष में हैं।’’