अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत (ICC) के शीर्ष अभियोजक द्वारा इजराइल और हमास के नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के अनुरोध के बीच इजराइल के विदेश मंत्री मंगलवार को फ्रांस के लिए रवाना हुए। इस यात्रा का मकसद ICC में हुई कार्यवाही के निष्कर्षों के असर को कम करना है।
अभियोजक ने युद्ध के दौरान अपराधों के लिए इजराइल और हमास के प्रमुखों पर आरोप लगाते हुए उन्हें मानवता के खिलाफ जघन्य अपराधों को अंजाम देने वाले वैश्विक नेताओं की सूची में डाल दिया। मुख्य अभियोजक करीम खान ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योव गैलांट तथा हमास के तीन नेताओं – याह्या सिनवार, मोहम्मद दीफ और इस्माइल हनीयेह के खिलाफ सोमवार को गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अनुरोध किया।
तीन न्यायाधीशों की एक पीठ फैसला करेगी कि गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाए या नहीं। ऐसे निर्णय लेने में न्यायाधीशों को दो महीने तक लग सकते हैं। फ्रांस के साथ ही बेल्जियम और स्लोवेनिया ने सोमवार को कहा था कि वे आईसीसी के अभियोजक करीम खान के कदम का समर्थन करते हैं। इन देशों का समर्थन इजराइल के प्रति पश्चिम के दृष्टिकोण में विभाजन को उजागर करता है।
इजराइली विदेश मंत्री इजराइल काट्ज की अपने फ्रांसीसी समकक्ष और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकें इस बात के लिए दिशा तय कर सकती हैं कि अगर वारंट जारी होता है तो फ्रांस का रुख कैसा होगा और क्या यह इजराइल के नेताओं के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
अभियोजक ने सात अक्टूबर को किए गए हमास पर हमले पर ध्यान केंद्रित किया। इस दिन चरमपंथियों ने दक्षिणी इजराइल पर हमला कर करीब 1,200 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था और करीब 250 लोगों को बंधक बना लिया था, जिसके जवाब में इजराइल ने गाजा में सैन्य हमला किया जिसमें करीब 35,000 फलस्तीनीयों की मौत हो गई है।
नेतन्याहू ने इस फैसले की सोमवार को निंदा करते हुए इसे ‘‘वास्तविकता से कोसों दूर’’ करार दिया। उन्होंने कहा, ”मैं हेग अभियोजक द्वारा लोकतांत्रिक इजराइल और हमास के सामूहिक हत्यारों के बीच की गई तुलना को कड़े शब्दों के साथ अस्वीकार करता हूं।”
वहीं हमास ने एक बयान में आरोप लगाया कि अभियोजक ‘पीड़ित की तुलना जल्लाद से करने की कोशिश कर रहे हैं।’ बयान के मुताबिक, हमास के पास इजराइली कब्जे का विरोध करने का अधिकार है। अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत की स्थापना 2002 में हुई थी, जो युद्ध के दौरान अपराधों, मानवता के खिलाफ अपराधों, नरसंहार और हमले संबंधी अपराधों के लिए लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाती है। इजराइल, अमेरिका, चीन और रूस सहित कई देश इस न्यायालय के क्षेत्राधिकार को स्वीकार नहीं करते।