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पाकिस्तान में पिछले दो साल में मीडिया को चुप रहने के लिए मजबूर किया गया: इमरान का दावा

कई मामलों में आरोपी खान को 10 महीने पहले गिरफ्तार किए जाने के बाद से रावलपिंडी की उच्च सुरक्षा वाली अडियाला जेल में रखा गया है।

Last Updated- June 11, 2024 | 9:29 PM IST
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के कुछ नेता सैन्य प्रतिष्ठान के संपर्क में हैं : इमरान खान , Some leaders of Pakistan Tehreek-e-Insaf are in touch with military establishment: Imran Khan

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने मंगलवार को दावा किया कि पिछले दो साल से सरकार ने मीडिया को चुप रहने के लिए बाध्य कर दिया और असहमति जताने वाले पत्रकारों को दमन का सामना करना पड़ा है। कई मामलों में आरोपी खान को 10 महीने पहले गिरफ्तार किए जाने के बाद से रावलपिंडी की उच्च सुरक्षा वाली अडियाला जेल में रखा गया है। उन्हें कुछ मामलों में दोषी भी ठहराया गया है।

इमरान (71) खान ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, “पाकिस्तान में मीडिया हमेशा राज्य के नियंत्रण में रहा है, वहीं पत्रकारों को उनके आलोचनात्मक नजरिए के लिए निशाना बनाया गया है। पाकिस्तान में पिछले दो साल में मीडिया को चुप रहने के लिए बाध्य किया गया है और असहमति जताने वाले पत्रकारों को दमन का सामना करना पड़ा है।”

इमरान का यह बयान ऐसे समय आया है जब खान के प्रतिद्वंद्वी और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरयम नवाज की अगुवाई वाली पंजाब सरकार ने हाल ही में ‘पंजाब मानहानि अधिनियम 2024’ पेश किया है, जो मानहानि से जुड़ा विवादास्पद कानून है और यह फर्जी खबरों के नाम पर प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाता है।

इमरान खान का दावा है कि पिछले दो सालों में पाकिस्तानी मीडिया को चुप रहने के लिए मजबूर किया गया है। जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने मंगलवार को दावा किया कि मीडिया को राज्य द्वारा चुप रहने के लिए मजबूर किया गया है और असहमति जताने वाले पत्रकारों को देश में पिछले दो सालों में दमन का सामना करना पड़ा है।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के संस्थापक इमरान ने कहा कि स्वतंत्र मीडिया राज्य के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है और यह एक निगरानीकर्ता के रूप में कार्य करता है तथा सरकार को अपना काम सही तरीके से करने के लिए मजबूर करता है। उन्होंने कहा, “मेरी सरकार ने पत्रकारों और मीडिया सुरक्षा के लिए कानून लाकर इस माहौल को बदलने की कोशिश की, लेकिन उनके खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बाद इसे खारिज कर दिया गया।”

First Published - June 11, 2024 | 9:29 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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