विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि भारत और जापान बहु ध्रुवीय एशिया की केंद्रीय शक्तियां हैं और दोनों देश संयुक्त राष्ट्र की संरचना को और अधिक समसामयिक बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देश स्वतंत्र, पारदर्शिता और नियम-आधारित व्यवस्था के पक्ष में संतुलन बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र संरचना को और अधिक समसामयिक बनाना चाहते हैं।
जयशंकर दक्षिण कोरिया और जापान की चार दिवसीय यात्रा के दूसरे चरण के तहत इस समय तोक्यो में है। उन्होंने कहा कि दुनिया देखेगी कि दोनों देश विभिन्न संबंधों और योजनाओं के माध्यम से साझा लक्ष्य में एक-दूसरे का समर्थन कैसे करते हैं।
मंत्री ने यहां पहले ‘रायसीना गोलमेज सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए वैश्विक संगठन में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र में सुधार बहुत महत्वपूर्ण है। जी4 समूह के साथी सदस्यों के रूप में, भारत और जापान संयुक्त राष्ट्र संरचनाओं को और अधिक समसामयिक बनाना चाहते हैं।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट रूप से एक मुश्किल कार्य है, लेकिन इसमें हमें दो शक्तियों के रूप में दृढ़ रहना होगा जो बहु ध्रुवीय एशिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। दोनों देश संयुक्त राष्ट्र की संरचना को और अधिक समसामयिक बनाना चाहते हैं।’’
समकालीन वैश्विक वास्तविकता को प्रतिबिंबित करने के लिए सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग बढ़ रही है, जिसमें भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी और जापान मजबूत दावेदार हैं।
जयशंकर ने कहा कि भारत और जापान को इस बात पर गौर करना होगा कि दुनिया अब अधिक अस्थिर, अनिश्चित, अप्रत्याशित और खुले विचारों वाली है।
नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने जयशंकर की यात्रा से पहले एक बयान में कहा, था कि रायसीना गोलमेज सम्मेलन भारत और जापान के बीच आदान-प्रदान को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें कहा गया था कि जयशंकर की तोक्यो यात्रा से विभिन्न क्षेत्रों में भारत के कार्यात्मक सहयोग के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन मिलेगा, द्विपक्षीय आदान-प्रदान को और गति मिलेगी तथा भविष्य के सहयोग के लिए एजेंडा तय होगा।