भारत और मॉरीशस एक लघु उपग्रह संयुक्त रूप से विकसित करेंगे और अगले साल की शुरुआत में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) इसे प्रक्षेपित करेगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल को शुक्रवार को इस संबंध में अवगत कराया गया।
भारत और मॉरीशस ने पिछले साल एक नवंबर को विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन की पोर्ट लुइस यात्रा के दौरान एक संयुक्त लघु उपग्रह विकसित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
इस समझौता ज्ञापन से एक संयुक्त उपग्रह के विकास के साथ-साथ ‘मॉरीशस रिसर्च एंड इनोवेशन काउंसिल’ (एमआरआईसी) के ग्राउंड स्टेशन के इस्तेमाल के संबंध में सहयोग के वास्ते इसरो और एमआरआईसी के बीच सहयोग की एक रूपरेखा बनाने में मदद मिलेगी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘‘इस संयुक्त उपग्रह की कुछ उपप्रणालियों को भारतीय उद्योगों की भागीदारी के माध्यम से अपनाया जाएगा और इससे उद्योग जगत को फायदा होगा।’’
इसमें कहा गया है कि इस उपग्रह के कार्यान्वयन को 15 महीने की समय सीमा में पूरा करने का प्रस्ताव है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एमओयू के बारे में जानकारी दी गई।
बयान में कहा गया है कि उपग्रह के इस संयुक्त विकास के माध्यम से होने वाले सहयोग से मॉरीशस में ‘भारतीय ग्राउंड स्टेशन’ के लिए मॉरीशस सरकार से निरंतर समर्थन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी, जो इसरो/भारत के प्रक्षेपण वाहन और उपग्रह मिशनों की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
बयान के अनुसार इस संयुक्त उपग्रह के पूरी तरह से तैयार होने की अनुमानित लागत 20 करोड़ रुपये है, जिसे भारत सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
मॉरीशस के लिए संयुक्त रूप से एक लघु उपग्रह बनाने में एमआरआईसी द्वारा व्यक्त की गई रुचि के आधार पर, विदेश मंत्रालय ने इसरो से भारत-मॉरीशस संयुक्त उपग्रह को साकार करने पर चर्चा शुरू करने का अनुरोध किया था।