भारत और नाइजीरिया ने आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए सहयोग बढ़ाने हेतु कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, औषधि, एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI), स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली और बिजली क्षेत्र जैसे क्षेत्रों की पहचान की है। स्थानीय मुद्रा निपटान (एलसीएस) से तात्पर्य दो देशों के बीच द्विपक्षीय लेनदेन प्रत्येक देश की संबंधित मुद्रा में किए जाने से है।
वाणिज्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि हाल ही में भारत के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की नाइजीरिया यात्रा के दौरान अन्य मुद्दों के साथ-साथ इन मुद्दों पर भी चर्चा की गई। वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अमरदीप सिंह भाटिया के नेतृत्व में भारत से सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने अबुजा (नाइजीरिया) की यात्रा की थी।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय एक्जिम बैंक और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के अधिकारी शामिल थे। इसमें कहा गया कि दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार के साथ-साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी निवेश को बढ़ाने के लिए कई क्षेत्रों की पहचान की, जिन पर ध्यान दिया जाना है।
बयान में कहा गया, ‘‘इनमें दोनों पक्षों के बाजार पहुंच संबंधी मुद्दों का समाधान और कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, औषधि, एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई), स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली, बिजली व नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि तथा खाद्य प्रसंस्करण, शिक्षा, परिवहन, रेलवे, विमानन तथा एमएसएमई (लघु, कुटीर व मझोले उपक्रम) जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग शामिल है।’’
उन्होंने द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली समझौते को शीघ्र पूरा करने पर भी सहमति व्यक्त की। नाइजीरिया अफ्रीका क्षेत्र में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
भारत और नाइजीरिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 11.8 अरब अमरीकी डॉलर से घटकर 2023-24 में 7.89 अरब अमरीकी डॉलर रह गया। कुल 27 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश के साथ करीब 135 भारतीय कंपनियां नाइजीरिया में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। ये निवेश विविध क्षेत्रों में फैले हुए हैं, जिनमें बुनियादी ढांचा, विनिर्माण, उपभोक्ता वस्तुएं और सेवाएं शामिल हैं।