अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट (Scott Bessent) ने उम्मीद जतायी है कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) के जवाबी शुल्क (reciprocal tariffs) से बचने के लिए भारत पहला देश हो सकता है जो हमारे साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता करेगा। अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 26% जवाबी शुल्क लगाया लेकिन बाद में इसे 90 दिनों के लिए टाल दिया गया है। यह अवधि आठ जुलाई को समाप्त होने वाली है। हालांकि, अन्य देशों की तरह, भारत पर वर्तमान नीति के तहत 10% शुल्क लागू है।
अखबार न्यूयार्क पोस्ट के अनुसार, बेसेंट ने बुधवार को कुछ संवाददाताओं के साथ एक गोलमेज बैठक में कहा कि भारत के साथ व्यापार वार्ता सफल रूप से निष्कर्ष पर पहुंचने के ‘बहुत करीब’ है। इसका कारण दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश ने कोई बहुत ज्यादा शुल्क नहीं लगाया हुआ है। बेसेंट ने विश्व बैंक (World Bank) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की वार्षिक बैठकों के दौरान एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘भारत में गैर- शुल्क व्यापार बाधाएं कम हैं। साथ ही यह भी साफ है कि मुद्रा के स्तर पर कोई गड़बड़ी नहीं है, सरकारी सब्सिडी है, लेकिन वह बहुत कम है। इसलिए भारत के साथ समझौता करना बहुत आसान है।’’
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न्यूयार्क पोस्ट के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप ने मांग की है कि अन्य देश अमेरिकी वस्तुओं पर अपने शुल्क और गैर-शुल्क बाधाओं को हटायें और अमेरिकी व्यापार घाटे को समाप्त करें। इससे पहले, मंगलवार को जयपुर में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने ‘समृद्ध और शांतिपूर्ण’ 21वीं सदी के लिए दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का एक व्यापक खाका पेश करते हुए भारत से गैर-शुल्क बाधाओं को हटाने, अपने बाजारों तक अधिक पहुंच देने और अधिक अमेरिकी ऊर्जा तथा सैन्य हार्डवेयर खरीदने का आग्रह किया।
अखबार ने आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि फरवरी तक अमेरिका में आयातित वस्तुओं में भारत की हिस्सेदारी करीब तीन प्रतिशत थी। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के अनुसार, 2024 में भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 45.7 अरब डॉलर था।
(एजेंसी के इनपुट के साथ)