facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

भारतीय कंपनी को 35 लाख डॉलर देने संबंधी आदेश के ख़िलाफ़ ईरान सरकार की याचिका ख़ारिज

अदालत ने इसी के साथ आईआरआई की याचिका खारिज कर दी

Last Updated- March 18, 2023 | 11:06 AM IST
Bombay HC

बंबई उच्च न्यायालय ने रेल के डिब्बों की बिक्री संबधी एक मामले में एक भारतीय कंपनी को 35 लाख डॉलर से अधिक का भुगतान करने के संबंध में ईरान सरकार को दिए गए आदेश के खिलाफ दायर पश्चिम एशियाई देश की याचिका खारिज कर दी है।

न्यायमूर्ति के आर श्रीराम और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की खंडपीठ ने इस सप्ताह की शुरुआत में सुनाए गए फैसले के तहत ईरान सरकार की याचिका को खारिज कर दिया और उसे भारतीय कंपनी केटी स्टील्स को चार सप्ताह में 10 लाख रुपये का जुर्माना देने का आदेश भी दिया।

ईरान सरकार ने रेल के डिब्बों की खरीद के लिए ईरानियन इस्लामिक रिपब्लिक रेलवे (आरएआई) के जरिये एक वैश्विक निविदा जारी की थी। उस समय भारत सरकार ‘स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन’ (एसटीसी) के जरिये डिब्बे निर्यात कर रही थी।

केटी स्टील्स ने एसटीसी के माध्यम से अपनी बोली प्रस्तुत की और सार्वजनिक उपक्रम की भारतीय कंपनी (एसटीसी) ने 16 मार्च 1970 को ईरान सरकार के साथ एक खरीद अनुबंध किया। एसटीसी ने नवंबर 1970 में एक अलग अनुबंध के माध्यम से केटी स्टील्स को अनुबंध का लाभ दिया।

अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण 1972 में डिब्बों को भेजने के लिए माल ढुलाई शुल्क में वृद्धि हुई और अगस्त 1976 में अनुबंध में संशोधन किया गया। इस संशोधन के बाद निर्यात 1977 तक जारी रहा।

केटी स्टील्स ने आरोप लगाया कि ईरान ने 1973 में भेजे गए 306 डिब्बों और 1977 में भेजे गए 94 डिब्बों के लिए माल ढुलाई शुल्क का भुगतान नहीं किया। भारतीय कंपनी ने सितंबर 1996 में उच्च न्यालय में मामला दायर किया, लेकिन ईरान सरकार सुनवाई के दौरान अदालत के सामने एक भी बार पेश नहीं हुई।

इसके बाद 2008 में बंबई उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने एकतरफा फैसला सुनाते हुए इस्लामिक गणराज्य ईरान (आईआरआई) को 304 डिब्बों के लिए 13,87,727 डॉलर, 94 डिब्बों के लिए 16,96,722 डॉलर और नुकसान के लिए 4,84,840 डॉलर यानी कुल कुल 35,69,289 डॉलर की राशि का भुगतान करने का आदेश दिया।

अदालत ने मामला दायर करने की तिथि से लेकर भुगतान किए जाने तक माल ढुलाई शुल्क पर नौ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज देने का भी आदेश दिया।

आरएआई ने 12 वर्ष के बाद उच्च न्यायालय में इस आदेश के खिलाफ एक याचिका दायर की, जिसमें दावा किया गया कि आईआरआई के खिलाफ गलत तरीके से मुकदमा दायर किया गया था और वास्तव में इसे आरएआई के खिलाफ दायर किया जाना चाहिए था।

अदालत ने कहा, ‘‘हमने गौर किया है कि ईरान सरकार ने इस अदालत के समक्ष पेश नहीं होने का विकल्प चुना और वह अब भी उसके आदेशों का पालन करने से इनकार कर रही है। याचिकाकर्ता (आईआरआई) ने इस अदालत के समक्ष कोई अभिवेदन नहीं दिया है, बल्कि केवल आरएआई, जो याचिका में पक्षकार भी नहीं है, उसने मामले की पैरवी के लिए एक वकील को नियुक्त किया है।’’

अदालत ने इसी के साथ आईआरआई की याचिका खारिज कर दी और उसे केटी स्टीस को चार सप्ताह में 10 लाख रुपये जुर्माना देने का भी आदेश सुनाया।

First Published - March 18, 2023 | 11:06 AM IST

संबंधित पोस्ट