सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया, जिसमें भटक कर पाकिस्तान के जलक्षेत्र में जाने के बाद गिरफ्तार किए गए भारतीय मछुआरों का मुद्दा उठाया गया था।
टॉप कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक मामलों को राजनीतिक रूप से सुलझाया जाएगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह पाकिस्तान को ऐसे मछुआरों को रिहा करने के लिए निर्देश जारी नहीं कर सकती और इस मामले का फैसला संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका के जरिये नहीं किया जा सकता।
संविधान का अनुच्छेद 32 भारतीय नागरिकों को यह अधिकार देता है कि वे अपने मौलिक अधिकारों को उचित कार्यवाही के माध्यम से लागू करवाने के लिए सीधे शीर्ष अदालत का रुख कर सकते हैं।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील से पूछा, ‘क्या इसका निर्णय (अनुच्छेद) 32 के तहत दायर याचिका के जरिये होगा? पाकिस्तान और भारत अपने मछुआरों की समस्या को कैसे सुलझाएंगे, (अनुच्छेद) 32 के तहत दायर याचिका में हम निर्देश जारी करेंगे? क्या हम पाकिस्तान को उन्हें रिहा करने के लिए निर्देश जारी कर सकते हैं?’
पीठ तीन याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें से एक महाराष्ट्र से और दो गुजरात से थे।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने भारत और पाकिस्तान के न्यायाधीशों वाली एक न्यायिक समिति को बहाल करने का अनुरोध किया, जिसका गठन 2008 में मछुआरों समेत उन कैदियों के मुद्दे को पारस्परिक रूप से हल करने के लिए किया गया था, जिन्हें एक-दूसरे के समुद्री क्षेत्र में भटकने के कारण गिरफ्तार किया गया था।
पीठ ने सवाल किया, ‘आज परिदृश्य क्या है? आज देश के साथ संबंध क्या हैं?’ पीठ ने कहा, ‘ये सरकारी मुद्दे हैं।’
पीठ ने कहा, ‘राजनीतिक मामलों को राजनीतिक रूप से सुलझाया जाएगा।’ पीठ ने याचिकाकर्ताओं से सरकार से संपर्क करने को कहा। पीठ ने कहा, ‘हम इसमें नहीं पड़ने जा रहे।’