अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के दोषी तहव्वुर राणा को भारत को प्रत्यर्पित करने की मंजूरी दी। यह फैसला भारत के लिए लिहाज एक महत्वपूर्ण जीत है, क्योंकि भारत लंबे समय से राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था।
तहव्वुर राणा पर आरोप है कि मुंबई हमलों में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस हमले ने भारत की वित्तीय राजधानी को हिलाकर रख दिया था। यह घटना को लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के आतंकवादियों ने अंजाम दिया था और इसमें 166 लोगों की जान चली गई थी, जिनमें छह अमेरिकी भी शामिल थे। तहव्वुर राणा जो पाकिस्तानी मूल का है और अभी उसके पास कनाडाई नागरिकता है।
राणा ने प्रत्यर्पण से बचने के लिए एक कानूनी चुनौती दी थी, और यह निर्णय उसके अंतिम अपील के रूप में आया है। कई निचली और संघीय अदालतों में हारने के बाद, राणा ने यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द नाइंथ सर्किट, सैन फ्रांसिस्को और बाद में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। यह उसका अंतिम कानूनी विकल्प था।
16 दिसंबर को, यूएस सॉलिसिटर जनरल एलिजाबेथ बी. प्रोलोगर ने सुप्रीम कोर्ट से राणा की याचिका खारिज करने का आग्रह किया। राणा के वकील, जोशुआ एल. ड्रैटेल ने 23 दिसंबर को इस सिफारिश का विरोध करते हुए अदालत से अपनी याचिका स्वीकार करने की अपील की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने अब उसके प्रत्यर्पण के रास्ते को साफ कर दिया है।
राणा का संबंध डेविड कोलमैन हेडली, एक पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक, लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी और इस ऑपरेशन के एक मास्टरमाइंड से था। हेडली ने हमलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी और सर्वे राणा को दिए थे।
26/11 के आतंकवादी हमले भारत के इतिहास का एक काला अध्याय बने हुए हैं। दस पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुम्बई में ताज महल पैलेस होटल, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस और नरिमन हाउस जैसे प्रमुख स्थलों पर हमला किया, जिससे बड़ी तबाही और जान-माल का भयंकर नुकसान हुआ था। राणा का प्रत्यर्पण, जब अंतिम रूप से पूरा होगा, तो उसे भारत में कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां उसे इस घातक साजिश में उसकी भूमिका के लिए आरोपों का सामना करना होगा।