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कमला हैरिस की जीत के लिए तमिलनाडु में अनुष्ठान, तुलासेंद्रपुरम गांव से है नाता

तुलासेंद्रपुरम तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से करीब 340 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव है। वहां करीब 300 परिवारों के तहत करीब 1,200 लोग रहते हैं।

Last Updated- August 04, 2024 | 10:28 PM IST
कमला हैरिस की जीत के लिए तमिलनाडु में अनुष्ठान Rituals in Tamil Nadu for Kamala Harris' victory

शुक्रवार को रात 1:30 बजे वॉशिंगटन डीसी बिल्कुल शांत था और वहां के लोग सो रहे थे, जबकि भारत के तमिलनाडु के छोटे से गांव तुलासेंद्रपुरम में धर्म संस्था मंदिर के मुख्य पुजारी टी रूबन सुबह 11 बजे की विशेष पूजा यानी अभिषेकम की तैयारी कर रहे थे। वहां का वातावरण कपूर व अगरबत्ती के जलने और कमल एवं गुलाब जैसे फूलों की खुशबू से भरा हुआ था। विशेष पूजा के लिए एकत्र हुए भक्तों ने अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस की जीत के लिए प्रार्थना की।

तुलासेंद्रपुरम तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से करीब 340 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव है। वहां करीब 300 परिवारों के तहत करीब 1,200 लोग रहते हैं। आम धारणा रही है कि रिपब्लिकन राष्ट्रपति भारत के लिए बेहतर हैं क्योंकि डॉनल्ड ट्रंप भारत को चीन के विकल्प के रूप में पेश करना चाहते थे। मगर यह गांव डेमोक्रेट की जीत की कामना कर रहा है। कावेरी नदी के उपजाऊ डेल्टा क्षेत्र में स्थित यह गांव अपने हरेभरे पेड़ों और कृषि भूमि के लिए जाना जाता है। मगर यह कमला हैरिस के पैतृक गांव होने का भी दावा करता है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि वहां का मंदिर 500 साल से भी पुराना है। रूबन ने मंदिर के गर्भगृह से बाहर आकर हमें प्रसादम भेंट किया, जिसे भगवान का आशीर्वाद माना जाता है। उन्होंने हमें मंदिर के एक कोने में काले पत्थर की पट्टिका देखने के लिए आमंत्रित किया। पट्टिका पर उन लोगों के नाम अंकित हैं जिन्होंने मंदिर के जीर्णोद्धार में योगदान दिया था। उसमें कमला हैरिस का नाम भी शामिल हैं। हैरिस ने 2014 में कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल रहते हुए 5,000 रुपये (59.69 डॉलर) का दान दिया था।

रूबन ने कहा, ‘हैरिस जब इस गांव में आई थीं तो उनकी उम्र महज 10 साल थी। वह हमारे मंदिर में भी आई थीं। उन्होंने 2020 में जब उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला तो हमने यहां विशेष प्रार्थना की थी।’ दिलचस्प है कि रूबन और उनकी टीम रोजाना सुबह 11 बजे हैरिस की सफलता के लिए एक विशेष अभिषेक आराधना करते हैं। अभिषेक हिंदुओं का ऐसा अनुष्ठान है जिसमें पुजारी भावपूर्ण संस्कृत मंत्रों का जाप करते हुए देवता की छवि या मूर्ति पर तरल प्रसाद चढ़ाते हैं। पूरे गांव को हैरिस के बड़े-बड़े पोस्टरों से सजाया गया है और इसलिए आसपास के ग्रामीण इसे ‘कमला हैरिस का गांव’ कहने लगे हैं।

तुलासेंद्रपुरम में कुछ दुकानें भी हैं। मंदिर के ठीक बाहर गणेशन मणिकंदन पिछले 14 वर्षों से किराने की दुकान चला रहे हैं। कैमरा देखते ही उन्होंने हैरिस और जो बाइडन वाला पोस्टर दिखाया। उन्होंने कहा, ‘जब वह उपराष्ट्रपति बनीं तो विदेशियों के एक दल ने यहां मंदिर और पास के हाई स्कूल का दौरा किया था। इस बार हर कोई हैरिस का पोस्टर लगा रहा है और इसलिए मैं भी पोस्टर प्रिंट कराने की योजना बना रहा हूं।’ उनके अनुसार, भले ही तुलासेंद्रपुरम के ये पोस्टर वोट न जीत पाएं, मगर अमेरिका में वे दिल जीत सकते हैं।

मंदिर में आए एक आगंतुक हमें मंदिर से करीब आधा किलोमीटर दूर ब्राह्मणों की एक बस्ती अग्रहारम दिखाने ले गए। वहां की 60 वर्षीया निवासी पी. वसुधा ने बताया कि कमला हैरिस के नाना पैंगानाडु वेंकटरमन गोपालन कभी उनके पड़ोसी थे। उन्होंने कहा, ‘अब दिखाने के लिए हैरिस का कोई घर मौजूद नहीं है। वे दशकों पहले गांव से बाहर चले गए थे और अब वह प्लॉट खाली है।’

गोपालन सिविल सेवा अधिकारी थे और वह जाम्बिया में राहत कार्य के लिए और बाद में भारत सरकार के साथ काम जाने जाते थे। उन्होंने जाम्बिया के पहले राष्ट्रपति केनेथ कौंडा के सलाहकार के रूप में भी काम किया। उनके चार बच्चों में हैरिस की मां श्यामला भी थी। श्यामला ने अमेरिका में अपना अकेडमिक करियर बनाया और जमैका के अर्थशास्त्री डॉनल्ड जे. हैरिस से शादी की।

गांव में हैरिस के प्रशंसकों एवं डेमोक्रेट के समर्थकों के बीच एक स्थानीय नेता एवं काउंसलर जयरामन सुधाकर ने कहा, ‘हैरिस की मौसी ही आखिरी बार मंदिर आई थीं और उनकी ओर से दान दिया था। अब इस गांव में उनका कोई भी रिश्तेदार नहीं रहता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जश्न का माहौल कम हो गया है। उनकी हर सफलता पर हम पटाखे फोड़ते हैं, पोस्टर लगाते हैं और जुलूस निकालते हैं। यहां के लोग भारतीय राजनीति से ज्यादा अमेरिकी राजनीति के बारे में जानते हैं।’

हैरिस की जीत का मतलब भारत के लिए अमेरिका की नीति में निरंतरता है जिसने बाइडेन के कार्यकाल में महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी एवं रक्षा जैसे क्षेत्रों में ऐतिहासिक ऊंचाइयों को छुआ है। दूसरी ओर, अमेरिका को फिर से महान बनाने के ट्रम्प के नारे के साथ व्यापार के मोर्चे पर अधिक दबाव दिखेगा।

मंदिर में काम करने वाली 40 वर्षीय महिला तिरुनावुक्कारासु ने कहा, ‘हमारा मानना है कि 2020 में वह हमारी पूजा और हमारे देवता धर्म संस्था के आशीर्वाद की बदौलत जीती थीं। हैरिस की जीत के लिए पूजा में रोजाना 20 से 30 लोग शामिल होते हैं। उसके बाद हम भक्तों को विशेष प्रसाद भी देते हैं।’

गांव से बाहर आते समय 55 वर्षीय महिला डी मन्नारकोडी ने हमें रोक लिया। उन्होंने कहा, ‘यह उसी का गांव है। वह हमारी नेता है और वह इसी गांव की एक महिला है।’

अमेरिका में हैरिस अपनी टैगलाइन ‘ह्वेन वी फाइट, वी विन’ यानी जब हम लड़ते हैं तो जीतते हैं, के साथ लोगों में उत्साह भरने और अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही हैं। मगर अमेरिका से करीब 14,000 किलोमीटर दूर तुलासेंद्रपुरम में सबसे प्राचीन एक भाषा में भी उन्हीं शब्दों की गूंज सुनाई देती है। यहां के बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने कमला हैरिस के लिए केवल एक ही चीज साझा की और वह है ‘विक्ट्री’ यानी जीत।

First Published - August 4, 2024 | 10:27 PM IST

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