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G20 summit: जीवाश्म ईंधन का उपयोग बंद करने पर सहमति में अभी पेच

डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिकी कच्चे तेल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि करने के संकेत दिए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इससे भी बातचीत प्रभावित हुई है।

Last Updated- November 19, 2024 | 12:42 AM IST
Editorial: The reality of Rio रियो की हकीकत

G20 summit: ब्राजील के रियो डी जनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन अपने समापन के करीब है। मगर जीवाश्म ईंधन के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए एक निश्चित समयसीमा निर्धारित करने की उम्मीद शायद ही पूरी हो पाएगी।

डीकार्बोनाइजेशन यानी कार्बन उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों को मजबूत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जोर दिए जाने के बावजूद भारत ने 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन यानी शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। मगर भारत ने कच्चे तेल के उपयोग अथवा हाइड्रोकार्बन उत्खनन पर रोक लगाने के लिए कोई समयसीमा निर्धारित करने के खिलाफ सख्ती से अपनी राय जाहिर की है।

कुछ देशों ने जलवायु संबंधी कार्रवाई के लिए साहसिक कदम उठाए हैं। मगर सूत्रों का कहना है कि जीवाश्म ईंधन में कमी लाने पर आम सहमति बनना अभी बाकी है। उन्होंने कहा कि इसमें भू-राजनीतिक एवं आर्थिक कारक मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।

एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा, ‘बातचीत की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर ऐसी संभावना कम ही दिखती है कि जीवाश्म ईंधन के उपयोग को सीमित करने के मुद्दे पर रियो डी जेनेरियो में कोई आम सहमति बनेगी।’

अधिकारी ने कहा, ‘कई देशों ने क्षेत्रीय डीकार्बोनाइजेशन के लिए समयसीमा में विस्तार करने की इच्छा जताई है।’ उन्होंने कहा कि भारत डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों को मजबूत करने के पक्ष में रहा है।

जी20 नेताओं की दो दिवसीय वार्षिक बैठक मंगलवार को समाप्त होने जा रही है। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिकी कच्चे तेल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि करने के संकेत दिए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इससे भी बातचीत प्रभावित हुई है।

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘निवर्तमान अमेरिकी सरकार ने अब तक जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का आह्वान नहीं किया है। दूसरी ओर रूस, चीन और सऊदी अरब भी इसका विरोध कर रहे हैं।’

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के अनुसार, वैश्विक तेल मांग में भारत की हिस्सेदारी 2023 में 5.5 फीसदी थी जो अमेरिका (20 फीसदी) और चीन (16.1 फीसदी) के मुकाबले काफी कम है। मगर यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है और अगले पांच वर्षों में 6.6 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है। आईईए ने कहा है कि भारत 2024 में तेल मांग के मोर्चे पर सबसे आगे दिख सकता है। भारत रोजाना 2,00,000 बैरल की अनुमानित वृद्धि के साथ चीन से आगे निकल सकता है।

अजरबैजान के बाकू में आयोजित 2024 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप29) में भी इस मुद्दे पर जोरदार बहस हुई है। 100 देशों के इस गठबंधन ने 2023 में बेरोकटोक कोयले के इस्तेमाल के लिए कोई अंतिम तिथि निर्धारित किए जाने का समर्थन किया था। करीब तीन दशक से अधिक समय से जारी जलवायु वार्ताओं में पहली बार यह मांग 2023 में उठाई गई थी। नई दिल्ली ने जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान हाइड्रोकार्बन संसाधनों के विस्तार अथवा नए भंडारों की खोज के लिए निवेश पर रोक लगाने के किसी भी कदम का विरोध किया है।

अधिकारी ने कहा, ‘हम जरूरत के अनुसार तेल एवं गैस संसाधनों के विकास एवं उत्खनन में निवेश जारी रखेंगे। मगर हम उसके साथ-साथ कार्बनमुक्त वैकल्पिक ईंधन एवं नवीकरणीय ऊर्जा में संभावनाएं भी तलाशते रहेंगे।’

उन्होंने कहा, ‘हम उस स्थिति में नहीं हैं कि वैश्विक स्तर पर ऐसे निवेश पर प्रतिबंध लगा दिया जाए क्योंकि हमारी विकास संबंधी जरूरतों और ऊर्जा सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कॉप29 में भी हमारा यही नजरिया रहा है।’

सूत्रों ने बताया कि जी20 के मेजबान ब्राजील को हरित लक्ष्यों पर बातचीत में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

First Published - November 18, 2024 | 10:49 PM IST

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