अमेरिकी सेना ने बाइडेन प्रशासन द्वारा लागू की गई नीतियों को पलटते हुए ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की सेना में भर्ती पर रोक लगा दी है और सभी जेंडर-अफर्मिंग (लैंगिक पुष्टि) मेडिकल केयर को समाप्त करने का फैसला किया है। सेना ने इसकी पुष्टि कर दी है कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को अब सेना में भर्ती नहीं किया जाएगा और मौजूदा सेवा सदस्यों के लिए सभी जेंडर ट्रांजिशन (लैंगिक परिवर्तन) से संबंधित मेडिकल प्रक्रियाओं को रोक दिया जाएगा।
यह परिवर्तन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 27 जनवरी को हस्ताक्षरित एक कार्यकारी आदेश के बाद आया है, जिसमें ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सैन्य सेवा में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया और पेंटागन (Pentagon) को 30 दिनों के भीतर ट्रांसजेंडर सेवा सदस्यों के लिए एक नया नियम बनाने का निर्देश दिया गया।
सेना ने अपने बयान में कहा, “अमेरिकी सेना अब ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को भर्ती करने की अनुमति नहीं देगी और सेवा सदस्यों के लिए जेंडर ट्रांजिशन से संबंधित किसी भी प्रक्रिया को निष्पादित या सुविधा प्रदान नहीं करेगी।”
इस फैसले के साथ, बाइडेन प्रशासन द्वारा लागू की गई वे नीतियां खत्म हो गई हैं, जो ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सेना में सेवा करने और चिकित्सा देखभाल प्राप्त करने की अनुमति देती थी, जिसमें हार्मोन थेरेपी (Hormone Therapy) और जेंडर-अफर्मिंग सर्जरी (Gender-Affirming Surgery) शामिल थी।
सेना द्वारा बनाई गई इस नई नीति के अनुसार, तत्काल प्रभाव से जेंडर डिस्फोरिया (Gender Dysphoria) से ग्रसित व्यक्तियों की नई भर्तियां रोक दी गई हैं। और इसके साथ सेवा सदस्यों के लिए सभी नियोजित या प्रस्तावित जेंडर-अफर्मिंग मेडिकल प्रक्रियाओं को बंद कर दिया गया है।
यह निर्णय तब आया जब अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ (Pete Hegseth) ने 7 फरवरी को एक ज्ञापन जारी कर अस्थायी रूप से उन व्यक्तियों की भर्ती पर रोक लगा दी, जिन्हें जेंडर डिस्फोरिया का निदान किया गया था। साथ ही, सक्रिय सैन्य सेवा में कार्यरत ट्रांसजेंडर सैनिकों के लिए सभी जेंडर-अफर्मिंग चिकित्सा उपचारों को निलंबित कर दिया गया।
जेंडर डिस्फोरिया (Gender Dysphoria) एक मान्यता प्राप्त चिकित्सा स्थिति है, जिसमें किसी व्यक्ति के जैविक लिंग और उसकी जेंडर आइडेंटिटी (Gender Identity) में अंतर होने के कारण मानसिक तनाव उत्पन्न होता है।
पहले की नीति के तहत, ट्रांसजेंडर सैनिकों को सैन्य स्वास्थ्य सेवा प्रणाली से चिकित्सा उपचार प्राप्त करने की अनुमति थी, जिसमें हार्मोन थेरेपी और जेंडर कन्फर्मेशन सर्जरी शामिल थी। हालांकि, सेना ने यह भी कहा कि जो ट्रांसजेंडर व्यक्ति पहले से ही सेवा में हैं और उन्होंने सेवा के लिए स्वेच्छा से नामांकन किया है और उनके साथ गरिमा और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाएगा।
इस नीति में बदलाव ट्रंप के 27 जनवरी को जारी कार्यकारी आदेश के बाद आया है, जिसमें कहा गया है कि व्यक्ति को अपनी जैविक पहचान के अनुरूप सेवा करनी चाहिए, न कि अपनी जेंडर आइडेंटिटी के आधार पर। यह नीति ट्रंप के पहले कार्यकाल (2017-2021) के दौरान व्यक्त किए गए विचारों के हिसाब से है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ट्रांसजेंडर सेवा सदस्यों के लिए चिकित्सा देखभाल की लागत अधिक होती है और इससे सैन्य संचालन प्रभावित हो सकते हैं।
2017 में ट्रंप ने कहा था, “सैन्य बल को निर्णायक और जबरदस्त जीत पर केंद्रित रहना चाहिए और ट्रांसजेंडर सेवा सदस्यों द्वारा लाए गए भारी चिकित्सा खर्च और व्यवधान का बोझ नहीं उठाना चाहिए।” अपने पहले कार्यकाल के दौरान, ट्रंप प्रशासन ने ट्रांसजेंडर भर्ती को रोक दिया था, लेकिन जो लोग पहले से ही सेवा में थे, उन्हें बने रहने की अनुमति दी गई थी। हालांकि, उन्होंने उस समय पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया था।
जब जो बाइडेन (Joe Biden) 2021 में राष्ट्रपति बने, तो उन्होंने ट्रंप की नीतियों को पलट दिया और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सेवा करने और चिकित्सा लाभ प्राप्त करने की अनुमति दी।
बाइडेन के इस फैसले का समर्थन कई एडवोकेसी गुप्स और सैन्य अधिकारियों ने किया था, जिन्होंने तर्क दिया कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति सेना में सेवा कर सकते हैं और उनके साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
अमेरिकी रक्षा विभाग (Department of Defense) के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिकी सेना में लगभग 13 लाख (1.3 मिलियन) सक्रिय-सेवा कर्मी हैं।
एडवोकेसी गुप्स का अनुमान है कि लगभग 15,000 ट्रांसजेंडर व्यक्ति अभी सेना में सेवा कर रहे हैं। हालांकि, आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यह संख्या कुछ हजार हो सकती है। सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रतिबंध कानूनी चुनौतियों का सामना कर सकता है, क्योंकि एडवोकेसी ग्रुप्स का तर्क है कि यह नीति ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के साथ भेदभाव करती है और सैन्य भर्ती प्रयासों को नुकसान पहुंचा सकती है।
(एजेंसी के इनपुट के साथ)