संयुक्त राष्ट्र (संरा) समर्थित मानवाधिकार विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने यूक्रेनी युद्ध बंदियों को रूसी जेलरों द्वारा ‘भयानक’ यातना देने के नए सबूत जुटाए हैं और कहा कि इस तरह के कृत्य युद्ध अपराध की श्रेणी में आ सकते हैं।
यूक्रेन को लेकर गठित जांच आयोग ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा दो साल से अधिक समय पहले अपने सैनिकों को देश पर आक्रमण करने का आदेश देने के बाद से मानवाधिकारों का उल्लंघन बड़े पैमाने पर हुआ है और युद्ध से पीड़ित नागरिक लगातार बढ़ रहे हैं।
आयोग ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में रूस में कई स्थानों पर युद्ध बंदियों को ‘भयानक यातना’ दिये जाने का हवाला देते हुए कहा, ‘‘नए सबूत आयोग के पिछले निष्कर्षों को और मजबूत करते हैं कि यूक्रेन और रूसी संघ में रूसी अधिकारियों द्वारा दी जाने वाली यातना व्यापक और व्यवस्थित रही है।’’
इसमें कहा गया है कि रूसी सेना नियमित रूप से अपने सैन्य अभियानों में नागरिकों को होने वाले संभावित नुकसान के प्रति बहुत कम चिंता दिखाती है। आयोग ने कहा कि महिलाओं से बलात्कार और यौन हिंसा की घटनाएं यातना के बराबर हैं।
आयोग ने कहा कि दक्षिणी यूक्रेन के खेरसॉन क्षेत्र से रूस के कब्जे वाले क्रीमिया में बच्चों का स्थानांतरण अस्थायी प्रतीत नहीं होता है और यह गैरकानूनी स्थानांतरण करने के तहत युद्ध अपराध की श्रेणी में आ सकता है।
रिपोर्ट में यूक्रेनी पक्ष पर भी प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट में रूस के साथ सहयोग करने के संदिग्ध आरोपियों के खिलाफ यूक्रेनी अधिकारियों द्वारा मानवाधिकारों के ‘कुछ उल्लंघनों’ का हवाला दिया गया है।