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US Prez Donald Trump सरकार में बहुत पॉवरफुल है ये गुजराती, जानें सारी बात

US Prez Trump पहले ही इस गुजराती मूल के शख्स को FBI चीफ बना चुके हैं, और अब इनके ATF प्रमुख बनने की बात सामने आ रही है।

Last Updated- February 25, 2025 | 6:55 PM IST
Kash Patel
बिजनेस स्ट्रैंडर्ड हिन्दी

संघीय जांच ब्यूरो (FBI) के नए निदेशक काश पटेल (Kash Patel) ने शराब, तंबाकू, आग्नेयास्त्र और विस्फोटक (ATF) ब्यूरो के कार्यवाहक प्रमुख के रूप में शपथ ली। इस मामले से अवगत एक व्यक्ति ने यह जानकारी दी। इसके साथ ही पटेल न्याय विभाग की दो अलग-अलग एजेंसियों के प्रमुख बन गए हैं। व्यक्ति ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि पटेल ने एफबीआई निदेशक बनने के कुछ ही दिन बाद एटीएफ के कार्यवाहक प्रमुख के रूप में शपथ ली।

यह स्पष्ट नहीं है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पटेल (US President Donald Trump) को एटीएफ प्रमुख के पद के लिए नामित करेंगे या नहीं, अथवा इस एजेंसी को लेकर प्रशासन की क्या योजना है। न्याय विभाग और व्हाइट हाउस (अमेरिकी राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) के अधिकारियों ने इस पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की। पटेल लगभग 5,500 कर्मचारियों वाले इस ब्यूरो की कमान संभालेंगे जो देश में आग्नेयास्त्र, विस्फोटक और आगजनी से संबंधित कानूनों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा, एटीएफ संघीय आग्नेयास्त्र विक्रेताओं को लाइसेंस जारी करने, अपराधों में इस्तेमाल किए गए हथियारों का पता लगाने और गोलीबारी की घटना की जांच में खुफिया विश्लेषण करने जैसे कार्य भी करता है।

Trump ने नियुक्त किया है FBI Chief

भारतीय मूल के काश पटेल ने संघीय जांच ब्यूरो (FBI) के डायरेक्टर के तौर पर शपथ ली है। इसे अपने जीवन का सबसे बड़ा सम्मान बताते हुए काश पटेल ने कहा था, “मैं अमेरिकी ड्रीम को जी रहा हूं। आप एक ऐसे भारतीय से बात कर रहे हैं जो पहली जनरेशन का है और दुनिया के सबसे बड़े देश की लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसी को लीड कर रहा है। ऐसा कहीं और मुमकिन नहीं है।”

काश पटेल के शपथ ग्रहण से पहले प्रेसिडेंट डॉनल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में मीडिया से कहा, “मुझे लगता है कि काश पटेल एफबीआई डायरेक्टर के तौर पर अब तक के बेस्ट पर्सन साबित होंगे।” ट्रंप का यह बयान उस वक्त आया जब पटेल शपथ लेने की तैयारी कर रहे थे।
बता दें कि काश पटेल की नियुक्ति को अमेरिकी सीनेट ने 51-49 वोटों से मंजूरी दी थी। ट्रम्प की पार्टी के ही दो रिपब्लिकन सीनेटर, सूसन कॉलिन्स (मेन) और लिसा मर्कोव्सकी (अलास्का), ने डेमोक्रेट्स का साथ देते हुए उनके अपॉइंटमेंट का विरोध किया था। डेमोक्रेट्स का कहना है कि पटेल की अपॉइंटमेंट से FBI की क्रेडिबिलिटी पर असर पड़ सकता है। पटेल के ट्रंप के करीबी होने से इस पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या वह इस परंपरा को बरकरार रखेंगे। सीनेटर एडम शिफ ने कहा, “FBI को डोनाल्ड ट्रंप की आर्मी की तरह काम नहीं करना चाहिए।” इस पर पटेल ने भरोसा दिलाया कि वह एजेंसी में ट्रस्ट बहाल करेंगे। अपने कन्फर्मेशन के बाद उन्होंने कहा, “मेरा मिशन क्लियर है – अच्छे पुलिस अफसरों को अपना काम करने देना और FBI में फिर से विश्वास कायम करना।”

वह FBI के मुखर आलोचक माने जाते हैं, जिस कारण डेमोक्रेट्स ने उनकी नियुक्ति पर चिंता जताई है। उन्हें इस एजेंसी की आज़ादी को लेकर आशंकाएं हैं। पटेल ने क्रिस्टोफर रे की जगह ली है, जिन्हें 2017 में डोनाल्ड ट्रंप ने अपॉइंट किया था। हालांकि, बाद में रे और ट्रंप के बीच अनबन हो गई, जिसके बाद रे ने रिजाइन कर दिया। FBI डायरेक्टर का टेन्योर आमतौर पर 10 साल का होता है, ताकि एजेंसी पॉलिटिकल दबाव से बची रहे।

कौन हैं काश पटेल? भारत से क्या है कनेक्शन

काश पटेल का जन्म 25 फरवरी 1980 को न्यूयॉर्क के गार्डन सिटी में हुआ था। उनके माता-पिता गुजराती मूल के हैं। उनकी मां पूर्वी अफ्रीका में तंजानिया से और पिता युगांडा से हैं। वे 1970 में कनाडा से अमेरिका आ गए थे। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ रिचमंड से स्नातक किया और फिर पेस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ से जूरिस डॉक्टर (कानूनी डिग्री) हासिल की।

अमेरिका में जन्मे और पले-बढ़े काश पटेल अपनी भारतीय जड़ों को लेकर खुलकर बात करते रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी भारतीय विरासत ने उनके मूल्यों और करियर को आकार देने में अहम भूमिका निभाई है। पटेल ने पूर्व में एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘हम गुजराती हैं।’’
अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया मामलों में अहम भूमिका निभाने वाले 45 वर्षीय भारतीय मूल के वकील पटेल ने कई उच्च पदों पर काम किया है। वह व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति के डिप्टी असिस्टेंट और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) में काउंटर टेररिज्म के सीनियर डायरेक्टर रह चुके हैं। पटेल ने अपने करियर की शुरुआत एक वकील के तौर पर की। उन्होंने पब्लिक डिफेंडर के रूप में काम करते हुए हत्या, नशीली दवाओं की तस्करी और वित्तीय अपराधों से जुड़े मामलों को राज्य और संघीय अदालतों में संभाला।

अमेरिकी रक्षा विभाग के अनुसार, पटेल ने अपने कार्यकाल के दौरान आईएसआईएस और अल-कायदा के बड़े नेताओं जैसे अबू बक्र अल-बगदादी और कासिम अल-रीमी के खिलाफ अभियानों में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा, उन्होंने कई अमेरिकी बंधकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में भी योगदान दिया। हालांकि उनकी पारिवारिक जड़ें भारत से जुड़ी हैं, लेकिन उनका पेशेवर करियर अमेरिका की सुरक्षा और कानून प्रवर्तन से संबंधित रहा है।

पटेल ट्रम्प प्रशासन में सबसे ऊंची रैंक के भारतीय अमेरिकी बन गए हैं। पटेल पहले काउंटरटेररिज्म प्रोसीक्यूटर और डिफेंस सेक्रेटरी के चीफ ऑफ स्टाफ रह चुके हैं। पटेल (44) ने 2017 में तत्कालीन ट्रंप प्रशासन के अंतिम कुछ हफ्तों में अमेरिका के कार्यवाहक रक्षा मंत्री के ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ के रूप में काम किया था। ट्रंप ने कहा, ‘‘काश ने मेरे पहले कार्यकाल के दौरान शानदार काम किया। इस दौरान वह रक्षा विभाग में चीफ ऑफ स्टाफ, राष्ट्रीय खुफिया के उप निदेशक और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में आतंकवाद रोधी विभाग के वरिष्ठ निदेशक रहे। काश ने अदालत में हुई 60 से अधिक सुनवाई में प्रशासन की तरफ से पैरवी भी की।’’

(एजेंसी इनपुट के साथ) 

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First Published - February 25, 2025 | 6:55 PM IST

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