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WEF विश्लेषण: जलवायु परिवर्तन के कारण डेढ़ करोड़ लोग 2050 तक गंवाएंगे जान!

WEF की इस रिपोर्ट में बाढ़, सूखा, लू के थपेड़ों, उष्णकटिबंधीय तूफान, जंगल की आग और समुद्र के बढ़ते जलस्तर के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों का आकलन किया गया है।

Last Updated- January 16, 2024 | 10:53 PM IST

विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के ताजा विश्लेषण में यह चेतावनी दी गई है कि जलवायु संकट से बढ़ी आपदाओं के चलते वर्ष 2050 तक दुनिया भर में 12.5 लाख करोड़ डॉलर का आर्थिक नुकसान होने के साथ 1.45 करोड़ लोगों की मौत भी हो सकती है। हालांकि मंगलवार को जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक हितधारकों के पास इन पूर्वानुमानों से निपटने और विश्व स्तर पर जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य दुष्प्रभावों को कम करने के लिए निर्णायक एवं रणनीतिक कार्रवाई करने का अभी भी समय है।

ओलिवर वायमन के सहयोग से ‘मानव स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की मात्रा’ पर जारी यह रिपोर्ट डब्ल्यूईएफ की यहां चल रही वार्षिक बैठक में जारी की गई। इस रिपोर्ट में दुनिया भर में मानव स्वास्थ्य, वैश्विक अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं पर जलवायु परिवर्तन के अप्रत्यक्ष प्रभावों की एक विस्तृत तस्वीर पेश करने की कोशिश की गई है।

डब्ल्यूईएफ की कार्यकारिणी के सदस्य श्याम बिशेन ने कहा, ‘हालांकि प्रकृति और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में खूब चर्चा हुई है लेकिन धरती के बढ़ते तापमान के कुछ सबसे गंभीर परिणाम इंसानी स्वास्थ्य और वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर होंगे।’

बिशेन ने कहा, ‘उत्सर्जन में बड़ी कटौती एवं इसे रोकने के उपायों के दुरूस्त नहीं होने और जलवायु के लिहाज से सशक्त एवं लचीली स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए निर्णायक वैश्विक कदम नहीं उठाए जाने तक हाल में हुई प्रगति को हम गंवा देंगे।’

यह विश्लेषण इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) द्वारा धरती के बढ़ते औसत तापमान, पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में 2.5 डिग्री से 2.9 डिग्री सेल्सियस के सबसे संभावित प्रक्षेपवक्र पर विकसित परिदृश्यों पर आधारित है।

इस रिपोर्ट में बाढ़, सूखा, लू के थपेड़ों, उष्णकटिबंधीय तूफान, जंगल की आग और समुद्र के बढ़ते जलस्तर के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों का आकलन किया गया है। इसके मुताबिक, सिर्फ बाढ़ की वजह से 2050 तक 85 लाख लोगों की मौत हो सकती है। वहीं सूखे की वजह से करीब 32 लाख लोगों की जान जा सकती है। वायु प्रदूषण एवं ओजोन परत के क्षीण होने से हर साल करीब 90 लाख लोगों की मौतें हो सकती हैं।

विश्लेषण रिपोर्ट कहती है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से कई संवेदनशील बीमारियां भी सामने आ सकती हैं जिनमें विषाणु-जनित रोग भी शामिल होंगे। इनका प्रसार यूरोप एवं अमेरिका जैसे क्षेत्रों में पड़ने की अधिक आशंका है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2050 तक 50 करोड़ अतिरिक्त लोग विषाणु-जनित बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों की वजह से वर्ष 2050 तक 7.1 लाख करोड़ डॉलर का आर्थिक नुकसान होगा। जलवायु परिवर्तनों के दुष्प्रभावों की मार अफ्रीका एवं दक्षिणी एशिया जैसे क्षेत्रों में पड़ने की आशंका अधिक है।

First Published - January 16, 2024 | 10:53 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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