facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

BS Special: क्या है विवादित USAID जिस पर मोदी सरकार को गिराने के लिए करोड़ों खर्च करने का आरोप

‘‘क्या USAID ने जॉर्ज सोरोस की 'ओपन सोसाइटी फाउंडेशन' को 5,000 करोड़ रुपये भारत को विभाजित करने के लिए दिये या नहीं।"

Last Updated- February 11, 2025 | 5:45 PM IST
USAID Trump Musk anti modi protest
बिजनेस स्ट्रेंडर्ड हिन्दी

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने अमेरिकी संस्था ‘यूएसएड’ द्वारा भारत को विभाजित करने के लिए विभिन्न संस्थाओं को धन दिए जाने का दावा करते हुए सोमवार को सरकार से मांग की कि इस मामले में जांच कराई जाए और दोषी पाए गए लोगों को जेल में डाला जाए। दुबे ने कांग्रेस के साथ अमेरिकी कारोबारी जॉर्ज सोरोस के साथ संबंध होने का अपना आरोप एक बार फिर दोहराया। लोकसभा में शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए संसद सदस्य ने कहा कि अमेरिका में नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘USAID’ संस्था को पूरी तरह बंद कर दिया है क्योंकि यह वर्षों से विभिन्न सरकारों को गिराने के लिए पैसा खर्च कर रही थी।

क्या कहा BJP MP निशिकांत दुबे ने संसद में-

उन्होंने कहा कि विपक्ष को बताना चाहिए, ‘‘क्या यूएसएड ने जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन को पांच हजार करोड़ रुपये भारत को विभाजित करने के लिए दिये या नहीं। उसने राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा दिया या नहीं।’’

दुबे ने सवाल उठाया कि क्या ‘यूएसएड’ ने तालिबान को पैसा दिया था? उन्होंने कहा कि इस अमेरिकी संस्था ने आतंकवादी और नक्सलवादी गतिविधिया बढ़ाने वाले कुछ संगठनों को पैसा दिया या नहीं, विपक्ष यह बताए। भाजपा सांसद ने देश में मानवाधिकार के नाम पर और ‘सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च’ के नाम पर विभिन्न संस्थाओं को ‘यूएसएड’ द्वारा पैसा दिए जाने का आरोप लगाते हुए सरकार से अनुरोध किया कि इनकी जांच हो और जिन्होंने देश को नुकसान पहुंचाने के लिए पैसा लिया, उन्हें जेल में डाला जाए।

दुबे के इन आरोपों पर कांग्रेस सदस्यों ने नारेबाजी की। कुछ सदस्य इस संबंध में व्यवस्था का प्रश्न उठाना चाह रहे थे। हालांकि, पीठासीन अध्यक्ष संध्या राय ने कहा कि शून्यकाल में व्यवस्था का प्रश्न नहीं होता। झारखंड की गोड्डा लोकसभा सीट से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे पहले भी सदन में इन मुद्दों को उठाते रहे हैं।

क्या है USAID ?

अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID) अमेरिकी सरकार की इंटरनेशनल एजेंसी है, जो सैध्दांतिक रूप से संघर्षग्रस्त देशों और अन्य “रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देशों” की गरीबी, बीमारियों और अन्य संकटों को कम करके सहायता करती है। USAID की स्थापना 1961 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी द्वारा एक स्वतंत्र एजेंसी के रूप में की गई थी। इसका लक्ष्य था—शीत युद्ध के दौरान सोवियत प्रभाव का मुकाबला करना और विभिन्न विदेशी सहायता कार्यक्रमों को संचालित करना। USAID में 10,000 से अधिक लोग कार्यरत हैं, जिनमें से लगभग दो-तिहाई अमेरिका से बाहर काम करते हैं।

क्यों है USAID विवादित? कितने गंभीर आरोप है USAID पर?

सप्ताहांत के दौरान और सोमवार को, मस्क ने एक्स (X) पर कई पोस्ट किए, जिनमें उन्होंने USAID पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।
“क्या आप जानते हैं कि USAID ने आपके टैक्स के पैसे से बायोवेपन रिसर्च को फंड किया, जिसमें COVID-19 भी शामिल है, जिसने लाखों लोगों की जान ली?”—एक पोस्ट में लिखा गया, जो महामारी की उत्पत्ति पर आधारित 2023 के न्यूयॉर्क पोस्ट के एक लेख का हवाला देता है।

कोई सबूत दिए बिना, मस्क ने USAID को “कट्टर-वामपंथी राजनीतिक साजिश” और “पैसे की पागल बर्बादी” कहा। उन्होंने यह भी दावा किया कि “USAID मीडिया संगठनों को अपनी प्रोपेगेंडा सामग्री प्रकाशित करने के लिए भुगतान कर रहा है।”

भारत में भी USAID को लेकर हमेशा आरोप लगते रहे हैं। एजेंसी पर आरोप है कि वो मोदी सरकार को गिराने के लिए तैयार लोगों, ऑर्गेनाइजेशन्स को करोड़ों रूपये की सहायता देती है। 2014 के बाद से भारत में मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए यूएसएड ने जार्ज सारोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के माध्यम से भारत में मोदी विरोधी NGOs, मीडिया ऑर्गेनाइडेशन्स, पत्रकार, सोशल वर्कस, बुध्दिजीवी सहित ऐसे तमाम लोगों को करोड़ों रूपये की सहायता दी है, जो उनके एजेंडे के तहत काम कर सकें।

दिल्ली के शाहीन बाग में मुस्लिम वर्ग धरना प्रदर्शन हो, या किसान बिल को लेकर पंजाब के किसानों का दिल्ली की सीमा पर धरना, जेएनयू में भारत विरोधी प्रदर्शन हो या देश में अर्बन नक्सल बुध्दिजीवियों के संगठन, इन सबके लिए करोड़ों रूपये खर्च करने का आरोप यूएसएड पर लगता रहा है।

USAID पर आरोप है कि हाल ही मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई ‘अग्निवीर योजना’ के खिलाफ देशभर में माहौल बनाने के लिए एजेंसी ने दूसरे तरीकों से करोडों रूपये खर्च किए थे, जिससे देश का युवा भारत सरकार की इस योजना के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन छेड़ दे। इतना ही नहीं देश में जातिगत-जनगणना मुद्दे पर देश के हिंदु समाज को जातिगत मुद्दों पर बांटने की कोशिश के लिए भी करोड़ों रूपये खर्च करने के आरोप लगे थे।

कितना पैसा खर्च करता है USAID?

वित्त वर्ष 2023 में, जो सबसे हालिया वित्तीय वर्ष है, अमेरिकी सरकार ने $71.9 बिलियन याने सवा छह लाख करोड़ रूपये से ज्यादा की विदेशी सहायता वितरित की, यह जानकारी ForeignAssistance.gov के अनुसार है। इसके मुकाबले वित्त वर्ष 2022 में लगभग $74.0 बिलियन खर्च किए गए थे। ये आंकड़े (और ForeignAssistance.gov से प्राप्त अन्य आंकड़े) हथियारों की बिक्री या विदेशी देशों को सैन्य उपकरणों के स्थानांतरण को शामिल नहीं करते।

विदेशी सहायता की राशि, प्राप्तकर्ता और इसका उपयोग हर साल बदलता रहता है, जो युद्ध, आपदाओं या महामारी जैसे बदलते हालात और नीतिगत प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2001 में अमेरिकी विदेशी सहायता खर्च तुलनात्मक रूप से काफी कम था—2023 में मुद्रास्फीति समायोजित आंकड़ों के अनुसार $24.6 बिलियन। हालांकि, संघीय बजट मानकों के हिसाब से हाल के वर्षों में वार्षिक सहायता खर्च में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव नहीं देखा गया है। वित्त वर्ष 2008 से वित्त वर्ष 2023 के बीच वार्षिक सहायता खर्च मुद्रास्फीति-समायोजित आंकड़ों के अनुसार $52.9 बिलियन से $77.3 बिलियन के बीच रहा है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अमेरिकी सरकार दुनिया में सबसे बड़ी विदेशी सहायता दाता है, जो 2024 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा ट्रैक की गई कुल मानवीय सहायता का 40% से अधिक योगदान देती है।

पढ़ें, ट्रम्प का Executive Order जिसमें USAID पर कार्रवाई की बात कही है-

“संविधान और संयुक्त राज्य अमेरिका के कानूनों द्वारा राष्ट्रपति के रूप में मुझे प्रदत्त अधिकार के तहत, निम्नलिखित आदेश दिया जाता है:
अनुभाग 1: उद्देश्य।
संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेशी सहायता उद्योग और नौकरशाही अमेरिकी हितों के अनुरूप नहीं है और कई मामलों में अमेरिकी मूल्यों के विपरीत कार्य करती है। यह विदेशी देशों में उन विचारों को बढ़ावा देकर विश्व शांति को अस्थिर करती है, जो देशों के भीतर और उनके बीच सामंजस्यपूर्ण और स्थिर संबंधों के विपरीत होते हैं।
अनुभाग 2: नीति।
संयुक्त राज्य अमेरिका की यह नीति है कि अमेरिकी विदेशी सहायता तब तक जारी नहीं की जाएगी जब तक कि वह राष्ट्रपति की विदेश नीति के साथ पूरी तरह से संरेखित न हो।
अनुभाग 3:
(a) संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेशी विकास सहायता में 90 दिनों का विराम—कार्यक्रम की दक्षता और अमेरिकी विदेश नीति के अनुरूपता का मूल्यांकन करने के लिए 90 दिनों की अवधि के लिए नई प्रतिबद्धताओं और विकास सहायता निधियों का वितरण रोक दिया जाएगा। जिन विभागों और एजेंसियों के पास विदेशी विकास सहायता कार्यक्रमों की जिम्मेदारी है, उन्हें तुरंत इस विराम का पालन करना होगा। कार्यक्रमों की समीक्षा के दौरान यह विराम रहेगा, जिसे इस आदेश की तिथि से 90 दिनों के भीतर पूरा किया जाएगा। प्रबंधन और बजट कार्यालय (OMB) इस विराम को अपने अपूर्णता अधिकार के माध्यम से लागू करेगा।
(b) विदेशी सहायता कार्यक्रमों की समीक्षा।
प्रत्येक विदेशी सहायता कार्यक्रम की समीक्षा संबंधित विभाग और एजेंसी प्रमुखों द्वारा की जाएगी, जिसे विदेश मंत्री द्वारा दिशानिर्देशों के तहत ओएमबी निदेशक के परामर्श से किया जाएगा।
(c) निर्णय।
प्रत्येक विदेशी सहायता कार्यक्रम को जारी रखने, उसमें संशोधन करने या बंद करने का निर्णय समीक्षा की सिफारिशों के आधार पर विभाग और एजेंसी प्रमुखों द्वारा ओएमबी निदेशक के परामर्श से और विदेश मंत्री की सहमति के साथ 90 दिनों के भीतर लिया जाएगा।
(d) रुकी हुई विकास सहायता निधियों का पुनः आरंभ।
यदि किसी कार्यक्रम की समीक्षा पूरी हो जाती है और विदेश मंत्री या उनके प्रतिनिधि ओएमबी निदेशक के परामर्श से उसी रूप में या संशोधित रूप में कार्यक्रम जारी रखने का निर्णय लेते हैं, तो 90 दिनों की अवधि समाप्त होने से पहले ही नई प्रतिबद्धताएं और सहायता निधियों का वितरण शुरू हो सकता है। इसके अलावा, अन्य नए विदेशी सहायता कार्यक्रमों और प्रतिबद्धताओं को भी विदेश मंत्री या उनके प्रतिनिधि द्वारा ओएमबी निदेशक के परामर्श से स्वीकृत किया जाना चाहिए।
(e) छूट।
विदेश मंत्री विशिष्ट कार्यक्रमों के लिए अनुभाग 3(a) में दिए गए विराम से छूट दे सकते हैं।
अनुभाग 4: सामान्य प्रावधान।
(a) इस आदेश का उद्देश्य निम्नलिखित में हस्तक्षेप करना या उन्हें प्रभावित करना नहीं है:
(i) कानून द्वारा कार्यकारी विभाग या एजेंसी या उनके प्रमुख को प्रदत्त अधिकार; या
(ii) बजटीय, प्रशासनिक, या विधायी प्रस्तावों से संबंधित प्रबंधन और बजट निदेशक के कार्य।
(b) यह आदेश लागू कानूनों और उपलब्ध बजट के अनुरूप लागू किया जाएगा।
(c) इस आदेश का उद्देश्य किसी भी पक्ष को संयुक्त राज्य अमेरिका, उसके विभागों, एजेंसियों या अधिकारियों के खिलाफ कोई अधिकार या लाभ प्रदान करना नहीं है, जिसे कानून के तहत लागू किया जा सके।

(एजेंसी इनपुट के साथ) 

Trump सरकार को 6 लाख करोड़ रूपये का झटका, भारत में किस-किस को होगी पैसे की किल्लत

CBI का Oxfam पर वार, NGO- उसके पूर्व CEO के खिलाफ आरोप-पत्र दायर

In Parliament: ‘ भारतीय दूतावासों में जासूसी, आतंकी हमले को लेकर क्या है तैयारी ?’ संसदीय समिति ने मांगे जवाब

 

 

 

 

First Published - February 10, 2025 | 6:43 PM IST

संबंधित पोस्ट