facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

अगली बैठक में पॉलिसी रेट में इजाफा रुकेगा!

Last Updated- February 10, 2023 | 10:31 PM IST
RBI

किसी को यह उम्मीद नहीं रही होगी कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इससे बेहतर कदम उठाएगा। आरबीआई की दरें तय करने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने नीतिगत दरों (Policy Rate) में एक बार फिर 25 आधार अंकों का इजाफा किया है।

मई 2022 में दरों में इजाफे का सिलसिला शुरू होने के बाद यह सबसे कम इजाफा है। इसके साथ ही नीतिगत दरें 6.5 फीसदी हो गईं। पिछली बार फरवरी 2019 में दरें इस स्तर पर थीं। उस वक्त खुदरा मूल्य सूचकांक 2.57 फीसदी पर था।

नीतिगत रुख में कोई बदलाव नहीं किया गया है और वह पूरी तरह समायोजन को वापस लेने पर केंद्रित है। अनुमान के मुताबिक ही दोनों निर्णय सर्वस​म्मति से नहीं लिए गए और दो सदस्यों ने विरोध में मत दिया लेकिन कुल मिलाकर नीतिगत रुख वही रहा।

क्या यह वर्तमान चक्र का अंतिम इजाफा है? क्या रिजर्व बैंक अप्रैल में यानी वित्त वर्ष 2024 की पहली बैठक में नीतिगत दर में इजाफा रोकेगा?

नीतिगत वक्तव्य में भविष्य को लेकर कोई निर्देशन नहीं किया गया है। नीति प्रस्तुत किए जाने के बाद संवाददाता सम्मेलन में आरबीआई गवर्नर श​क्तिकांत दास ने संबं​धित सवाल का जवाब देने से इनकार करते हुए कहा था कि इस समय आशावाद का माहौल है। इस वक्तव्य के कई मायने निकाले जा सकते हैं।

इस समय कोई भविष्यवाणी करना मु​श्किल है। अनुमान है कि चालू वर्ष की अंतिम तिमाही में मुद्रास्फीति औसतन 5.6 फीसदी रहेगी जबकि नीतिगत दर 6.50 प्र​तिशत है। मुद्रास्फीति के समायोजन के बाद नीतिगत दर अभी भी महामारी के पहले के स्तर से पीछे है।

इसके बावजूद इस संभावना को सिरे से नकारा नहीं जा सकता है कि एमपीसी की अगली बैठक में इजाफे को रोका जा सकता है। भविष्य के कदमों की बात करें तो नीतिगत दर और रुख दोनों ही मामलों में सबकुछ आंकड़ों पर निर्भर करेगा।

दास ने इस बात पर जोर दिया कि वृद्धि को सहायता पहुंचाने के साथ-साथ रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने का प्रयास जारी रखेगा। उन्होंने कहा, ‘मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति के बदलते दायरे को लेकर पूरी तरह सतर्क बनी रहेगी और अर्थव्यवस्था के सामने आने वाली चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटेगी।’

नि​श्चित तौर पर मुद्रास्फीति अभी भी अर्थव्यवस्था के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है और रिजर्व बैंक का मिशन अभी भी यही है कि मुद्रास्फीति की दरों में उल्लेखनीय कमी लाई जाए।

यह देखना सुखद है कि रिजर्व बैंक इस बात का जश्न मनाने के मूड में नहीं है कि मुद्रास्फीति 6 फीसदी के स्तर से नीचे आ चुकी है और भारत बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम मुद्रास्फीति वाला देश है। इन बातों के बावजूद भारत ने अपना लक्ष्य नहीं बदला है और वह मुद्रास्फीति को चार फीसदी (दो फीसदी ऊपर या नीचे) के स्तर पर लाने को लेकर प्रतिबद्ध है। मुद्रास्फीति को ल​क्षित करने की यह लचीली व्यवस्था जून 2016 में शुरू हुई थी।

लगातार 10 महीने तक तय दायरे की ऊपरी सीमा का उल्लंघन करने के बाद (अप्रैल 2022 में यह 7.79 फीसदी हो गई थी) खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर 2022 में 5.88 फीसदी और दिसंबर में 5.77 फीसदी रही।

अनुमान है कि वित्त वर्ष 2023 में मुद्रास्फीति 6.5 फीसदी रहेगी। यह अनुमान कच्चे तेल की कीमत 95 डॉलर प्रति बैरल रहने के कयास पर आधारित है।

वित्त वर्ष 2024 में यह अनुमान 5.3 फीसदी है क्यों​कि मॉनसून के सामान्य रहने का अनुमान है। तिमाही आधार पर देखें तो पहली तिमाही में मुद्रास्फीति के 5 फीसदी, दूसरी और तीसरी तिमाही में 5.4 फीसदी और अंतिम तिमाही में 5.6 फीसदी रहने का अनुमान है। अंतिम तिमाही में आधार प्रभाव के चलते इजाफा हो सकता है।

रिजर्व बैंक ने अपने वक्तव्य में कहा, ‘मुद्रास्फीति संबंधी पूर्वानुमान भूराजनीतिक तनाव के कारण निरंतर व्याप्त अनि​श्चितता, वै​श्विक वित्तीय बाजारों की अ​स्थिरता, बढ़ती गैर तेल जिंस कीमतों और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव की वजह से है।’

रिजर्व बैंक के लिए शीर्ष मुद्रास्फीति से अ​धिक बड़ी समस्या बुनियादी मुद्रास्फीति है। यानी गैर खाद्य, गैर तेल मुद्रास्फीति जो मांग के दबाव को दर्शाती है। यह अर्थव्यवस्था बहुत लंबे समय से अपनी जगह पर बनी हुई है।

वृद्धि के मोर्चे पर रिजर्व बैंक को बेहतरी की उम्मीद है। वह मजबूत आ​र्थिक गतिवि​धियों की बात कर रहा है और निवेश में भी निरंतर इजाफा होने की उम्मीद है। जनवरी के अंत तक सालाना आधार पर गैर खाद्य बैंक ऋण में 16.7 फीसदी का इजाफा हुआ था।

विशुद्ध रूप से देखें तो चालू वित्त वर्ष में अब तक 20.8 लाख करोड़ रुपये का ऋण वितरित हुआ है जबकि गत वर्ष यह 12.5 लाख करोड़ रुपये था।

वित्त वर्ष 2023 में 7 फीसदी की वास्तविक जीडीपी वृद्धि के साथ रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024 में 6.4 फीसदी वृद्धि का अनुमान जताया। उसके मुताबिक पहली तिमाही में 7.8 फीसदी, दूसरी तिमाही में 6.2 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी की वृद्धि देखने को मिलेगी।

मुद्रास्फीति और वृद्धि दोनों को लेकर अगले वर्ष के पूर्वानुमान अधिकांश विश्लेषकों के अनुमान से अ​धिक हैं। मुद्रास्फीति के मोर्चे पर रिजर्व बैंक का रुख अ​धिक पारंपरिक है जबकि वृद्धि को लेकर वह आशा​न्वित है।

हम सभी को प्रतीक्षा है कि आगे चलकर हालात क्या मोड़ लेते हैं। फिलहाल दोनों ही आंकड़े निरंतरता में हैं क्योंकि उच्च वृद्धि, मुद्रास्फीति को भी गति देगी। नीति में नकदी की ​​स्थिति को लेकर भी आगे की कोई राह नहीं दिखाई गई है।

फिलहाल व्यवस्था में अतिरिक्त नकदी मौजूद है हालांकि अभी भी उसका स्तर अप्रैल 2022 की तुलना में कम है। उच्च सरकारी व्यय और विदेशी पूंजी के प्रवाह की मदद से इसमें इजाफा देखने को मिल सकता है लेकिन फरवरी और अप्रैल 2023 के बीच 1,530 करोड़ रुपये के लॉन्ग टर्म रीपो ऑपरेशंस और 73,118 करोड़ रुपये के टारगेटेड लॉन्ग टर्म रीपो ऑपरेशंस के कारण इसे कुछ हद तक निष्प्रभावी किया जा सकेगा। ​

रिजर्व बैंक ने खुले बाजार से बॉन्ड खरीद का कोई संकेत नहीं दिया है लेकिन उसने बाजार को आश्वस्त किया है कि वह अपना रुख लचीला रखेगा।

अगले वित्त वर्ष में सरकार की उधारी योजना 15.4 लाख करोड़ रुपये के साथ अब तक के उच्चतम स्तर पर रहेगा। बहरहाल इन सारी बातों के बीच बॉन्ड बाजार की ओर से अपेक्षाकृत खामोश प्रतिक्रिया आई है।

First Published - February 10, 2023 | 10:31 PM IST

संबंधित पोस्ट