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शिक्षा ऋण के क्षेत्र में क्रेडिला की सफलता के कारगर पहलू

HDFC को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के जोर देने पर अपनी शिक्षा ऋण इकाई बेचनी पड़ी। यह HDFC बैंक के साथ HDFC के विलय को मंजूरी देने की पहले की शर्तों में से एक है।

Last Updated- June 28, 2023 | 7:43 PM IST
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हॉन्गकॉन्ग की बीपीईए ईक्यूटी ने हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉरपोरेशन (HDFC) के स्वामित्व वाली HDFC क्रेडिला फाइनैंशियल सर्विसेज का 9,060 करोड़ रुपये में अधिग्रहण किया है। इससे HDFC क्रेडिला का मूल्यांकन 10,350 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया है। HDFC को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के जोर देने पर अपनी शिक्षा ऋण इकाई बेचनी पड़ी। यह HDFC बैंक के साथ HDFC के विलय को मंजूरी देने की पहले की शर्तों में से एक है।

HDFC अगले दो साल तक इसका मालिक बना रह सकता था लेकिन उस स्थिति में HDFC क्रेडिला को नए ग्राहक लेने की अनुमति नहीं होती। HDFC क्रेडिला के लिए कई दावेदार थे, जिनमें ब्लैकस्टोन, कार्लाइल, टीए एसोसिएट्स और सीवीसी कैपिटल जैसे बड़े प्राइवेट इक्विटी फंड और आबु धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी और सिंगापुर के जीआईसी सॉवरिन वेल्थ फंड शामिल थे।

भारतीय पीई (प्राइवेट इक्विटी) कंपनियों क्रिस कैपिटल और फैरिंग कैपिटल के साथ साझेदारी कर बीपीईए ईक्यूटी शिक्षा फाइनैंसिंग कंपनी में 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी खरीदी है। HDFC 10 फीसदी से कम हिस्सेदारी बरकरार रखेगी।

अनिल और अजय बोहरा, दोनों भाइयों ने मिलकर 2006 में क्रेडिला की स्थापना की थी। दिसंबर 2019 में बोहरा बंधु ने अपनी हिस्सेदारी खत्म कर दी और HDFC ने 395 करोड़ रुपये में उनकी 9.12 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया जिससे HDFC क्रेडिला का मूल्यांकन लगभग 4,330 करोड़ रुपये हो गया। तब से, कंपनी ने अपने ऋण बुक और हैसियत के मामले में लगभग 2.5 गुना की वृद्धि की है।

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HDFC क्रेडिला, शिक्षा ऋण के क्षेत्र में सबसे बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) है। अपनी शुरुआत के बाद से ही इसने भारत और विदेशों में उच्च शिक्षा हासिल करने वाले कम से कम 1,24,000 छात्रों की सेवा की है।

वित्त वर्ष 2023 में कंपनी का सकल ऋण 15,298 करोड़ रुपये था जो पिछले एक साल में 73 फीसदी ज्यादा है। इसने पिछले साल 276 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जिसमें 4.2 प्रतिशत का शुद्ध ब्याज मार्जिन बनाए रखा गया। हालांकि इसका फंसा कर्ज कभी भी ऋण के 1 फीसदी के दायरे को पार नहीं कर पाया। इसका कारोबारी मॉडल काफी अनूठा है।

आइए भारत के पहले और सबसे बड़े निजी शिक्षा ऋण देने वाले ऋणदाता के सफर पर एक नजर डालते हैं। वर्ष 2004 में, अजय, अमेरिका के फ्लोरिडा के बोका रैटन में तीन दिवसीय संरचित वित्तीय (स्ट्रक्चर्ड फाइनैंस) सम्मेलन में भाग ले रहे थे।

सम्मेलन में छात्रों से जुड़े ऋण पर एक सत्र आयोजित किया गया जो एक परिसंपत्ति वर्ग के तौर पर उस समय अमेरिका में 700 अरब डॉलर से अधिक था। छात्रों के ऋण के लिए प्रमुख तौर पर काम कर रही कंपनी सैली माई हर साल अरबों डॉलर के छात्र ऋण का वितरण कर रही थी।

अजय ने मुंबई विश्वविद्यालय के वीरमाता जीजाबाई प्रौद्योगिकी संस्थान से इंजीनियरिंग (बीई) की स्नातक डिग्री हासिल की और न्यूयॉर्क के होफस्ट्रा यूनिवर्सिटी से MBA किया है। अनिल पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से स्नातक हैं और ओहायो विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ साइंस (एमएस) हैं।

दोनों को अमेरिका में अपनी पढ़ाई के लिए शिक्षा ऋण प्राप्त करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। यह सम्मेलन अजय के लिए एक बड़े बदलाव वाला पल साबित हुआ। उन्होंने वहां फैसला किया कि छात्रों के ऋण पर केंद्रित विशेष बैंक स्थापित किया जाए जैसा कि HDFC गिरवी के जरिये ऐसा कर रही थी। उनके सामने सैली माई जैसा मॉडल था जो न केवल शिक्षा ऋण देता है बल्कि छात्रों के करियर का प्रबंधन भी करता है।

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सैली माई, मूल रूप से स्टूडेंट लोन मार्केटिंग एसोसिएशन है और यह उपभोक्ता बैंकिंग क्षेत्र में सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली अमेरिकी कंपनी है। इसकी स्थापना 1972 में हुई थी और शुरुआत में यह एक सरकारी इकाई थी जिसने केंद्रीय स्तर पर शिक्षा ऋण जैसी सेवाएं दी थीं। निजीकरण के बाद, इसका प्राथमिक कारोबार, निजी शिक्षा ऋण का निर्माण, सेवाएं देना और संग्रह करना रहा था। यह कॉलेजों की योजना के लिए भी ऑनलाइन उपकरण और संसाधन भी देता है।

अप्रैल 2014 में, सैली माई ने अपने ऋण सेवा परिचालन और अपने अधिकांश ऋण पोर्टफोलियो को एक अलग सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली इकाई में बदल दिया, जिसे नेविएंट कॉरपोरेशन कहा जाता है जो केंद्रीय स्तर पर छात्रों को ऋण देने वाली सबसे बड़ी सेवा प्रदाता कंपनी है। यह शिक्षा विभाग की ओर से संग्रहकर्ता के रूप में कार्य करती है।

एक बार जब बोहरा बंधु NBFC लाइसेंस हासिल करने में कामयाब रहे, तब वे मेरिल लिंच को एक निवेशक के रूप में आने के लिए मनाने में सक्षम थे। मेरिल लिंच की भारतीय कंपनी डीएसपी मेरिल लिंच, क्रेडिला में 40 फीसदी की इक्विटी साझेदार बन गई है और बाकी का हिस्सा अजय और अनिल के पास रहा। लेकिन मेरिल लिंच एसोसिएशन लंबे समय तक नहीं चला। वैश्विक वित्तीय संकट के बाद बैंक ऑफ अमेरिका ने इसका अधिग्रहण कर लिया था। इसके बाद HDFC ने 40 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए आगे कदम बढ़ाया और क्रेडिला, HDFC क्रेडिला बन गई।

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HDFC द्वारा हिस्सेदारी खरीदने के बाद दीपक पारेख, केकी मिस्त्री, रेणु कर्नाड और वीएस रंगन की चौकड़ी ने बोहरा बंधुओं को एक प्रौद्योगिकी-संचालित, अत्याधुनिक शिक्षा ऋण मंच बनाने और वित्तीय बाजारों से ऋण जुटाने के लिए हाथ मिलाना शुरू कर दिया। इस व्यापक प्रतिस्पर्धी कारोबार में सफलता की कुंजी एक बाधाकारी कारोबारी मॉडल है और निरंतर लाभदायक वृद्धि के लिए लागत और आमदनी के अनुपात को तभी कम रखा जा सकता है जब इसके पास सही प्रौद्योगिकी मंच हो।

शिक्षा वित्त एक जटिल और गतिशील क्षेत्र है। उधार देने वालों को विभिन्न देशों के विश्वविद्यालयों में विभिन्न कॉलेजों द्वारा पेश किए जाने वाले पाठ्यक्रमों को समझने की आवश्यकता है। इसमें कई पहलुओं पर ध्यान देने की जरूरत है पाठ्यक्रम, छात्रों की क्षमता, विश्वविद्यालय, और पाठ्यक्रम समाप्त होने के बाद नौकरी की संभावनाएं आदि जो एक-दूसरे पर काफी हद तक निर्भर हैं। यह चुनौतीपूर्ण है क्योंकि उधारदाताओं को न केवल शैक्षणिक संस्थानों बल्कि छात्रों के प्रदर्शन पर भी निगाह रखने की आवश्यकता है।

HDFC क्रेडिला ने शिक्षा ऋण के ऐसे उपाय दिए हैं जहां अभिभावकों को मार्जिन पूंजी नहीं लगानी पड़ती है। एक बार ऋण की स्वीकृति मिल जाने के बाद, यह छात्रों और माता-पिता को रहने के खर्च सहित शिक्षा की कुल लागत का 100 प्रतिशत तक घर बैठे देने का विकल्प देता है। ऐसे ऋण के लिए कोई सीमा नहीं है।

अमेरिका का कुल शिक्षा ऋण बकाया 1.5 लाख करोड़ डॉलर से अधिक है, जो भारत के सभी कर्जदाताओं के शिक्षा ऋण पोर्टफोलियो के 100 गुना से अधिक है, जिसमें तृतीयक स्तर के शिक्षा से जुड़े कम से कम 3 करोड़ छात्र और किंडरगार्टन से कक्षा 12 तक के 2.5 करोड़ छात्रों की युवा आबादी इसमें शामिल है।

सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022 में कम से कम 7,00,000 छात्र अध्ययन करने के लिए विदेश गए। यह संख्या बढ़ेगी क्योंकि महामारी के बाद संस्थान अपने छात्रों की संख्या बढ़ा रहे हैं। दुनिया भर में शिक्षा की लागत बढ़ रही है और बहुत से परिवार खुद खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में इस क्षेत्र का दायरा बढ़ना तय है।

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रेटिंग करने वाले केयर की एक हाल की रिपोर्ट में कहा गया है कि NBFC ने पिछले दो वर्षों में खुदरा शिक्षा ऋण में अपनी बाजार हिस्सेदारी लगभग दोगुनी कर ली है जो सितंबर 2020 के 9.9 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2022 में 18.6 प्रतिशत तक हो गया है। केयर-रेटिंग वाले NBFC का खुदरा शिक्षा ऋण बुक, सितंबर 2020 में 7,738 करोड़ रुपये से बढ़कर सितंबर 2022 में 17,877 करोड़ रुपये हो गया जब सभी कर्जदाताओं की समग्र शिक्षा ऋण 1.1 लाख करोड़ रुपये आंकी गई थी।

सितंबर 2022 में, वित्त मंत्रालय ने शिक्षा ऋण पोर्टफोलियो का जायजा लेने और ऐसे ऋणों की मंजूरी और वितरण में हो रही देरी को कम करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की एक बैठक बुलाई। शिक्षा ऋण में करीब 90 फीसदी बाजार हिस्सेदारी रखने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, नए ऋण का वितरण करने में सावधानी बरत रहे हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में फंसे कर्ज की तादाद बढ़ रही है। जून 2022 में बैंकिंग क्षेत्र के लिए यह 7.82 प्रतिशत था।

केयर की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऋणों के विशेष जोखिम कौशल के कारण बैंकों की तुलना में NBFC की शिक्षा ऋण परिसंपत्ति गुणवत्ता बेहतर है। यह कोविड-19 के कठिन समय के दौरान भी स्थिर रहा
था।

(लेखक जन स्मॉल फाइनैंस बैंक के वरिष्ठ सलाहकार और लेखक हैं)

First Published - June 28, 2023 | 7:43 PM IST

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