दिल्ली के कथित शराब घोटाले में पूर्व उपमुख्यमंत्री के लिए राहत की खबर नहीं आ रही है। पिछले दिनों CBI ने सुप्रीम कोर्ट से जमानत याचिका को लेकर विरोध जताया था और कहा था कि सिसोदिया शराब घोटाले के मास्टरमाइंट हैं और उन्हें CBI की आगे की जांच के बारे में सब पता है। और आज ऐसा ही हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने आज सिसोदिया की अंतरिम जमानत वाली याचिका पर आदेश देने से इनकार कर दिया।
चार सितंबर को फिर होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े उन दो मामलों में आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की अंतरिम जमानत याचिकाओं पर सुनवाई चार सितंबर को करेगा जिनकी जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रहे हैं।
सिसोदिया की पत्नी के मेडिकल डॉक्यूमेंट पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा…
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना तथा न्यायमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने सिसोदिया की पत्नी के चिकित्सकीय दस्तावेजों (मेडिकल डॉक्यूमेंट्स) को देखा और कहा कि उनकी हालत ‘काफी हद तक स्थिर’ है इसलिए पीठ पूर्व उप मुख्यमंत्री की अंतरिम जमानत याचिकाओं पर नियमित जमानत याचिकाओं के साथ ही गौर करेगी।
सिसोदिया ने अपनी पत्नी की खराब सेहत के आधार पर अंतरिम जमानत का अनुरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई को दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित दो मामलों में सिसोदिया की अंतरिम जमानत याचिकाओं पर CBI और ED से जवाब दाखिल करने को कहा था।
क्या है सिसोदिया का शराब घोटाला वाला मामला?
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के आखिर में इसे वापस ले लिया गया। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी था। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने उन्हें ‘‘घोटाले’’ में उनकी कथित भूमिका के लिए पहली बार 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था और तब से वह हिरासत में हैं। उन्होंने 28 फरवरी को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
ED ने तिहाड़ जेल में उनसे पूछताछ के बाद नौ मार्च को CBI की प्राथमिकी से जुड़े धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। हाईकोर्ट ने 30 मई को सीबीआई मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उपमुख्यमंत्री एवं आबकारी विभाग का मंत्री होने के नाते, वह एक ‘हाई-प्रोफाइल’ व्यक्ति हैं, जो गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
अदालत ने तीन जुलाई को आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें जमानत देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि उनके खिलाफ आरोप ‘बहुत गंभीर प्रकृति’ के हैं।
(PTI-भाषा के इनपुट के साथ)