कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र की मतदाता सूची में ‘विसंगतियां’ हैं और बार-बार आग्रह के बावजूद निर्वाचन आयोग की ओर से मतदाताओं के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराने से लगता है कि कुछ न कुछ गलत है। राहुल गांधी ने दावा किया कि महाराष्ट्र में मतदाताओं की संख्या राज्य की कुल वयस्क आबादी से ज्यादा है। उन्होंने कहा, ‘सरकार के आंकड़ों के अनुसार, राज्य की वयस्क आबादी 9.54 करोड़ है, जबकि मतदाताओं की संख्या 9.70 करोड़ है।’दूसरी ओर निर्वाचन आयोग ने कहा कि वह महाराष्ट्र में मतदाताओं की संख्या राज्य की कुल आबादी से अधिक होने के संबंध में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोपों पर लिखित में पूरे तथ्यों के साथ जवाब देगा।
लोक सभा में नेता प्रतिपक्ष ने शिवसेना (उद्धव) के नेता संजय राउत और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की सांसद सुप्रिया सुले के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि यदि निर्वाचन आयोग डेटा उपलब्ध कराने की मांग नहीं मानता को अगला कदम न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाना होगा। निर्वाचन आयोग को पारदर्शिता लानी चाहिए, महाराष्ट्र में लोक सभा और विधान सभा चुनावों से जुड़ी पूरे राज्य की केंद्रीकृत मतदाता सूची उपलब्ध कराना उसकी जिम्मेदारी है।
राहुल गांधी ने कहा, ‘हमारी टीम ने मतदाता सूची और मतदान पैटर्न का सावधानीपूर्वक अध्ययन किया है। हम पिछले कुछ समय से इस पर काम कर रहे हैं। दुर्भाग्य से हमें कई विसंगितयां मिली हैं।’ उन्होंने कहा कि देश के लिए, विशेषकर युवाओं के लिए जो लोकतंत्र के पक्षधर हैं और उसमें’ विश्वास करते हैं, इन निष्कर्षों से अवगत होना और समझना आवश्यक है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने दावा किया कि पिछले साल लोक सभा चुनाव और फिर पांच महीने बाद हुए महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव के बीच की अवधि में राज्य में हिमाचल प्रदेश की आबादी के बराबर की संख्या में मतदाता बढ़ गए।’
उनके अनुसार, लोक सभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में पांच महीनों में 39 लाख मतदाता जुड़े, जबकि पिछले पांच वर्षों में 32 लाख मतदाता ही जुड़े थे। उन्होंने सवाल किए कि ये मतदाता कहां से आए हैं और ये कौन हैं? राहुल गांधी ने कहा, ‘हम आरोप नहीं लगा रहे हैं, लेकिन विपक्ष की बार-बार मांग के बावजूद निर्वाचन आयोग महाराष्ट्र में मतदाताओं का डेटा उपलब्ध नहीं करा रहा है। इससे पता चलता है कि कुछ गलत है।’
राहुल गांधी ने कहा, ‘चुनाव आयोग अंतिम प्राधिकार है। वे हमें यह नहीं समझा पाएंगे कि महाराष्ट्र में राज्य की वयस्क आबादी से अधिक मतदाता कैसे हैं। इसलिए उन्हें हमें मतदाता सूची देनी होगी, ताकि हम इस विसंगति को समझा सकें। मुझे यकीन है कि अगर वे हमें मतदाता सूची देते हैं, तो एक और संवाददाता सम्मेलन होगा जिसमें महत्त्वपूर्ण सवालों का जवाब दिया जाएगा।’ उनका कहना था, ‘इसलिए हम चुनाव आयोग से लगातार पूछ रहे हैं और महाराष्ट्र में हमारे गठबंधन दल भी आंकड़े मांग रहे हैं लेकिन उन्होंने केवल इसमें देरी की है, जिससे हमारे लोकतंत्र का नुकसान हुआ है।’