लोक सभा और विधान सभा चुनावों में अपनी पार्टी के खेवनहार की जिम्मेदारी निभाते हुए 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरे देशों के साथ संबंधों को भी मजबूत किया। इस साल प्रधानमंत्री मोदी ने 2018 के बाद सबसे अधिक 11 विदेश दौरे किए, जिनमें उन्होंने 16 देशों की यात्राएं कीं। वर्ष 2019 में भी उन्होंने 11 विदेश दौरे किए थे, लेकिन उस समय 14 देशों में गए थे। खास यह कि उस साल भी लोक सभा चुनाव हुए थे। इससे पहले सबसे अधिक 14 दौरे उन्होंने 2018 में किए थे और उस समय वह 20 देश घूमे थे।
पहले कार्यकाल की अपेक्षा दूसरे में वह विदेश बहुत कम गए। इसका प्रमुख कारण कोविड-19 महामारी भी रहा। इस दौरान 2021 में उन्होंने केवल 3 विदेश दौरे किए और 4 देशों में गए। वह 2020 एक बार भी विदेश नहीं गए। विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक सन 2022 में प्रधानमंत्री मोदी ने 7 दौरे किए और 10 देशों में गए। इसी प्रकार 2023 में 6 दौरों में 9 देशों की यात्राएं की।
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इस साल प्रधानमंत्री मोदी देश में लोक सभा और विधान सभा चुनावों की पार्टी की जिम्मेदारियों में घिरे रहे। लोक सभा के साथ चार राज्यों में विधान सभा चुनाव भी हुए और चार राज्यों में इसके बाद चुनाव संपन्न हुए। इन चुनावों में प्रधानमंत्री ने अपनी पार्टी के साथ-साथ राजग सहयोगियों के लिए भी प्रचार किया।
इसके बावजूद वह पूरे वर्ष बाहरी जिम्मेदारियों को भी पूरा करते रहे और 11 बार विदेश गए। इसमें दो दौरे लोक सभा चुनाव से पहले हुए, जिनमें वह फरवरी के दौरान संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और मार्च में भूटान की यात्रा शामिल है। लोक सभा चुनाव के बाद मोदी 9 दौरों पर विदेश गए और 13 देशों में गए। इसमें वह दो बार रूस भी गए।
पहले अगस्त में प्रधानमंत्री मोदी ने मास्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक की और दूसरी बार वह अक्टूबर में ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने रूस गए। उस दौरान शिखर सम्मेलन से इतर 23 अक्टूबर को चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ उनकी वार्ता काफी चर्चा में रही। दोनों नेताओं के बीच 50 मिनट की बातचीत में सीमा पर तनाव कम करने एवं द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर सहमति बनी।
मालूम हो कि 2020 में गलवान घाटी में सैनिकों की झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ था। तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की पहली विदेश यात्रा इटली की रही, जहां वह जून के मध्य में जी7 देशों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने गए थे। इसके बाद 8 से 10 जुलाई को वह रूस और ऑस्ट्रेलिया गए और फिर 21 से 23 अगस्त के बीच यूक्रेन एवं पोलैंड गए। उनकी यह यात्रा भी वैश्विक स्तर पर चर्चा में रही।
साल 2024 में मोदी विश्व के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल रहे जिन्होंने रूसी राष्ट्रपति के साथ शिखर बैठक के लिए मॉस्को और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से वार्ता करने के लिए कीव का दौरा किया। यूक्रेन और रूस के बीच पिछले ढाई साल से अधिक समय से युद्ध चल रहा है। इसे देखते हुए रूसी राष्ट्रपति के साथ उनके मॉस्को से बाहर एस्टेट में वार्ता करने, डिनर करने एवं ई-कार्ट में घूमने के साथ-साथ रूसी राष्ट्रपति को गले लगाने जैसी गतविधियों के लिए अमेरिका एवं यूरोपीय नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रूसी राष्ट्रपति को गले लगाने पर जेलेंस्की ने खुलकर निराशा व्यक्त की थी। छह माह बाद जब मोदी कीव गए तो उन्होंने जेलेंस्की को भी पूरी गर्मजोशी के साथ सीने से लगाया था और साफ-साथ कहा था कि क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए वह दोनों देशों के बीच मध्यस्थता के लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जेलेंस्की को बताया था कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से कहा है कि युद्ध के मैदान में समस्याओं का हल नहीं निकलता। केवल वार्ता से ही युद्ध रुक सकता है।
अब 2025 में रूस और भारत की घनिष्ठता देखने को मिलेगी। रूसी राष्ट्रपति पुतिन अगले साल की शुरुआत में भारत दौरे पर आ सकते हैं। यूक्रेन के साथ 2022 में युद्ध छिड़ने के बाद पुतिन का यह पहला भारत दौरा होगा। इस माह के शुरू में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पुतिन से मिलने मॉस्को गए थे। इसके अलावा 21 से 23 सितंबर को यूएई का दौरा किया, जहां उन्होंने क्वाड सम्मेलन में हिस्सा लिया और भारतीय प्रवासियों से भी संवाद किया।
मोदी नवंबर में नाइजीरिया गए थे, जो 17 वर्षों में किसी प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। इसके बाद वह गुयाना गए जहां पिछले 56 साल से कोई भारतीय प्रधानमंत्री नहीं गया था। हां, इस दौरान कनाडा से भारत के संबंधों में कड़वाहट रही, जहां दोनों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निकाल दिया था।