लोकसभा में संसदीय कार्रवाई ने एक नया मोड़ ले लिया है। मणिपुर मामले पर संसद में चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी दल मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर समर्थन दे रहे हैं। पिछले दिनों अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विपक्षी ‘I.N.D.I.A’ गठबंधन दलों के बीच चर्चा हो रही थी और इसी बीच आज कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने संसद में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया। इसपर चर्चा के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की तरफ से स्वीकृति भी मिल गई।
बता दें कि गोगोई असम में कलियाबोर निर्वाचन क्षेत्र (Kaliabor constituency) का प्रतिनिधित्व करते हैं और पूर्वोत्तर क्षेत्र से सांसद हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ने दी मंजूरी
कांग्रेस पार्टी की तरफ से मोदी सरकार के खिलाफ जब प्रस्ताव लोकसभा के सामने पेश किया गया तो लोकसभा में शून्यकाल के दौरान बिरला ने कहा, ‘मुझे सदन को सूचित करना है कि गौरव गोगोई से नियम 198 के तहत मंत्रिपरिषद में अविश्वास प्रस्ताव का अनुरोध प्राप्त हुआ है…कृपया आप (गोगोई) सदन की अनुमति प्राप्त करें।’
इसके बाद गोगोई ने कहा, ‘मैं निम्नलिखित प्रस्ताव के लिए सदन की अनुमति चाहता हूं-यह सभा मंत्रिपरिषद में विश्वास का अभाव प्रकट करती है।’
कौन-कौन सी पार्टियों ने दिया समर्थन?
लोकसभा अध्यक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव की अनुमति देने का समर्थन करने वाले सदस्यों से अपने स्थान पर खड़े होने के लिए कहा। इस पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), द्रमुक और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्य खड़े हो गए। इसके बाद बिरला ने कहा, ‘ इस प्रस्ताव को अनुमति दी जाती है। मैं सभी दलों के नेताओं से चर्चा करके उचित समय पर इस प्रस्ताव पर चर्चा कराने की तिथि के बारे में आप लोगों को अवगत करा दूंगा।’ अविश्वास प्रस्ताव के चर्चा के लिए स्वीकार होने के बाद विपक्ष कुछ सदस्यों ने ‘चक दे इंडिया’ का नारा लगाया।
क्या विपक्षी दलों के पास है बहुमत? क्या है सांसदों का कहना ?
विपक्षी सांसदों ने कहा कि वे जानते हैं कि लोकसभा में संख्या बल सरकार के पक्ष में है लेकिन अविश्वास प्रस्ताव मणिपुर में हिंसा समेत विभिन्न मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांगने का एक तरीका है।
CPI सांसद बिनॉय विश्वम ने कहा, ‘यह अविश्वास प्रस्ताव एक राजनीतिक उद्देश्य के साथ एक राजनीतिक कदम है – एक राजनीतिक कदम जो परिणाम लाएगा…अविश्वास प्रस्ताव उन्हें (प्रधानमंत्री) संसद में आने के लिए मजबूर करेगा। हमें संसद के अंदर देश के मुद्दों, खासकर मणिपुर के मुद्दों पर चर्चा की जरूरत है। संख्याओं को भूल जाइए, वे संख्याएं जानते हैं और हम संख्याएं जानते हैं।’
लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक मनिकम टैगोर ने कहा कि ‘INDIA’ गठबंधन एक साथ है और उसने अविश्वास प्रस्ताव का विचार पेश किया है। उन्होंने कहा, ‘कल यह निर्णय लिया गया था। आज कांग्रेस पार्टी के नेता इसे आगे बढ़ा रहे हैं। हम श्री मोदी के अहंकार को तोड़ना चाहते थे। वह एक अहंकारी व्यक्ति के रूप में व्यवहार कर रहे हैं – संसद में आकर मणिपुर पर बयान नहीं देना… हमें लगता है कि इस आखिरी हथियार का इस्तेमाल करना हमारा कर्तव्य है।’
आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि कुछ संसदीय प्रक्रियाओं का उपयोग लंबी अवधि की चर्चा करने और सरकार को जवाब देने के लिए मजबूर करने के लिए किया जाता है।
2018 में PM मोदी का भाषण आज बन रहा चर्चा का मुद्दा
केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की विपक्षी दलों की योजना के बीच 2018 में इस तरह के प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जवाब सोशल मीडिया पर खूब फैल रहा है जिसमें उन्होंने विपक्षी पार्टियों का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि उन्हें 2023 में भी ऐसा ही प्रस्ताव लाने की तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने लोकसभा में 2018 में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देते हुए कहा था, ‘मैं आपको अपनी शुभकामनाएं देना चाहता हूं कि आप इतनी तैयारी करें कि 2023 में फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाने का आपको मौका मिले।’
विपक्षी पार्टी के एक सदस्य को जवाब देते हुए मोदी ने कहा था कि यह अहंकार का नतीजा है कि कांग्रेस की सीटों की संख्या कभी 400 से अधिक होती थी जो 2014 के लोकसभा चुनावों में घटकर करीब 40 रह गई। उन्होंने कहा था कि अपनी सेवा की भावना की बदौलत ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दो सीटों से बढ़कर अपने दम पर जीत का आंकड़ा हासिल किया है।