रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को लोक सभा में ‘रेल (संशोधन) विधेयक, 2024’ पेश किया और कहा कि इसके माध्यम से रेलवे बोर्ड को पूर्ण अधिकार मिलेंगे। सदन में इस विधेयक को पेश किए जाने का विरोध करते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि रेल मंत्री को ऐसे गैरजरूरी विधेयक लाने के बजाय रेल दुर्घटनाएं रोकने पर ध्यान देना चाहिए।
रेल मंत्री वैष्णव ने तृणमूल कांग्रेस के सांसद पर चुटकी लेते हुए कहा, ‘लगता है कि सदस्य के पास कोई काम नहीं है, इसलिए वह अनावश्यक आपत्ति लाते हैं। उनकी पार्टी को उन्हें और अधिक काम देना चाहिए।’
वैष्णव ने कहा कि भारत में जब रेलवे की शुरुआत हुई तो यह लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की एक शाखा के रूप में काम करती थी और रेलवे के विस्तार के साथ जब एक अलग व्यवस्था की जरूरत महसूस हुई तो 1905 में रेलवे बोर्ड बनाया गया।
उन्होंने कहा कि 1989 में भारतीय रेलवे से संबंधित नया कानून आया, लेकिन एक कमी रह गई थी और रेलवे बोर्ड को वैधानिक अधिकार नहीं मिल पाए थे। रेल मंत्री ने कहा, ‘इस कमी को इस विधेयक के माध्यम से पूरा किया जा रहा है। इससे रेलवे बोर्ड को पूर्ण अधिकार मिलेंगे और उसकी क्षमता बढ़ेगी।’
संसद ने वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार करने के लिए दोनों सदनों की संयुक्त समिति के गठन की खातिर लोक सभा के 21 और राज्य सभा के 10 सदस्यों को नामित करने की अनुशंसा संबंधी प्रस्ताव को शुक्रवार को मंजूरी दे दी। इस संयुक्त समिति में लोक सभा से जिन 21 सदस्यों को शामिल किया गया है उनमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आठ और कांग्रेस के तीन सांसद शामिल हैं।
राज्य सभा से समिति में शामिल किए गए सदस्यों में से चार भाजपा के और एक-एक सदस्य कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), वाईएसआर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के हैं। एक मनोनीत सदस्य को भी समिति का सदस्य बनाया गया है। इस प्रकार इस समिति के कुल सदस्यों की संख्या 31 हो गई।