Editorial: केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा और भविष्य
भारतीय रिजर्व बैंक 2022 के उत्तरार्द्ध से ही प्रायोगिक स्तर पर केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) जारी कर रहा है। खुदरा क्षेत्र में ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित सीबीडीसी-आर को एक सीमित उपयोगकर्ता समूह (सीयूजी) के बीच जारी किया गया था जिसमें भाग लेने वालों में ग्राहक और व्यापारी शामिल हैं। प्रायोगिक तौर पर जारी […]
Editorial: चुनावी चंदे में पारदर्शिता और सुधार का अवसर
सर्वोच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों के संवैधानिक पीठ ने देश में चुनावी चंदे में आवश्यक पारदर्शिता लाने वाला निर्णय सुनाते हुए छह वर्ष पुरानी चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए उस पर रोक लगा दी। उसने अपने निर्णय में कहा कि यह बॉन्ड संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) में निहित सूचना के अधिकार का […]
NDA vs UPA: आर्थिक प्रदर्शन में कौन आगे?
केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में प्रस्तुत श्वेत पत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार के कार्यकाल के 10 वर्षों में देश का आर्थिक प्रदर्शन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के 10 वर्षों (2004-14) की तुलना में बेहतर रहा है। जैसा कि इस संदर्भ में इस समाचार […]
Editorial: उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना में गहन सुधार आवश्यक
सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना देश की औद्योगिक नीति के सबसे करीब है। कई पीएलआई कार्यक्रम उन क्षेत्रों के लिए भी तैयार किए गए जिनके बारे में सरकार मानती है कि वे देश के विकास और आर्थिक सुरक्षा के लिए प्रासंगिक हैं। इनमें से कुछ सीधे तौर पर पर्यावरण के अनुकूल बदलाव […]
Editorial: राजकोषीय संघवाद, केंद्र के नियंत्रण और हस्तांतरण को लेकर चिंता
बजट सत्र के दौरान यह एक किस्म की परिपाटी सी बन गई है कि दक्षिण भारत के कुछ राज्यों की सरकारों ने करों में अपनी हिस्सेदारी को लेकर आपत्ति जताई है यानी केंद्र सरकार के राजकोषीय संघवाद पर प्रश्नचिह्न लगाया है। उनकी शिकायत नई नहीं है लेकिन हाल के वर्षों में उसके साथ अतिरिक्त राजनीतिक […]
Editorial: वृहद आर्थिक स्थिरता का लाभ
इसमें दो राय नहीं कि 2013-14 में भारत की अर्थव्यवस्था मुश्किल हालात से दो-चार थी। वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम वर्ष था और तब से अब तक हालात में सुधार हुए हैं। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा गत सप्ताह प्रस्तुत श्वेत पत्र की बहुत सीमित नीतिगत प्रासंगिकता है। भारत की […]
Editorial: औद्योगिक उत्पादन और रोजगार के क्षेत्र में संतुलित दृष्टिकोण
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने हाल ही में उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण (एएसआई) के वर्ष 2020-21 और 2021-22 के आंकड़े जारी कर दिए। ध्यान देने वाली बात है कि दोनों वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी से मची उथल पुथल से जूझ रही थी। बहरहाल, परिणाम दिखाते हैं कि देश का विनिर्माण क्षेत्र […]
Editorial: भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत रीपो दर पर रखा लंबा विराम
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 2024 की अपनी पहली बैठक में नीतिगत रीपो दर और अपने रुख दोनों को अपरिवर्तित रखा। उसने नीतिगत रीपो दर को 6.5 फीसदी के स्तर पर ही बने रहने दिया। इस यथास्थिति की वजह एकदम साफ है। एमपीसी का इरादा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक […]
तेल की बढ़ती मांग: घरेलू उत्पादन और ग्लोबल सप्लाई चेन पर ध्यान दे भारत
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने बुधवार को यह अनुमान जताया कि 2030 तक वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की मांग में कितना इजाफा हो सकता है। आईईए के मुताबिक मांग में इजाफे की सबसे बड़ी वजह भारत होगा जो सबसे बड़े तेल आयातक के रूप में चीन को पछाड़कर शीर्ष पर आ जाएगा। इस समय […]
Editorial: शोध एवं विकास व्यय में इजाफा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट पेश करते समय जो भाषण दिया उसमें उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि सरकार का ध्यान उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। ध्यान देने वाली बात यह है कि सीतारमण ने उभरते क्षेत्रों में नवाचार और शोध को प्रोत्साहन देने के लिए एक लाख […]









