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लेखक : बीएस संपादकीय

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: दीर्घकालिक वृद्धि पर असर और सुधार की बहस

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष में 7.3 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है जबकि वर्ष 2022-23 में इसने 7.2 फीसदी की दर से वृद्धि हासिल की थी। अभी कुछ तिमाही पहले तक अर्थव्यवस्था अधिकांश विश्लेषकों के अनुमान से तेज गति से बढ़ रही […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: इक्विटी फंडों का आकलन सही कदम

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) इक्विटी म्युचुअल फंड योजनाओं का व्यापक स्ट्रेस टेस्ट ( फंडों का यह आकलन कि क्या वे शेयरों की बिक्री की स्थिति में भुगतान की स्थिति में हैं) करने तथा खतरनाक हालात से निपटने के उपाय अपनाने की दिशा में काम कर रहा है। बाजार नियामक की यह अपेक्षाकृत नई […]

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Editorial: गाजा की घटनाओं का असर, वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा

गाजा में गत वर्ष 7 अक्टूबर को हमास-इजरायल संघर्ष शुरू होने के बाद पश्चिम एशिया में बढ़ता विवाद वैश्विक स्थिरता और वृद्धि की निरंतरता के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है। ईरान और पाकिस्तान द्वारा एक दूसरे के क्षेत्र में मिसाइल हमलों ने शत्रुता बढ़ा दी है। इस लड़ाई में ईरान की बढ़ती भूमिका ने […]

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Editorial: नीतिगत सबक, भारत में मानव पूंजी पर एक नजर

देश की मानवीय पूंजी जो संभवत: उसके दीर्घकालिक विकास का सबसे अहम जरिया है, उसका व्यापक विश्लेषण एक गंभीर तस्वीर पेश करता है। गैर लाभकारी संस्था प्रथम की शिक्षा की स्थिति संबंधी वार्षिक रिपोर्ट (असर) भी यही करती है। रिपोर्ट हमें इस बात की झलक दिखाती है कि ग्रामीण भारत में 14 से 18 वर्ष […]

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Editorial: फिनटेक का नियमन और आंतरिक लचीलेपन की गुंजाइश

फिनटेक क्षेत्र के स्व-नियामक संगठनों (एसआरओ-एफटी) के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जो मसौदा मानक तैयार किए हैं, वे उनके लिए वांछित आदर्श गुणों की व्यापक परिभाषा देते हैं। यह आंतरिक लचीलेपन के लिए भी गुंजाइश छोड़ता है। मसौदा ढांचे में कहा गया है कि विश्वसनीयता को बरकरार रखने के लिए एसआरओ-एफटी को स्वतंत्र […]

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Editorial: औद्योगिक नीति को लेकर प्रतिस्पर्धी क्षमता में सुधार के संकेत

सरकार ने हाल के समय में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन और निर्यात, खासकर मोबाइल हैंडसेट को लेकर कहा है कि यह औद्योगिक नीति को लेकर उसके प्रयासों की कामयाबी का संकेत है। निश्चित तौर पर कुछ सफलताएं मिली हैं जो नजर भी आ रही हैं। उदाहरण के लिए 2021-22 में देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन मूल्य के संदर्भ […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: गरीबी से जंग और विकास संबंधी बहस

नीति आयोग द्वारा इस सप्ताह जारी एक और चर्चा पत्र के अनुसार बीते नौ वर्षों में करीब 24.82 करोड़ भारतीय बहुआयामी गरीबी से बाहर निकलने में कामयाब रहे। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद और वरिष्ठ सलाहकार योगेश सूरी द्वारा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम तथा ऑक्सफर्ड नीति एवं मानव विकास पहल की मदद से तैयार […]

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Editorial: सबके लिए 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य

इस समाचार पत्र में सोमवार को प्रकाशित खबर के मुताबिक सरकार पूरे देश के घरों में बिजली उपलब्ध कराने के लिए मार्च 2025 तक का समय तय कर सकती है। सप्ताह में हर दिन 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य लगभग हासिल हो चुका है क्योंकि शहरी इलाकों में तकरीबन 23.5 घंटे बिजली की […]

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Editorial: IT कंपनियां कर रही बदलाव का इंतजार

सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की चार बड़ी कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे तथा उनके प्रबंधन की टिप्पणियां यही बताती हैं कि मांग में कमी के मामले में बुरा दौर बीत चुका है। कम से कम सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग तो यही मानता है। बहरहाल कंपनियों का प्रबंधन अभी भी अल्पावधि में मांग में सुधार के अनुमानों […]

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Editorial: सोशल मीडिया की पहेली

दुनिया भर के नियामकीय प्राधिकारों तथा नागरिक समाज की ओर से दबाव झेलने के बाद मेटा ने कहा है कि वह इंस्टाग्राम और फेसबुक का इस्तेमाल करने वाले किशोरों को नुकसान पहुंचाने में सक्षम सामग्री नहीं दिखाएगी। इस सोशल मीडिया नेटवर्क कंपनी ने यह कदम तब उठाया है जब उस पर आरोप लगा कि वह […]

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