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लेखक : बीएस संपादकीय

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: गति को बनाए रखने की चुनौती

साल 2023 शुरुआती अनुमान से बेहतर आर्थिक नतीजे लेकर आया। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में ऊंची महंगाई, खासकर अमेरिका में, इस साल की शुरुआत में सबसे बड़ी चिंताओं में से एक थी। करीब दो अंकों की मुद्रास्फीति को काबू करने के लिए जो मौद्रिक नीति कार्रवाई की जाती, उससे इस बात की आशंका थी कि भौतिक रूप […]

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Editorial: चौथाई सदी बाद

पिछले सप्ताहांत की चौथाई सदी वाली बात पर आगे बढ़ते हुए लंबी अवधि के लिए जताए गए उन पूर्वानुमानों पर नजर डालना सही रहेगा, जिनकी बात इस शताब्दी की शुरुआत में दुनिया कर रही थी। गोल्डमैन सैक्स की विख्यात (कुछ लोग इसे कुख्यात भी कहेंगे) भविष्यवाणी थी कि चार उभरती ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाएं (ब्राजील, रूस, भारत […]

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Editorial: NBFC फंडिंग की निगरानी

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस हफ्ते ‘भारत में बैंकिंग की रुझान एवं प्रगति रिपोर्ट 2022-23’ जारी की जिसमें सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह निकल कर आई है कि देश का बैंकिंग क्षेत्र पिछले एक दशक के किसी भी समय की तुलना में सबसे बेहतर स्थिति में है। बैंकों की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (जीएनपीए) यानी कुल […]

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Editorial: FDI के लिए और कदम जरूरी

जापान की चार कार निर्माता कंपनियों का अगले पांच वर्षों में थाईलैंड में यूटिलिटी वाहनों सहित इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण का प्रमुख केंद्र बनाने के लिए 4.3 अरब डॉलर तक का निवेश करने का इरादा है। थाईलैंड दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन (आसियान) का दूसरा सबसे बड़ा देश है और जापान के साथ उसके […]

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Editorial: अमीर देशों में कामगारों की मांग

विकसित देशों में श्रमिकों की भारी कमी के बीच खेती, निर्माण और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में काम करने के वास्ते भारतीय कामगारों को विदेश भेजने के लिए विकसित देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते करने का भारत सरकार का इरादा है। बिज़नेस स्टैंडर्ड में मंगलवार को छपी खबर में भी बताया गया कि यूनान ने भारत […]

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Editorial: प्रभावित होतीं आर्थिक संभावनाएं

हाल के दिनों में, खासतौर पर कोविड-19 महामारी के बाद से असमानता के मुद्दे पर गंभीर चर्चा हो रही है। अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों की आम राय यह है कि महामारी के बाद दिख रहे सुधार का संबंध, मुख्य रूप से बड़ी कंपनियों को मिलने वाले मुनाफे से है और वेतन पर निर्भर रहने वाले लोग, […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: रेटिंग की बाधाएं

केंद्रीय वित्त मंत्रालय के मुख्य अर्थशास्त्री वी अनंत नागेश्वरन के नेतृत्व में वहां के अर्थशास्त्रियों ने गत सप्ताह एक निबंध संग्रह जारी किया। नागेश्वरन और उनकी टीम की इस बात के लिए सराहना की जानी चाहिए कि उन्होंने एक ऐसा संग्रह पेश किया जो जरूरी अंत:दृष्टि प्रदान करता है तथा असमानता, देश की अंतरराष्ट्रीय कारोबारी […]

आज का अखबार, संपादकीय

भारत एक चमकता सितारा बन गया

कोविड के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी सुधार आया है। साल 2023 में जिस तेजी से जीएसटी और कर संग्रह बढ़ा है वह अच्छी अर्थव्यवस्था का सूचक है। दीपावली की रोशनी ने निर्यात व घरेलू बाजार में रौनक ला दी। सभी पर्यटक स्थल पूरे साल पैक रहे। होटल, रियल एस्टेट, सोना चांदी, वाहन, कपड़ा, सॉफ्टवेयर, […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: ‘असंतोष’ और भारत की स्थिति

अब जबकि हम नई सदी के शुरुआती ढाई दशकों के समापन की ओर बढ़ रहे हैं तो एक बात स्पष्ट है कि वैश्वीकरण की दोपहर बीत चुकी है। अमेरिका और यूरोप की राजनीति बहुत बुरी तरह अप्रवासी विरोधी भावनाओं से संचालित है और इसमें सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का घालमेल है (इटली की प्रधानमंत्री यूरोप में इस्लामिक […]

आज का अखबार, लेख

Opinion: खुले खनन से बेहतर है भूमिगत कोयला खनन

भारत के ऊर्जा भविष्य को सुरक्षित बनाने की दृष्टि से देखें तो भूमिगत विधि से कोयला खनन पर्यावरण की दृष्टि से एक बेहतर विकल्प है। बता रहे हैं पीएम प्रसाद और बी. वीरा रेड्‌डी भारत के ऊर्जा परिदृश्य में नाटकीय परिवर्तन देखने को मिल रहा है। हम तेजी से सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय […]

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