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लेखक : बीएस संपादकीय

आज का अखबार, संपादकीय

बीमा नियामक की पहल: ग्रामीण भारत में बीमा की पहुंच बढ़ाने का अवसर

भारतीय बी​मा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के चेयरमैन देवाशिष पांडा ने घोषणा की है कि बीमा नियामक, स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) जैसा एक निकाय गठित करने पर विचार कर रहा है। यह बड़ी तादाद में भारतीयों को बीमा उद्योग के दायरे में लाने की दिशा में एक उपयोगी कदम हो सकता है। एसएलबीसी […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: भारतीय शेयर बाजारों पर भूराजनीतिक जोखिम

भारतीय शेयर बाजारों में पिछड़े पखवाड़े गिरावट का सिलसिला रहा और शुक्रवार को बेंचमार्क निफ्टी50 की वापसी के पहले छह सत्रों में गिरावट देखने को मिली। इसकी अनुमानित वजह इजरायल और हमास के बीच छिड़ी लड़ाई है जिसकी वजह से ऊर्जा आपूर्ति में बाधा की आशंका उत्पन्न हो गई। कच्चे तेल और गैस की कीमतें […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था..

केंद्र सरकार का थिंक टैंक नीति आयोग भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 25 वर्ष की रूपरेखा तैयार कर रहा है। इस समाचार पत्र में सोमवार को प्रकाशित खबर के मुताबिक इसका लक्ष्य भारत को 30 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का है। इसके दृष्टिपत्र में अनुमान जताया गया है कि भारत 2030 तक 6.69 लाख […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

चीन की महत्त्वाकांक्षी बेल्ट और रोड पहल के दस वर्ष पूरे

चीन की महत्त्वाकांक्षी बेल्ट और रोड पहल (BRI) को इस महीने एक दशक पूरा हो गया है। राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पूरी दुनिया को अपने दायरे में लेने वाली इस परियोजना में सौजन्यता का तत्त्व डालने की कोशिश की है। ऐसा इसलिए कि इसे दुनिया भर में चीन की शक्ति के प्रदर्शन के रूप में […]

आज का अखबार, संपादकीय

Editorial: क्या मुद्रास्फीति को लक्षित करना वास्तव में काम करता है?

सर्वाधिक विकसित देशों में मुद्रास्फीति का लक्ष्य दो फीसदी का है। परंतु अमेरिका में उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति 3.7 फीसदी है, यूरो क्षेत्र में यह 5.6 फीसदी, ब्रिटेन में 6.8 फीसदी और जापान में 2.9 फीसदी है। शून्य वृद्धि से जूझ रहे जर्मनी में यह 4.3 फीसदी है। भारत में जहां मुद्रास्फीति की दर इन विकसित […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

भारत में महिलाओं के लिए नौकरी पाना अभी भी चुनौतीपूर्ण

भारत में महिलाओं की कम श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) को भारतीय समाज में व्याप्त पितृ सत्तात्मक सोच और भारतीय कारोबारी जगत के पूर्वग्रह का उदाहरण माना जाता है। यह बात हालिया सर्वेक्षणों पर भी लागू होती है जो इशारा करते हैं कि पुरुषों द्वारा परिवार पालने के लिए कमाना ही प्रतिमान है, वहीं महिलाओं […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: पश्चिम एशिया में भूराजनीतिक तनाव, आर्थिक और नीतिगत जोखिम बढ़ा

पश्चिम एशिया में नए सिरे से उत्पन्न भूराजनीतिक तनाव ने आर्थिक और नीतिगत जोखिम बढ़ा दिए हैं। हालांकि इस संकट से निपटने की कोशिश की गई है लेकिन इजरायल और फिलिस्तीन (Israel-Palestine War) के बीच छिड़े मौजूदा संघर्ष में अन्य क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों के शामिल होने की आशंका से जोखिम इतना बढ़ सकता है, […]

आज का अखबार, लेख

निकट भविष्य में मुद्रा की लागत ऊंची बनी रहने की उम्मीद

वित्तीय बाजार इस अनुमान पर काम कर रहे हैं कि निकट भविष्य में मुद्रा की लागत ऊंची बनी रह सकती है। सोमवार को 10 वर्षीय अमेरिकी सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल मनोवैज्ञानिक महत्त्व वाले 5 फीसदी के स्तर को पार कर गया। ऐसा 16 वर्ष बाद हुआ। इसकी वजह से दुनिया भर के बॉन्ड और इक्विटी […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: आईएमएफ के कोटे में ‘सम-आनुपातिक’ वृद्धि….कठिन चयन

मोरक्को के मराकेश शहर में हाल ही में संपन्न हुई विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की बैठकों में इस बात को लेकर सहमति बनी कि आईएमएफ के कोटे में ‘सम-आनुपातिक’ वृद्धि की जानी चाहिए। कोटे में वृद्धि का यह निष्कर्ष उसकी सोलहवीं समीक्षा से निकला। आईएमएफ के कोटे की समीक्षा से तात्पर्य है […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

Editorial: मध्यम अवधि में वैश्विक व्यापार वृद्धि के कमजोर बने रहने की उम्मीद

मध्यम अवधि में वैश्विक व्यापार वृद्धि के कमजोर बने रहने की उम्मीद है। मोटेतौर पर ऐसा इसलिए कि आर्थिक वृद्धि में धीमापन रहने की उम्मीद है जबकि भूराजनीतिक स्तर पर विभाजन बढ़ा है। परंतु ये बातें अपेक्षाकृत छोटी अर्थव्यवस्थाओं को वृद्धि के नए स्रोत तलाशने से नहीं रोक सकीं। उदाहरण के लिए भारत के पड़ोस […]

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