आव्रजन से जुड़े कठिन विषयों पर चर्चा जरूरी
विश्व में आव्रजन (immigration) की बढ़ती घटनाएं और उनके कारण हो रहे जनांकिकीय बदलाव चिंता का विषय हैं। निष्पक्ष दिखने के फेर में हमें इन पर बातचीत करने से बचना नहीं चाहिए। बता रहे हैं आर जगन्नाथन वास्तव में मुक्त समाज वे होते हैं जो वास्तविक मानवीय चिंताओं की स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर बंदिश लगाकर, कथित […]
आरक्षण नहीं, समान अवसर पैदा करने से बनेगी बात; राहुल गांधी का दांव भी कांग्रेस के लिए बन सकता है मुसीबत
भारत एक कुत्सित शिक्षा एवं रोजगार कोटा व्यवस्था अपनाने की दहलीज पर खड़ा है। असंवेदनशील राजनीति एवं न्यायिक हस्तक्षेप सहित कई कारणों से भारत इस गुत्थी में उलझता जा रहा है। क्षेत्रीय राजनीतिज्ञ और कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत में जाति आधारित जनगणना कराए जाने पर जोर दे रहे हैं, वहीं उच्चतम न्यायालय ने आरक्षण […]
डॉलर की कमजोरी और भारत की तैयारी
अमेरिका के कमजोर राजनीतिक और आर्थिक नेतृत्व के कारण आगे चलकर डॉलर की कीमत में निश्चित गिरावट आएगी। भारत को इसके असर से बचने के लिए कदम उठाने होंगे। बता रहे हैं आर जगन्नाथन नरेंद्र मोदी सरकार ने अगले दो वर्षों में भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने तथा 2029 के पहले […]
आम चुनाव में जीत की गारंटी कभी थी ही नहीं
वर्ष 2024 के आम चुनाव में मोदी की संभावित जीत को लेकर कई आलेख और यहां तक कि किताबें भी लिखी गईं। यह सब चुनाव होने के पहले हुआ और अब हम कह सकते हैं कि ऐसे दावे करने वाले काफी हद तक गलत थे। देश में जिस हद तक सामाजिक और आर्थिक समस्याएं व्याप्त […]
नई सरकार के गठन के बाद की चुनौतियां…
चुनाव के बाद चाहे जो भी सरकार बने, उसे कुछ अहम समस्याएं हल करने के लिए काम करना होगा। जनगणना के बाद परिसीमन, महिला कानून और रोजगार की समस्या प्रमुख हैं। बता रहे हैं आर जगन्नाथन चार जून को लोक सभा चुनाव (Lok Sabha Elections) नतीजों में चाहे जिसकी जीत हो, अगली सरकार के सामने […]
द्वैत दृष्टिकोण की नाकामी और बदलती दुनिया
दुनिया अब ऐसे युग में प्रवेश कर रही है जहां वे बातें कारगर साबित नहीं होंगी जिन्हें महज कुछ दशक पहले तक हम हल्के में लेते थे। हर जगह लोकतंत्र खतरे में नजर आ रहा है और इसकी परिभाषा भी कुलीनों की सहमति पर आधारित है। माना जाता है कि हिंसा और शक्ति पर सरकार […]
लोकसभा चुनाव के बाद सुधारों पर बने सहमति
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के दशक भर लंबे शासन और मौजूदा सरकार के बहुमत वाले दस वर्ष के शासन से एक बड़ा सबक निकला है: समयबद्ध और सुविचारित आर्थिक सुधार दोनों ही परिस्थितियों में चुनौतीपूर्ण हैं। यह सही है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले दस वर्षों में मनमोहन सिंह के दशक की तुलना में […]
Opinion: यूपी के आर्थिक उभार को धार्मिक पर्यटन की धार
सन 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध से ही भारत नियति के साथ एक नए साक्षात्कार की राह पर है। मंडल राजनीति के उभार और राम जन्मभूमि आंदोलन की इसमें अहम भूमिका रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 1998 से 2004 के बीच राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पहले कार्यकाल के दौरान दोनों के बीच […]
बेहतर होगा राष्ट्रवाद का पुनरुत्थान
पश्चिमी देशों की ‘सार्वभौमिकता’ की अवधारणा साम्राज्यवाद का ही पुराना रूप है जिसे नए कलेवर में पेश किया जा रहा है जो संदिग्ध प्रतीत होता है। बता रहे हैं आर जगन्नाथन वामपंथी-उदारवादियों को भले ही यह बात पसंद न हो लेकिन लगभग हर जगह राष्ट्रवाद का पुनरुत्थान हो रहा है। राष्ट्रवाद के पहले चरण की […]
सामाजिक न्याय की आड़ में हकीकत पर पर्दा डालना गलत
सामाजिक न्याय का झंडाबरदार बनने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कोई आपकी जवाबदेही तय नहीं करेगा और आपके सुझाए समाधान नाकाम रहने पर भी सवाल-जवाब नहीं करेगा। सामाजिक न्याय का विषय उठाने के लिए सबसे पहले आपको कुछ आंकड़े प्रस्तुत करने होंगे ताकि किसी खास पक्ष या समूह की तरफ इनका झुकाव साबित […]









