facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

मोहन यादव 2021 में आए थे सुर्खियों में, अब बने मध्य प्रदेश के नए CM; प्रदेश को मिली दो उपमुख्यमंत्रियों की भी सौगात

तमाम दिग्गज नामों की अटकलों के बीच महज तीन बार के विधायक मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने चौंकाया।

Last Updated- December 12, 2023 | 9:01 AM IST

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को तमाम अटकलों को विराम दे दिया और करीब 17 साल से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के दावे को दरकिनार करके तीन बार के विधायक मोहन यादव को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की।

भोपाल में आयोजित विधायक दल की बैठक में चौहान ने यादव के नाम का प्रस्ताव रखा। राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा के रूप में प्रदेश को दो उपमुख्यमंत्री भी मिले हैं जबकि पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा अध्यक्ष होंगे।

यादव 2021 में उस समय चर्चा में आए थे जब प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने कहा था कि हिंदू महाकाव्य रामचरितमानस को दर्शन की पढ़ाई कर रहे स्नातक के विद्यार्थियों के लिए वैकल्पिक विषय के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा।

देश में पांच महीने बाद लोक सभा चुनाव होने हैं और ऐसे में भाजपा ने एक यादव नेता को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री चुनकर उत्तर प्रदेश के यादव समुदाय को एक मजबूत संदेश दिया है। उत्तर प्रदेश की सीमाएं मध्य प्रदेश और बिहार से लगती हैं और तीनों राज्यों में पार्टी की गहरी रुचि है।

उत्तर प्रदेश और बिहार में अधिकांश यादव क्रमश: समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के समर्थक हैं। मध्य प्रदेश में 2003 से भाजपा के सभी मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग के रहे हैं। पार्टी ने उमा भारती के बाद बाबूलाल गौर, शिवराज सिंह चौहान और अब मोहन यादव को शीर्ष पद के लिए चुना है।

मध्य प्रदेश में भाजपा ने उत्तर प्रदेश का दो उपमुख्यमंत्रियों को चुनने का फॉर्मूला अपनाया है। छत्तीसगढ़ में भी पार्टी ने ऐसा ही किया है। मध्य प्रदेश में एक दलित (जगदीश देवड़ा) और एक ब्राह्मण (राजेंद्र शुक्ला) को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।

भाजपा लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सभी राज्यों में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्रियों के जरिये जातीय संतुलन कायम करने की कोशिश कर रही है। राजस्थान में भी पार्टी ऐसा ही कोई कदम उठाकर कांग्रेस की जातीय जनगणना की मांग को बेअसर करने की कोशिश कर सकती है।

विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद मोहन यादव ने राज्यपाल मंगुभाई पटेल से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया। उनके साथ चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और तीन केंद्रीय पर्यवेक्षक भी वहां पहुंचे। चौहान ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपा।

मोहन यादव (58 वर्ष) उज्जैन दक्षिण सीट से तीसरी बार विधायक बने हैं। वह 2013, 2018 और 2023 में इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा की वेबसाइट पर दर्ज उनकी प्रोफाइल के मुताबिक उन्होंने बीएससी, एलएलबी, राजनीति विज्ञान में एमए, एमबीए और पीएचडी की डिग्री हासिल की है। वह मार्च 2020 से प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री थे।

उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की। वह सन 1984 में माधव विज्ञान महाविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए। बाद के दिनों में वह भारतीय जनता युवा मोर्चा में सक्रिय रहे। अपने राजनीतिक करियर के दौरान वह 2004 से 2010 तक उज्जैन विकास प्राधिकरण के प्रमुख रहे और 2011 से 13 तक वह मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष भी रहे। फिलहाल वह मध्य प्रदेश कुश्ती महासंघ के प्रमुख भी हैं।

सोमवार दोपहर भाजपा विधायकों की बैठक के पहले चौहान और प्रह्लाद सिंह पटेल के समर्थकों ने अपने-अपने नेताओं के पक्ष में जमकर नारेबाजी की। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पटेल और चौहान के बीच बहुत अच्छे रिश्ते नहीं हैं और पार्टी लोकसभा चुनाव के ठीक पहले पटेल को मुख्यमंत्री बनाकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी।

First Published - December 11, 2023 | 11:03 PM IST

संबंधित पोस्ट