facebookmetapixel
रेट कट का असर! बैंकिंग, ऑटो और रियल एस्टेट शेयरों में ताबड़तोड़ खरीदारीTest Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासा

X ने भारत सरकार के खिलाफ दायर की याचिका

ईलॉन मस्क की कंपनी ने आईटी एक्ट की धारा 69ए और 79(3)(बी) के तहत सामग्री हटाने के सरकारी आदेशों को गैर-कानूनी बताया; 'श्रेय सिंघल' मामले का हवाला

Last Updated- March 20, 2025 | 11:29 PM IST
X blocks 8000 accounts in India after govt order to combat misinformation

अमेरिकी कारोबारी ईलॉन मस्क के स्वामित्व वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में भारत सरकार के विरुद्ध याचिका दायर करके कहा है कि वह गैर कानूनी ढंग से उसकी सामग्री का नियमन और मनमाना सेंसरशिप कर रही है। कंपनी ने याचिका में कहा है कि केंद्र सरकार सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और खासकर उसकी धारा 79 (3)(बी) की जो व्याख्या कर रही है वह सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले का उल्लंघन है और ऑनलाइन अभिव्यक्ति की आजादी को सीमित करती है।

याचिका में कहा गया है, ‘याची एक्स कॉर्प ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका दायर की है जिसमें प्रतिवादी (केंद्र एवं अन्य) द्वार सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 ए और श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मान्यता प्राप्त सुरक्षा के उल्लंघन को चुनौती दी गई है।’

एक्स ने अपनी याचिका में कहा कि गृह मंत्रालय ने सहयोग पोर्टल का निर्माण किया है जो पुलिस तथा अन्य सरकारी विभागों को धारा 69ए के तहत सीधे सामग्री को हटाने का आदेश जारी करने के सक्षम बनाती है। वह सामग्री को सेंसर करने के लिए एक समुचित ढांचा तैयार करती है जिससे बड़ी संख्या में अधिकारियों को बिना पारदर्शिता या निगरानी के सामग्री हटाने का अधिकार मिलता है।

याचिका में कहा गया है कि 17 दिसंबर 2024 को एक्स के साथ एक बैठक में गृह मंत्रालय ने कहा था कि वह केवल इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी मंत्रालय के निर्देशों पर काम करते हुए सेंसरशिप पोर्टल तैयार कर रहा है। एक्स के मुताबिक ऐसा पोर्टल बनाना कानून का उल्लंघन है।

कंपनी ने पोर्टल के माध्यम से जारी निर्देशों के पालन के लिए नोडल ऑफिसर की नियुक्ति की जरूरत को भी चुनौती दी है। उसने कहा है कि ऐसे अधिदेश की कोई वैधता नहीं है। एक्स ने याचिका में यह भी कहा है कि न्यायालय को यह घोषित करना चाहिए कि धारा 79 (3)(बी) सरकार को यह अधिकार नहीं देती कि वह सामग्री ब्लॉक करने का आदेश दे सके। उसने मांग की है कि इस धारा के तहत सामग्री हटाने के तमाम आदेशों को गैर कानूनी करार दिया जाए और अंतिम निर्णय होने तक सहयोग पोर्टल के आदेशों के प्रवर्तन पर रोक लगाई जाए।

First Published - March 20, 2025 | 11:29 PM IST

संबंधित पोस्ट