facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

Editorial: अमीर देशों में कामगारों की मांग

यूनान ने भारत से संपर्क किया है कि वह कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लगभग 10,000 कामगारों को उसके यहां भेजे।

Last Updated- December 26, 2023 | 9:53 PM IST
Skilled Labour

विकसित देशों में श्रमिकों की भारी कमी के बीच खेती, निर्माण और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में काम करने के वास्ते भारतीय कामगारों को विदेश भेजने के लिए विकसित देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते करने का भारत सरकार का इरादा है।

बिज़नेस स्टैंडर्ड में मंगलवार को छपी खबर में भी बताया गया कि यूनान ने भारत से संपर्क किया है कि वह कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लगभग 10,000 कामगारों को उसके यहां भेजे।

इटली भी अपने विभिन्न शहरों के नगर निकायों में काम करने के लिए लोगों की तलाश में है। भारत पहले ही 40,000 से अधिक श्रमिकों को इजरायल भेजने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर कर चुका है और इस समझौते को विस्तार दिया जा सकता है।

हमास के साथ युद्ध शुरू होने से पहले इजरायल में लगभग 18,000 भारतीय श्रमिक काम कर रहे थे जो मुख्यतौर पर मरीजों की देखभाल के काम से जुड़े थे। हालांकि, वहां युद्ध जारी है, ऐसे में इजरायल पहले से काम करने वाले लगभग 90,000 फिलिस्तीनियों की जगह दूसरी जगहों के कामगारों की भर्ती करना चाहता है।

सरकार की इस पहल का स्वागत कई कारणों से अवश्य किया जाना चाहिए। भारत में कुशल और मेहनती कामगारों की तादाद बहुत ज्यादा है। कई वर्षों से संगठित और अनौपचारिक तरीके से ये कामगार कई देशों में जाते रहे हैं और इसका अंदाजा विदेश से भारत भेजी जाने वाली राशि से मिलता है। भारत भी अपने व्यापारिक साझेदार देशों के साथ किए जाने वाले विभिन्न समझौतों में भी कामगारों की आवाजाही की वकालत करता रहा है।

Also read: कम जन्म दर के बीच गोद लेने में बढ़ती जटिलताएं

विकसित देशों की समस्या यह है कि इनकी आबादी में बुजुर्गों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में उन्हें काम कराने के लिए बाहर के श्रमिकों की जरूरत बढ़ने लगी है। भारत के लिए यह एक सुनहरा मौका है क्योंकि भारत कामगारों की कमी की भरपाई करने में सक्षम हो सकता है। हालांकि कामगारों को विदेश भेजने पर एक चिंता जरूर हो सकती है कि इससे देश में कहीं श्रमिकों की कमी न हो जाए लेकिन फिलहाल विकसित देशों की मांग अस्थायी ही लग रही है।

कामगारों के विदेश जाने का एक फायदा यह है कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर के तजुर्बे के साथ देश वापस आएंगे। विकसित देशों में मजदूरी की दर ज्यादा है, ऐसे में वे अपने बचत के पैसों से भारत में घर या जमीन जैसी संपत्ति में निवेश कर सकते हैं। यह भी संभव है कि कुछ लोग वहीं बसना चाहेंगे। भारत में कुशल कामगारों की बड़ी तादाद को देखते हुए ऐसे आसार नहीं दिखते हैं कि देश में श्रमिकों की कमी होगी।

इस संदर्भ में भी भारत को हर हाल में अलग-अलग क्षेत्रों में लोगों को कौशल परीक्षण देने और इसका बेहतर माहौल बनाने की जरूरत है। विदेश में श्रमिकों को भेजने की पहल अच्छी है लेकिन नीतिगत नजरिये से भी यह समझना जरूरी है कि इससे भारत की बेरोजगारी या कम रोजगार की समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। यह एक तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था की अच्छे वेतन वाली पर्याप्त नौकरियां सृजित न कर पाने की कमजोरी का हल भी नहीं है।

उदाहरण के तौर पर ताजा वार्षिक आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण के अनुसार, कुल श्रमबल के 57 फीसदी लोग से अधिक स्व-रोजगार से जुड़े हैं। इसे उद्यमशीलता का सूचक नहीं माना जा सकता है क्योंकि ये ऐसे लोग हैं जो अपनी आजीविका के लिए किसी तरह की आर्थिक गतिविधि से जुड़ जाते हैं क्योंकि कोई काम न करने का विकल्प उनके पास नहीं है।

भारत के कामगारों पर नजर डालें तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आती है। कुल कामगारों में से 18 फीसदी से ज्यादा अपने छोटे-मोटे घरेलू कारोबार में ही सहयोगी के तौर पर लगे हुए हैं जबकि 21 फीसदी से ज्यादा खुद को अस्थायी मजदूर मानते हैं। इस तरह से इन लोगों को लगातार बेरोजगारी की समस्या से जूझना पड़ता है।

Also read: Stocks: निवेशक नए मगर रवैया पुराना

यह बात सभी स्वीकारते हैं कि भारत को अपनी बढ़ती आबादी के लिए रोजगार के बेहतर मौके बनाने की जरूरत है। अमीर देशों में श्रमिकों को भेजने से भारत की बेरोजगारी और कम रोजगार की समस्या का हल नहीं होगा। फिर भी, अभी जो मौके मिल रहे हैं उनका फायदा उठाना चाहिए क्योंकि दीर्घावधि में इससे देश को फायदा होगा।

सरकार कामगारों को विदेश भेजने की पहल में काफी सक्रिय दिख रही है। कम से कम दो जरूरी बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए। पहला, जिन कामगारों की बात की जा रही है वे ज्यादा पढ़े-लिखे या कुशल नहीं हैं, ऐसे में यह जरूरी है कि इन लोगों का चयन पारदर्शी तरीके से हो। अगर जरूरत पड़े तो इस प्रक्रिया में किसी तीसरे भरोसेमंद पक्ष को भी शामिल किया जाए।

दूसरी बात, अलग-अलग देशों में जैसे-जैसे भारतीय मजदूरों की संख्या बढ़ेगी, भारत को अपनी राजनयिक मौजूदगी बढ़ाने पर विचार करना चाहिए ताकि वहां काम करने वाले भारतीयों की परेशानियों का जल्दी समाधान हो सके।

First Published - December 26, 2023 | 9:53 PM IST

संबंधित पोस्ट