टैरिफ से मिले झटकों के बीच भारत के लिए अवसर
अमेरिका द्वारा 2 अप्रैल को टैरिफ लगाने की घोषणा (जिसे बाद में 9 जुलाई तक निलंबित कर दिया गया) और इसकी प्रतिक्रिया में जवाबी कार्रवाई, विशेषतौर पर चीन के द्वारा की गई कार्रवाई, वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा नकारात्मक झटका है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का अनुमान है कि वर्ष 2025 में वैश्विक वृद्धि […]
आम बजट में खपत बढ़ाने पर दांव
निजी खपत को बढ़ावा देने और राजकोषीय अनुशासन कायम रखने के इरादे से वर्ष 2025-26 के आम बजट में व्यक्तिगत आयकर में राहत प्रदान की गई है, जिसकी प्रतीक्षा बहुत समय से की जा रही थी। अर्थव्यवस्था में इस समय धीमापन आ गया है और ऐसे में वृहद आर्थिक स्थिरता बनाए रखने तथा राजकोषीय नीति […]
नकद आरक्षी अनुपात में कमी की जरूरत नहीं
बैंकिंग तंत्र में उपलब्ध अधिशेष तरलता या नकदी दिसंबर 2024 का दूसरा पखवाड़ा आते-आते रफूचक्कर हो गई और इसमें कमी का सिलसिला शुरू हो गया। 20 जनवरी तक बैंकिंग क्षेत्र में नकदी की कमी बढ़कर 2.36 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई। भारतीय रिजर्व बैंक के पास सरकार द्वारा जमा की गई भारी भरकम रकम […]
मध्यम वर्ग पर चोट से कम हुआ निजी उपभोग
पिछले कुछ हफ्तों से निजी उपभोग में कमी सुर्खियों में बनी हुई है। यह बहुत चिंता की बात है क्योंकि निजी पूंजीगत व्यय का चक्र दोबारा घूमने के ठोस संकेत अब भी नहीं दिख रहे हैं। लेकिन खपत में कमी को ठीक से समझने के लिए इसके पीछे के कारणों को समझना जरूरी है। रोजमर्रा […]
पूंजी प्रवाह पर क्या हो सही प्रतिक्रिया
भारतीय रुपया सितंबर 2024 के अंतिम सप्ताह में उस समय दबाव में आ गया जब विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय पूंजी बाजार में विशुद्ध बिकवाली आरंभ कर दी। इसके परिणामस्वरूप पूंजी बाहर जाने लगी। बहरहाल, व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा बाजार में दखल दिया जिससे कुछ हलकों में […]
क्या विपरीत हालात से बाहर निकल पाएगा चीन?
चीन पहले आर्थिक चुनौतियों से निपटने में सफल रहा है मगर इस बार स्थिति काफी अलग है। बता रहे हैं जनक राज चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए कुछ समय पहले भारी भरकम मौद्रिक एवं राजकोषीय प्रोत्साहनों की घोषणा की। वर्ष 2024 में 5 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि का उसका लक्ष्य खतरे […]
MPC: मुद्रास्फीति को तय दायरे में लाने के लिए RBI ने किया संशोधन, मगर लक्ष्य तक पहुंचने में कितनी मिली सफलता?
भारत में मुद्रास्फीति को तय दायरे में लाने के लिए लचीली (एफआईटी) व्यवस्था तैयार करने के मकसद से 2016 में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन किया गया। देश में मौद्रिक नीति के इतिहास में यह महत्त्वपूर्ण मौका था क्योंकि इसके साथ ही मौद्रिक नीति से जुड़े फैसले छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति […]
ऋण-जमा विसंगति के मूल में बचत दर
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) पर दबाव है कि वे बड़े पैमाने पर जमा राशि जुटाएं क्योंकि ऋण और जमा का वृद्धिशील अनुपात (सी-डी रेश्यो) 98 फीसदी पर पहुंच गया है। आम तौर पर यह अनुपात 80 फीसदी से कम रहता है क्योंकि बैंकों को अपने जमा पर 4.5 फीसदी का नकद आरक्षित अनुपात और 18 […]
मुद्रास्फीति लक्ष्य खाद्य वस्तु बिना कारगर नहीं, किसानों के हित के लिए लिए बेहतर विकल्प की जरूरत
पिछले महीने संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में सुझाया गया है कि भारत में मुद्रास्फीति नियंत्रण से जुड़े लक्ष्य का निर्धारण करते समय खाद्य वस्तुओं पर विचार नहीं करना चाहिए। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि मुद्रास्फीति की गणना में खाद्य वस्तुएं शामिल करने से किसानों को उनके उत्पाद के मूल्य बढ़ने का फायदा […]
घरेलू बचत में दिख रहा चिंताजनक रुझान, पूंजीगत खर्च के लिए फंड मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदारी
घरेलू क्षेत्र की बचत कॉरपोरेट निवेश के लिए पूंजी दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि यह एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जिसमें शुद्ध बचत होती है। परिवारों की वित्तीय बचत का विशेष महत्त्व है क्योंकि निजी कॉरपोरेट क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में तेजी की उम्मीद है जिसमें हाल के दिनों में एक गलत शुरुआत हुई […]









