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महाराष्ट्र के अरहर किसानों की लगी बम्पर लॉटरी, सरकार दे रही बाजार से ज्यादा भाव, ठप्प हो गया पेमेंट सिस्टम

राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सहित नौ राज्यों से 13.22 लाख टन अरहर खरीदने की प्रतिबद्धता जताई है। 

Last Updated- May 04, 2025 | 8:47 PM IST
pulses production in Uttar Pradesh

महाराष्ट्र राज्य विपणन विभाग की धन अंतरण प्रणाली में तकनीकी समस्या के कारण अरहर का उत्पादन करने वाले कई किसानों को भुगतान करने में देरी हुई है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। हालांकि कई उत्पादकों को उनकी उपज की खरीद पर धन अंतरित किए जाने की पुष्टि करने वाले संदेश प्राप्त हुए हैं, लेकिन अभी तक उनके बैंक खातों में जमा राशि को नहीं दर्शाया जा रहा है। 

राज्य विपणन विभाग के अधिकारी ने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘‘गड़बड़ी का जल्दी ही समाधान कर लिया जाएगा और अरहर खरीद की राशि को किसानों के खातों में जमा कर दिया जाएगा। वित्तीय वर्ष के अंत में भीड़ के कारण कभी-कभी देरी होती है।’’ राज्य सरकार ने अरहर के लिए 7,550 रुपये प्रति क्विंटल खरीद मूल्य तय किया है, जो मौजूदा बाजार दरों से अधिक है। इसने अधिक किसानों को अपनी उपज सरकारी केंद्रों पर बेचने के लिए प्रोत्साहित किया है, जिसके परिणामस्वरूप पंजीकरण में वृद्धि हुई है। अधिकारी ने कहा कि अधिक संख्या में पंजीकरण ने आंशिक रूप से प्रणाली को प्रभावित किया है। 

राज्य विपणन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) ने अब तक महाराष्ट्र में लगभग 6.5 लाख क्विंटल अरहर की खरीद की है। बुलढाणा जिले के किसान निम्बाजी लाखाडे ने कहा, ‘‘मैंने नौ और 24 मार्च को सरकार द्वारा निर्धारित केंद्रों पर अरहर बेची और सभी आवश्यक दस्तावेज से जुड़ी कवायद पूरी की। लेकिन मुझे आज तक कोई भुगतान नहीं मिला है।’’ अधिकारियों ने बताया कि किसानों ने मांग की है कि अरहर खरीद की समयसीमा, जो पहले 30 अप्रैल तय की गई थी, बढ़ाई जाए। कई किसान सरकारी एजेंसियों को बेचने के इच्छुक हैं क्योंकि यह खुले बाजार में दाल बेचने से ज्यादा लाभकारी है। 

राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सहित नौ राज्यों से 13.22 लाख टन अरहर खरीदने की प्रतिबद्धता जताई है। इसने घरेलू कीमतों को स्थिर करने में मदद के लिए 10 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की योजना की भी घोषणा की है। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 2024 में अरहर की खेती का रकबा पिछले वर्ष की तुलना में 14 प्रतिशत बढ़ गया है, जबकि राष्ट्रीय उत्पादन लगभग 35 लाख टन रहने का अनुमान है।

(एजेंसी इनपुट के साथ) 

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First Published - May 4, 2025 | 8:43 PM IST

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