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भारत के पास पर्याप्त चीनी, इस सत्र के दौरान हो सकता है 20-30 टन ज्यादा प्रोडक्शन

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में चीनी का कुल मिलाकर अधिभार 1.13 प्रतिशत है। इसकी हिस्सेदारी चावल, गेहूं और खाद्य तेल की तुलना में कम है

Last Updated- September 08, 2023 | 12:08 PM IST
इस्मा ने वर्ष 2023-24 में सकल चीनी उत्पादन अनुमान बढ़ाकर 340 लाख टन किया , Sugar Production: ISMA increased the gross sugar production estimate to 340 lakh tonnes in the year 2023-24

भारत में चीनी उत्पादन की स्थिति इस साल कमजोर है। अधिकारियों का कहना है कि अगर निर्यात में कटौती की जाती है तो आगामी 2023-24 चीनी सत्र के दौरान घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए चीनी का पर्याप्त स्टॉक मौजूद होगा।

उद्योगों से मिले फीडबैक और राज्यों के गन्ना आयुक्तों के साथ हुई बैठकों के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है। इससे पता चलता है कि खपत 280 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि उत्पादन इस सत्र के दौरान इससे 20-30 टन ज्यादा होगा। चीनी सत्र अक्टूबर से शुरू होता है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘महाराष्ट्र व कर्नाटक में गन्ने की खड़ी फसल की स्थिति को लेकर कुछ चिंता है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से बारिश होने से स्थिति सुधरने में थोड़ी मदद मिल सकती है।’उन्होंने कहा कि 2022-23 चीनी सत्र के शेष महीनों में मिलों के पास 31 अगस्त तक करीब 83 लाख टन स्टॉक था। नया पेराई सत्र शुरू होने के पहले के 3 महीनों के लिए इतनी चीनी पर्याप्त है।

भारत में चीनी की मासिक खपत करीब 20 से 25 लाख टन है, जो मांग पर निर्भर है। अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार स्टॉक रखने की सीमा तय करने पर विचार कर रही है। यह 2016 के बाद पहली बार हो रहा है। इससे जमाखोरी रोकने और कीमत प्रभावित करने की स्थिति से बचा जा सकेगा। खुदरा कारोबारियों और थोक विक्रेताओं दोनों के लिए सीमा तय की जा सकती है और यह कवायद की जा सकती है कि रखा गया चीनी लोगों के पास तक पहुंचे।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में चीनी का कुल मिलाकर अधिभार 1.13 प्रतिशत है। इसकी हिस्सेदारी चावल, गेहूं और खाद्य तेल की तुलना में कम है। उन्होंने कहा कि हमें यह भी संज्ञान में रखना चाहिए कि पिछले 10 साल से चीनी की खुदरा कीमत 40 रुपये किलो से ऊपर नहीं गई है। गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में इस दौरान तेज बढ़ोतरी के बावजूद कीमत स्थिर रही है। सरकार को ग्राहकों, चीनी मिल मालिकों और किसानों के हितों में संतुलन बनाए रखने की जरूरत है।

First Published - September 7, 2023 | 10:43 PM IST

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