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सोयाबीन डीगम का दाम आयात करने में 100 रुपये किलो बैठता है और पैसों की तंगी की वजह से आयातक इसे 96 रुपये किलो के भाव बेच रहे हैं।

Last Updated- February 09, 2025 | 6:51 PM IST
Indian commodity demand abroad: non-basmati rice exports increased, will decrease further due to ban!

विदेशों में आयातित खाद्य तेलों के दाम बढ़ने तथा आगामी त्योहारों की वजह से आवक घटने के कारण देश के तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम सुधार दर्शाते बंद हुए। डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने तथा विनिमय दर बढ़ाये जाने से भी खाद्य तेलों में सुधार को बल मिला।

बाजार सूत्रों ने कहा कि इन सबके अलावा विनिमय दर बढ़ाये जाने से भी खाद्य तेल कीमतों में मजबूती रही। सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह सोयाबीन डीगम तेल का भाव 1,085-1,090 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1,110-1,115 डॉलर प्रति टन हो गया। इसी प्रकार 1,145-1,150 डॉलर प्रति टन वाले कच्चे पामतेल (सीपीओ) का भाव बढ़कर 1,170-1,175 डॉलर प्रति टन हो गया। उन्होंने कहा कि विनिमय दर बढ़ाये जाने के बाद आयातित तेलों में सीपीओ का दाम 40 रुपये क्विंटल, पामोलीन का दाम 54 रुपये क्विंटल और सोयाबीन डीगम का दाम 40 रुपये क्विंटल बढ़ा है।

इन सबके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से भी आयात करना महंगा बैठ रहा है जो मजबूती का एक विशेष कारण है। सूत्रों ने कहा कि अब तेल संगठनों को सरकार को यह स्पष्ट बताना चाहिये कि सूरजमुखी का दाम ऊंचा यानी 1,180 डॉलर प्रति टन होने तथा महंगा होने की वजह से पामोलीन का आयात कम होने से जो खाद्य तेलों की कमी हो रही है, उसे किस तेल से पूरा किया जायेगा। अकेला सोयाबीन या देशी सरसों तेल से इस कमी को पूरा नहीं किया जा सकता।

जब खाद्य तेल की कमी हो रही है, आगे त्योहार है तो फिर आयातक अपनी आयात लागत से लगभग चार प्रतिशत नीचे दाम पर सोयाबीन डीगम की बिक्री करने के लिए क्यों मजबूर हो रहे हैं? इनके कारणों के बारे में खाद्य तेल संगठनों को सरकार को बताना चाहिये। क्या ऐसा बैंकों का कर्ज घुमाते रहने के लिए किया जा रहा है? बैंकों का ये पैसा अगर डूबा तो अंतत: नुकसान आम लोगों का ही तो होगा। उन्होंने कहा कि सोयाबीन डीगम का दाम आयात करने में 100 रुपये किलो बैठता है और पैसों की तंगी की वजह से आयातक इसे 96 रुपये किलो के भाव बेच रहे हैं। आयातकों की वित्तीय स्थिति ऐसी हो चली है कि वे लागत से कम दाम पर बेचने को मजबूर हो रहे हैं।

बाजार सूत्रों ने कहा कि कपास की आवक एक माह पहले के दो लाख 40-45 हजार गांठ से घटकर लगभग 95,000 गांठ रहने के बीच बिनौला खल के दाम में सुधार आया है। इससे कारोबारी धारणा बेहतर हुई है और पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास नरमा के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से बढ़ गये हैं। बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 50 रुपये के सुधार के साथ 6,100-6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का थोक भाव 150 रुपये के सुधार के साथ 13,200 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 25-25 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 2,265-2,365 रुपये और 2,265-2,390 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज का थोक भाव क्रमश: 75-75 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,300-4,350 रुपये और 4,000-4,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। इसी तरह सोयाबीन दिल्ली एवं सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 500 रुपये, 400 रुपये और 350 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 13,700 रुपये, 13,400 रुपये और 9,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए। समीक्षाधीन सप्ताह में अकेले मूंगफली तिलहन का भाव 25 रुपये की गिरावट के साथ 5,275-5,600 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ।

लेकिन इसके विपरीत, मूंगफली तेल गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव क्रमश: 100 रुपये और 20 रुपये के सुधार के साथ 14,050 रुपये और 2,135-2,435 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए। कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 650 रुपये सुधरकर 12,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 650 रुपये मजबूत होकर 14,350 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 650 रुपये बढ़कर 13,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। मजबूती के आम रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल 400 रुपये की तेजी के साथ 12,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

(एजेंसी के इनपुट के साथ)

First Published - February 9, 2025 | 5:34 PM IST

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